Life Logistics: मन में बेचैनी और सुस्ती, मौसम का असर RESTIVENESS, SEASON IMPECT

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इन दिनों कभी-कभी जब गर्मी और बरसात का कंबीनेशन होता है तो आद्रता बढ़ जाती है मौसम में अजीब सी चिपचिपाहट होती है और ऐसे में हमारे मन में बेचैनी और सुस्ती आ जाती है। किसी काम में मन नहीं लगता तब हमें बहुत आराम करना चाहिए और जितना समय मिल जाए सोने की कोशिश करें नींद नहीं आएगी तब भी ज्यादा में ज्यादा रेस्ट करें। दिमाग पर ज्यादा लोड ना लें बिना वजह मोबाइल टीवी या अखबार पढ़ने में समय ना लगाएं लगाएं दिमाग को जितना फ्री रख सके उतना फ्री रखें।

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ऐसे समय हम जितना अपने आप को व्यस्त करने की कोशिश करेंगे हमारे मन की बेचैनी उतनी ही बढ़ेगी। इसलिए बेहतर यही रहती है कि हम शरीर और दिमाग को मौसम के हालात पर छोड़ दें और रेस्ट करें। भोजन भी उतने से थोडा कम करें जितना हमको लगता है, थोड़ी भी ओवरडाइटिंग नहीं होना चाहिए। थोड़ी भूख बाकी रखना चाहिए और रात को तो बिल्कुल ना खाएं हो सके तो पानी भी ना पिए जो कुछ भी खाना-पीना करना हो वह सूर्यास्त के समय कर ले। हो सकता है बीच रात्रि को थोड़ी सी गर्माहट पेट में महसूस हो लेकिन वह अच्छी है क्योंकि वही गर्माहट आपको सुबह ताजगी देगी। फास्टिंग भी बेचैनी तोड़ने का और स्वस्थ रहने का इलाज है क्योंकि बेचैनी का एक कारण हमारा खाना नहीं पचना भी होता है जो कि इस मौसम में अमुमन होता है। हां म्यूजिक सुनें,भजन सुने,अगरबत्ती लगा ले, खुशबू वाले कमरे में रहे,गुनगुने पानी से नहा लें बच्चों से बातें करें पति पत्नी आपस में समय साथ में गुजारे। यह सब करने से आप पर बेचैनी हावी नहीं होगी और आपका समय आसानी से गुजर जाएगा।

अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)