Loksabha Election 2024:क्या भारत चक्रवर्ती राष्ट्र बनकर उभरेगा
अब जबकि देश में लोकसभा चुनाव के तहत करीब आधी सीटों के लिये मतदान हो चुका है,जो निर्णय का संकेत देने में सक्षम है। फिर भी यह कहना अजीब लग सकता है कि 2024 से 2029 के बीच नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ऐसे-ऐसे हैरत अंगेज,साहसिक,सर्वजन हितकारी,विश्व समुदाय को प्रभावित करने वाले सकारात्मक और सुखद परिणाममूलक फैसले लेगी, जो भारत को दुनिया का प्रमुख,शक्तिशाली,संपन्न,समृद्ध राष्ट्र के गौरव से अलंकृत करेगा। ऐसा कहने के पीछे 2014 से 2024 तक मोदी सरकार की कार्य प्रणाली,वैश्विक छवि,राष्ट्रवादी रवैया और सनातन मूल्यों के प्रति अगाध श्रद्धा तो है ही, साथ ही दुनिया में मोदीजी के प्रति बढ़ता भरोसा प्रमुख आधार है।
मेरा ऐसा मानना है कि स्वतंत्रता के बाद देश में ऐसी पहली सरकार है, जिसने जो कहा, वो कर दिखाया और जो नहीं कहा, वह तो पूरी दमदारी से किया।भाजपा या जनसंघ की सर्वोच्च प्राथमिकता में कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति,अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण,देश में सनातनी पंरपरा का वैभव लौटाना,राष्ट्रवाद व भ्रष्टाचार के डायनासोरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना,विकृत इतिहास को संशोधित करना,नई शिक्षा प्रणाली लागू करना रहा। आज कोई कितना ही कह ले कि सरकार तमाम जांच एजेंसियों का उपयोग विरोधियों को दबाने के लिये कर रही है, लेकिन तथ्यों के प्रकाश में देख लीजिये कि स्वतंत्र भारत में सीबीआई,एनआईए,ईडी वगैरह ने जिस पैमाने पर कार्रवाई संपादित की है,उतनी 65 वर्षों में नहीं हुई।
अब जो दिखाई दे रहा है, वह बेहद अकल्पनीय,अविश्वसनीय किंतु सकारात्मक और देश हित में सुखद परिणामकारी होने वाला है। ये ऐसे मसले होंगे, जिनके बारे में अब विचार करना भी छोड़ दिया गया होगा। या यह मान लिया गया होगा कि इनका कभी निराकरण नहीं हो पायेगा। अतीत में देखें तो पाते हैं कि राम मंदिर का बनना और 370 का खात्मा ऐसे ही मामले थे,लेकिन बिना किसी खून-खराबे के ये दोनों ऐतिहासिक कार्य हुए।इस तरह की लंबी फेहरिस्त अभी बाकी है।
आगामी दो-तीन साल में हम देखेंगे कि उच्चतम न्यायालयों से कुछ ऐसे फैसले आ सकते हैं, जो अरसे से लंबित सार्वजनिक जीवन के बड़े-बड़े नामों को नैतिक रूप से बौना करार देगा। याने कुछ खास लोग तिहाड़ के मेहमान बन सकते हैं। कॉलेजियम प्रणाली को लेकर भी बड़े बदलाव हो सकते हैं। कुछ बड़े लोग देश छोड़कर जा सकते हैं तो कुछ सदमे की चपेट में आ सकते हैं। दक्षिण भारत के कुछ नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में बड़ी कार्रवाई संभव है।
