सवा लाख से एक लड़ाऊं, अनकही को भी कहीं बनाऊं…!

पिछले दिनों हमने भाजपा प्रवक्ता डॉ. हितेष वाजपेयी के “राजनैतिक दवा-खाना” की चर्चा की थी। ठीक इसी तरह इन दिनों प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के मीडिया समन्वयक नरेंद्र सलूजा का कॉलम “कही-अनकही” खास चर्चा में चल रहा है। मीडिया के इस तरह के कॉलम सरकार, विपक्ष, भाजपा-कांग्रेस, राजनैतिक दल, नौकरशाहों और समसामयिक चर्चाओं पर केंद्रित रहते हैं।
पर सलूजा का यह कॉलम मुख्यत: भाजपा नेताओं और शिवराज सरकार, उनके मंत्रियों के साथ ही कांग्रेस से भाजपा में आकर सरकार का हिस्सा बने नेताओं व सिंधिया पर खास तौर से केंद्रित रहता है। कहीं से थोड़ी भी कानाफूसी हुई कि सरदार जी ने उस अनकही को कही में बदलने में देर नहीं की। खास बात यह है कि मध्यप्रदेश में 15 महीने कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन सलूजा प्रदेश कार्यालय में ही अपनी कुर्सी पर जमे रहे। नजर कहीं भी रही हो लेकिन कमलनाथ के निवास और इंदिरा भवन के अलावा कहीं और नहीं दिखे।
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अब जब सरकार नहीं है, तब तो बस एक ही टारगेट रहता है कि भाजपा की दुखती रग को टटोला जाए और इस तरह हाथ रखा जाए कि कराहने की आवाज सुनाई दे जाए। किस्मत के धनी सलूजा इतने कि जब विधानसभा चुनाव 2018 होना था, उससे करीब एक साल पहले कमलनाथ कांग्रेस अध्यक्ष बने और सलूजा बन गए उनके मीडिया समन्वयक। फिर कमलनाथ सीएम रहे और साथ में प्रदेश अध्यक्ष भी। फिर नेता प्रतिपक्ष बने और साथ में प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। नाथ के सरकारी पद बदलते रहे पर दलीय पद नाबाद रहा और नाबाद पारी जारी है सलूजा की।
इस महीने की “कही-अनकही” पर नजर डालें, तो 1 फरवरी को सलूजा ने लिखा कि ग्वालियर- चम्बल के प्रोजेक्टों पर बात हो , वहाँ से गुजरने वाले अटल प्रगति पथ पर बात हो , जिसका श्रेय लेने का प्रयास समय- समय पर श्रीमंत करते रहते हों और शिवराज जी ,केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी से मिलने दिल्ली जाएं और साथ में केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को ले जाएं , श्रीमंत को नहीं…तो सब कुछ समझा जा सकता है…?
इसके पहले भी अभी पिछले दिनों शिवराज जी ग्वालियर- चम्बल क्षेत्र में गये , पार्टी के बूथ विस्तारक कार्यक्रम में गये , ख़ूब घूमे , चाट-चौपाटी तक खाने गये तब भी साथ में केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ही नज़र आये , श्रीमंत नहीं…..? समझा जा सकता है….।
पुरानी जोड़ी एक बार फिर साथ-साथ…
चिट्ठी कांड के बाद अब ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में नये समीकरण बन रहे हैं , क्षेत्र के चारों सांसद श्रीमंत के विरोध में एकजुट और उन सबको अब मामाजी का खुला साथ….। चिट्ठी के 44 दिन बाद हुए अचानक से खुलासे से ही सब कुछ सामने आ गया था…..। ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में अब नये समीकरण,श्रीमंत को घेरने व अलग-थलग करने की तैयारी। आने वाले दिनो में दोनो गुटों के एक- दूसरे पर और बड़े ज़ुबानी हमले देखने को मिलेंगे…। अगला निशाना अब श्रीमंत समर्थक मंत्री होंगे…। यानि कि एक तीर से कई निशान करने में सलूजा कोई कोताही नहीं बरतते। श्रीमंत तो खास टारगेट पर रहते ही हैं और टारगेट पर रहते हैं सिंधिया समर्थक भी।
