Lie of Cleaning Silt of Rivers & Drains : नदी-नालों की गाद सफाई भी नगर निगम में नया फर्जीवाड़ा!
Indore : हर साल बारिश के पहले नगर निगम नदी नालों की सफाई करवाता है। इसके बाद भी हर साल नदी-नाले गाद से भरे रहते हैं। इसका कारण यही कि सफाई कंपनी ठीक से नालों की सफाई नहीं करती! खानापूर्ति करने के लिए जेसीबी और पोकलेन नदी नालों में उतार दी जाती है और फोटो पेश कर लाखों रुपए का भुगतान निगम से करवा लिया जाता है।
इस साल भी ऐसा ही हुआ। इससे समझा जा सकता है कि कैसे सिर्फ फोटो देखकर नदी की गाद की सफाई देखकर भुगतान किया जाता होगा। अभी बारिश शुरू नहीं हुई और नदी नालों में फिर से गाद आ गई। नगर निगम की यह कैसी सफाई व्यवस्था है कि नदी-नाले साफ नहीं होते और भुगतान में देर नहीं की जाती।
जानकारी अनुसार इस साल भी नगर निगम नदी-नाला सफाई का वार्षिकोत्सव मना रहा है। हर साल की तरह इस बार भी शहर की प्रमुख और एकमात्र कान्ह नदी को साफ किया जा रहा है। लाखों रुपए खर्च करके जेसीबी और पोकलेन मशीन लगाई गई, जिसने खानापूर्ति करते हुए नदी से गाद निकाली और किनारों पर ही डाल दी। अभी ठीक से बारिश शुरू ही नहीं हुई है और यह गाद फिर नदी में ही चली गई। ऐसे में बारिश में लोगों को राहत कैसे मिलेगी।
बारिश का पानी नदियों में न बहते हुए सड़कों पर बहेगा और कॉलोनी में घुसेगा। इससे न केवल जन जीवन प्रभावित होगा, बल्कि दूसरी परेशानियों का भी सामना करना पड़ेगा। ऐसी सफाई किस काम की, कि नदी तो साफ होती नहीं निगम के खजाने से लाखों रुपए साफ हो जाते हैं।
अच्छी खासी होती है कमाई
हर साल नाला सफाई के नाम पर लाखों रुपए का बिल नगर निगम द्वारा स्वीकृत किया जाता है। इस साल भी लाखों रुपए नाला सफाई के लिए जारी किए गए। इसके बिल भी निगम मुख्यालय में पहुंच चुके हैं, हो सकता है भुगतान भी कर दिया गया हो। यह लाखों रुपए का भुगतान ऐसे ही नहीं हो जाता। इसमें नगर निगम के अधिकारियों का भी अच्छा खासा कमीशन बनता है।
अधिकारी सुपरविजन नहीं करते
एक बड़ा सवाल यह कि क्या नाला सफाई के दौरान निगम अधिकारी द्वारा कभी निरीक्षण नहीं किया जाता। क्या सिर्फ फोटो देखकर ही नगर निगम लाखों रुपए का बिल भुगतान कर देता है। यदि किया जाता है निरीक्षण तो फिर यह सफाई क्यों नहीं होती। इस सफाई पर होने वाले खर्च का जिम्मेदार कौन अधिकारी है।