LIFE LOGISTIC:मन की सुनो, स्वस्थता शरीर का पहला आभूषण

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आज के युग की भागती दौड़ती जिंदगी में आदमी बहुत कंफ्यूज है कि हमारे जीवन के प्रति रूख क्या है?
कई लोग तो जीवनशैली ही भूल गए। परंपरा, संस्कृति और पीढ़ियों से चली आ रही जीवन शैली के दिशा निर्देश को बदलते बदलते हैं।

आज इतना बदल दिया कि अमूमन तौर पर व्यक्ति तनावग्रस्त, अभावग्रस्त और अस्वस्थ रहने लगा। कुदरत हर मनुष्य के भीतर सुंदरता का अंश देती है। रंग रूप, ज्ञान, उदारता, दया, त्याग, भावना और आत्मीयता यह सब सुंदरता के गुण हर व्यक्ति में किसी न किसी रूप में हैं।

कई व्यक्ति के मन में शारीरिक सुंदरता की प्राथमिकता होती है और वह बहुत अच्छी बात है। व्यक्ति ने अपने मन की बात मानना चाहिए और अपनी प्राथमिकता में अपने आप को स्वस्थ और सुंदर रखना यह ज्ञान धर लेना चाहिए।
इस दौर में कई लोगों के पास बहुत पैसा होता है बहुत ज्ञान होता है परंतु उनको शारीरिक तौर पर कई कमियां रह जाती है। ब्लड प्रेशर, शुगर, कमजोरी, तनाव आदि से व्यक्ति का खानपान सब लिमिटेड हो जाता है। व्यक्ति वही सही मायने में जीवन जीता है जो अपने मन की सुनता है और बिना किसी दूसरों को नुकसान पहुंचाए खुद प्रसन्न रहता है।

अपने सामर्थ का ध्यान रखते हुए अपनी सभी इच्छाएं पूरी करता है। प्रसन्न रहना और अपने अच्छे सभी शौक पूरे करना आपके जीवन की प्राथमिकता होना चाहिए। सिर्फ धन दौलत और नाम कमाने के चक्कर में अपने जीवन का लक्ष्य नहीं भूलना चाहिए। व्यक्ति समाज में जितना मेलजोल से रहता है उसका जीवन उतना ही आसान होता है। इसलिए अपने मन की सुनो और एक अच्छे सामाजिक प्राणी बनो।

अशोक मेहता, इंदौर (लेखक, पत्रकार, पर्यावरणविद्)