Life Imprisonment for Husband’s Murderer : केमिस्ट्री प्रोफेसर ही निकली पति की कातिल, हाई कोर्ट ने भी सजा बरक़रार रखी!

करंट लगाकर पति की हत्या की, खुद लड़ी अपना केस, फिर भी कोर्ट ने ढूंढ निकाले पक्के सबूत!

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Life Imprisonment for Husband’s Murderer : केमिस्ट्री प्रोफेसर ही निकली पति की कातिल, हाई कोर्ट ने भी सजा बरक़रार रखी!

 

Gwalior / Chhatarpur : केमिस्ट्री की पूर्व प्रोफेसर ममता पाठक को निचली अदालत द्वारा दी गई आजीवन कारावास की सजा को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा। 2021 में अपने पति की बिजली के करंट से हत्या करने के मामले में ममता पाठक को छतरपुर सिविल कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अपने खिलाफ सबूतों को चुनौती देने के बावजूद (जिसमें पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी शामिल) अदालत ने उन्हें हत्या का दोषी माना। ममता पाठक ने सेशन कोर्ट के आदेश को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई पूर्व केमिस्ट्री प्रोफेसर ममता पाठक ने खुद अपनी पैरवी की। लेकिन, हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा बरकरार रखी। उनके वैज्ञानिक तर्क और आत्मविश्वास सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय जरूर बन गए।

छतरपुर की ममता पाठक की, जो कभी कॉलेज में केमिस्ट्री की प्रोफेसर थीं, लेकिन अब हत्या की दोषी बन गई। 2021 में उनके पति, रिटायर्ड सरकारी डॉक्टर नीरज पाठक की रहस्यमयी मौत ने सबको चौंका दिया था। शुरू में इसे बिजली के झटके से हुई मौत बताया गया, लेकिन पोस्टमार्टम और फॉरेंसिक रिपोर्ट्स ने शक के दरवाजे खोल दिए थे। बाद में पुलिस ने ममता पाठक के खिलाफ हत्या का केस दर्ज किया।

केमिस्ट्री प्रोफेसर ने रखे तर्क

2022 में जिला अदालत ने मेडिकल रिपोर्ट और सबूतों के आधार पर उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। लेकिन, कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। ममता को मानसिक रूप से अस्वस्थ बेटे की देखभाल के लिए जमानत मिली। इस दौरान उन्होंने जबलपुर हाई कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील की। वकील की कमी के चलते उन्होंने खुद ही केस की पैरवी करने का फैसला किया। लेकिन, अदालत के सामने सच छुप नहीं सका।

उन्होंने भले खुद ही अपने केस की पैरवी की। लेकिन, जस्टिस विवेक अग्रवाल और देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने छतरपुर की अदालत के आजीवन कारावास के फैसले को सही ठहराया। ममता ने कोर्ट के सामने पोस्टमार्ट रिपोर्ट पर सवाल उठाए और उसे अविश्वनीय साबित करने की कोशिश के लिए विज्ञान का सहारा लिया। लेकिन, कोर्ट ने सबूत ढूंढते हुए उनकी दलीलों को खारिज कर दिया।

ममता के पति डॉ नीरज पाठक की 29 अप्रैल, 2021 को लोकनाथपुरम कॉलोनी स्थित उनके घर में मृत्यु हो गई थी। जिसमें इलेक्ट्रिक बर्न का निशान भी मिला था। ममता की अपील की सुनवाई के दौरान अदालत की कार्यवाही का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया। वीडियो में 60 वर्षीय पाठक, न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ के समक्ष अपनी बात रख रही हैं कि पोस्टमार्टम में थर्मल और बर्न के निशान को अलग नहीं किया जा सकता, यह केवल रासायनिक विश्लेषण के माध्यम से ही किया जा सकता है।

जब कोर्ट ने दिया आदेश

इस पर जब एक जज ने उनसे पूछा कि क्या वह रसायन विज्ञान की प्रोफेसर हैं जिस पर उन्होंने कहा हाँ। सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल और देवनारायण मिश्रा ने सजा के निलंबन को रद्द कर दिया और प्रो ममता पाठक को अपनी सजा का शेष भाग काटने के लिए ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने के लिए कहा।

अदालत ने पुख्ता सबूत की बात कही

कोर्ट ने कहा कि 2021 में घटना के दिन की घटनाओं की श्रृंखला से उनके खिलाफ सबूत पुख्ता होते है। घटना के दिन ममता के पति ने अपने एक दोस्त को फोन किया और उसे बताया कि उसकी पत्नी उसे पिछले 2-3 दिनों से परेशान कर रही है और उसे बाथरूम में बंद कर दिया है। उन्होंने अपने दोस्त से पुलिस से संपर्क करके उसे छुड़ाने के लिए कहा।

मृत डॉ नीरज पाठक और उसके दोस्त के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग अदालत में पेश की गई। पाया गया कि नीरज पाठक की मृत्यु 29 अप्रैल 2021 को रात 9 बजे हुई थी। लेकिन, ममता ने अपने पति की मृत्यु के बारे में पुलिस को दो दिन बाद सूचना दी थी। रसायन विज्ञान की प्रो ममता पाठक पर 29 अप्रैल 2021 को सिविल अस्पताल छतरपुर में तैनात रहे रिटायर डॉ नीरज पाठक की हत्या का आरोप लगाया था। पुलिस जांच में पाया गया कि उन्होंने नींद की गोलियां दीं गई और जब वे घर पर बेहोश हो गए, तो उन्हें बिजली का झटका दिया। डॉक्टर के मृत शरीर पर पांच जगहों पर जले के निशान पाए गए।