Line Double : इंदौर से उज्जैन के बीच सफर 30 मिनट घटेगा, 70% लाइन डबल

ट्रेनों की स्पीड बढ़ेगी और ज्यादा कोच लगाए जा सकेंगे

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Line Double : इंदौर से उज्जैन के बीच सफर 30 मिनट घटेगा, 70% लाइन डबल

Indore : इंदौर-उज्जैन के बीच रेल लाइन के डबलिंग का काम 70% पूरा हो गया। रतलाम मंडल में 100% इलेक्ट्रिफिकेशन भी हो गया है। डबलिंग प्रोजेक्ट और 100 फीसदी इलेक्ट्रिफिकेशन से इंदौर से चलने वाली 70 से ज्यादा ट्रेनों के यात्रियों को सफर में 20-30 मिनट काम लगेंगे। डीजल इंजन बंद होने से रेलवे को फ्यूल कॉस्ट में जहां 20 से 25 फीसदी का फायदा हुआ है, वहीं इलेक्ट्रिक इंजन से कोच कैपेसिटी बढ़ी है।

मध्यप्रदेश में 4828 किमी के ट्रैक में से 4740 किमी हिस्से में इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है। अब प्रदेश में महज 88 किमी हिस्सा इलेक्ट्रीफाइड होने से बचा है। रतलाम रेल मंडल में 100% इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा हो चुका है। मंडल के 1008.31 किमी के पूरे हिस्से में इलेक्ट्रिफिकेशन हो चुका है। हालांकि रैक की कमी और मेंटेनेंस की परेशानी के चलते कुछ डेमू ट्रेनों का संचालन अभी भी हो रहा है।

देशभर में फैले रेल नेटवर्क में से 9 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं, जहां रेलवे ने 100% इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा कर दिया है। इलेक्ट्रिफिकेशन और डबलिंग का फायदा वंदे भारत ट्रेन के रूप में मिल सकता है। इसे इंदौर से जबलपुर तक चलाया जाएगा। देवास, उज्जैन, रानी कमलापति, इटारसी में भी ट्रेन स्टॉपेज लेगी। रानी कमलापति के स्थान पर भोपाल स्टेशन का चयन भी किया जा सकता है। अधिकतम स्पीड 130 किमी प्रति घंटा होगी।

चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्टरी में इन दिनों वंदे भारत ट्रेन के रैक बन रहे हैं। मार्च में इंदौर को 16 कोच वाला एक रैक अलॉट हो सकता है। रतलाम मंडल में 100% इलेक्ट्रिफिकेशन वंदे भारत जैसी हाई स्पीड ट्रेनों की नींव है। इंदौर से तो वंदे भारत चलना ही है। इलेक्ट्रिफिकेशन से फ्यूल कॉस्ट में 20 से 25% की बचत होगी ही, साथ ही डीजल इंजन बंद होने से प्रदूषण भी घटेगा। दरअसल, डीजल इंजन स्टार्ट करने में एक बार में 30 लीटर डीजल लगता है। इलेक्ट्रिक इंजन में 2 से 4 कोच अतिरिक्त भी लगा सकते हैं।