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 3 फरवरी की “कही-अनकही” में नरेन्द्र सलूजा ने लिखा कि पदोन्नति में आरक्षण को लेकर दो दिन टलने के बाद आज मंत्री समूह की बैठक हुई जो बेनतीजा साबित हुई…। बैठक के बाद मंत्री अरविंद भदौरिया के घर लंच पोलिटिक्स पर तुलसी सिलावट , मंत्री जगदीश देवड़ा ही पहुँचे…। मंत्री इंदर परमार अपने विभाग की बैठक में शामिल होने के कारण इस  लंच पोलिटिक्स में शामिल नहीं हुए..।आश्चर्य है कि मंत्री समूह के अध्यक्ष नरोत्तम मिश्रा इस लंच पोलिटिक्स से दूर….? मामला गड़बड़ है , दो गुट बने…। यानि कि सलूजा जी दूर तक देखने की पूरी-पूरी कोशिश करते हैं। और खुद भले ही न देख पाते हों लेकिन जिसके बारे में लिखते हैं, उसे जरूर मजबूर करते दिखाई देते हैं कि दूर का देख लो भाई मेरी खातिर ही सही।
अब सरदार जी ने कही-अनकही का स्टाइल बदल दिया है। शायद डॉक्टर साहब के दवा-खाना से प्रेरित होकर बकायदा टैक्स्ट मैसेज की जगह इसे पोस्टर में बदल दिया है। जिसमें सलूजा का लाल पगड़ी में फोटो कॉलम को प्रभावी बना रहा है। इनमें से एक में उत्तर प्रदेश में भाजपा के स्टार प्रचारक की सूची चस्पा करते हुए लिखा कि पनौती… भाजपा में खुशी की लहर, भाजपा की स्टार प्रचारक सूची में मध्यप्रदेश में एक भी नाम नहीं। हालांकि इसमें शिवराज को 17 साल का सीएम बताकर खुश किया तो चुटकी लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसके बाद अगली कही-अनकही में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और बूथ विस्तारक अभियान पर टारगेट किया। इसे महाफ्लॉप बता दिया तो जवाब भी मांग लिया कि हिसाब किताब दिया जाए।
सरदार जी, जहां भी हों खुद को चर्चा में ला ही देते हैं। पिछले दिनों विधानसभा में सीएम से मिले तो किसी ने मिलवाया कि नाथ के मीडिया समन्वयक हैं। सीएम ने बोल दिया कि हम जानते हैं सलूजा को, वह गलत दल में सही व्यक्ति हैं। फिर क्या था यह बात हवा की तरह फिजां में घुल गई। वैसे सलूजा को भाजपा अपने लिए शुभ भी मानती है। दरअसल हुआ यह कि जब श्रीमंत उधर से इधर आने की प्रक्रिया में थे, तब ही भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने कांग्रेस कार्यालय जाकर ही सलूजा से मुलाकात कर ली और गले मिल लिए। उसके बाद जैसे ही समय बदला, सरकार बदली तो सलूजा-पाराशर की मुलाकात हर जुबान पर आ गई। और इस तरह यह मुलाकात सवालात भी बन गई।
खैर यही कहा जा सकता है कि सलूजा की धुआंधार बल्लेबाजी को देखकर ऐसा लगता है जैसे कि “चिड़ियों से मैं बाज लडाऊं , सवा लाख से एक लड़ाऊं… अनकही को मैं कही बनाऊं, तब ही नरेंद्र सलूजा कहाऊं।” कही-अनकही के अलावा भी सरदार जी भाजपा पर हर मुद्दे पर दिन भर तीखा हमला करने और त्वरित प्रतिक्रिया देने में पल भर भी देर नहीं करते। नाथ के मीडिया समन्वयक होने के नाते प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चहेते भी हैं और संबंधों को निभाने में भी खरे। तो बल्लेबाजी करते रहो सरदार…विधानसभा चुनाव 2023 आने ही वाले हैं।
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कौशल किशोर चतुर्वेदी

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के जाने-माने पत्रकार हैं। इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया में लंबा अनुभव है। फिलहाल भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र एलएन स्टार में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले एसीएन भारत न्यूज चैनल के स्टेट हेड रहे हैं।

इससे पहले स्वराज एक्सप्रेस (नेशनल चैनल) में विशेष संवाददाता, ईटीवी में संवाददाता,न्यूज 360 में पॉलिटिकल एडीटर, पत्रिका में राजनैतिक संवाददाता, दैनिक भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ, एलएन स्टार में विशेष संवाददाता के बतौर कार्य कर चुके हैं। इनके अलावा भी नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित विभिन्न समाचार पत्रों-पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन किया है।