अगले पांच साल के कार्यकाल में देश-दुनिया की निगाह न्यायालय के उन फैसलों की ओर भी रहेगी, जिनसे काशी की ज्ञानवापी,मथुरा के श्रीकृष्ण मंदिर और धार की भोजशाला के हिंदू इमारत होने का मार्ग भी प्रशस्त हो सके।संभव है कि इन मसलों में मुस्लिम समाज का एक जिम्मेदार तबका आगे आकर पहल करे। यूं चमत्कारों का सिलसिला तो 2024 के चुनाव परिणामों के साथ ही प्रारंभ हो सकता है, जब दक्षिण भारत के राज्यों से कल्पना से अधिक समर्थन भाजपा को मिले। यहां सपष्ट कर दूं कि केंद्र में लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ भाजपा की सरकार आने में तो अब किसी को संदेह नहीं है।प्रारंभिक चरणों के कम मतदान ने कुछ सवाल खड़े किये हैं, लेकिन ये उन मतदाताओं के उत्साह में कमी का संकेत भी हो सकता है, जो कांग्रेस या उनके सहयोगी दलों के समर्थक थे।
*मोदी के तीसरे कार्यकाल में जो* *होगा !*
## मोदी जी को नोबल मिल सकता है।
## पीओके पर कार्रवाई ।
## देश की राजधानी मध्यप्रदेश आ सकती है
## अनेक बड़े नेता जेल और कुछ विदेश भाग सकते हैं।
## कैलाश मान सरोवर भारत को मिल सकता है।
## आयकर दाताओं की तादाद और राजस्व बढ़ाने का बड़ा फैसला।
## दक्षिण भारत में बढ़ सकता है भाजपा का प्रभाव।
भारत जिन हिमालयीन ऊंचाइयों को आगामी सरकार के कार्यकाल में छू सकता है,उनमें प्रमुख संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थायी सदस्यता भी है। इसके पूरे आसार हैं। पाक के कब्जे वाले कश्मीर को लेकर भी अक्सर चर्चा होती है। इसे भारत में मिलाना भले ही आसान ना हो, किंतु इसे पाकिस्तान से अलग तो किया ही जा सकता है याने स्वतंत्र राष्ट्र बनने देना । नरेंद्र मोदी के नाम एक महती उपलब्धि यह हो सकती है कि उन्हें 2024-25 में शांति का नोबल पुरस्कार दिया जाये। किसी के भी जहन में सवाल उठ सकता है शांति के लिये मोदीजी ने क्या किया? पहले आंतरिक मोर्चे की बात कर लें। 2014 से 24 तक देश में कोई बड़ा सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ, जिसके लिये विपक्ष न केवल आशंकित रहा, बल्कि अनेक मौकों पर वैसे हालात भी पैदा किये जाते रहे।जबकि उससे पहले के 65 वर्षों में सैकड़ों दंगे दर्ज हैं।
अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर देखें तो रूस-यूक्रेन युद्ध को भले ही हम रोक ना पाये, लेकिन अपने नागरिकों को जिस तरह से युद्ध विराम कर निकाल कर लाये, वह बेमिसाल है। ऐसा ही इजराइल-फिलीस्तीन युद्ध के बीच भी किया । इजराइल और इरान के बीच टकराव के बावजूद भारत ने दोनों से अपने रिश्तों पर आंच नहीं आने दी, क्या ये मामूली बात है? संभव है कि भविष्य में भारत,इजराइल और इरान मिलकर इस मसले का कोई सर्वमान्य हल खोजें। भारतीयों को एक मामला और खटकता है, वह है कैलाश मान सरोवर पर चीन का आधिपत्य होना । यदि चीन किसी भी तरह से कमजोर पड़ा या भारत ने मजबूत घेराबंदी कर ली तो हैरत नहीं अगले पांच साल के बीच कभी कैलाश मान सरोवर हमारा हो। मोदी सरकार द्वारा 370 और राम मंदिर मसले का हल निकालने के परिप्रेक्ष्य में कुछ भी असंभव नहीं हो सकता। चीन-अमेरिका के बीच बढ़ते टकराव में यह संभव है।
देश की राजधानी को लेकर कभी-कभार यह चर्चा गरमाती है कि इसे दिल्ली से दूर ले जाना चाहिये। यह व्यावहारिक रूप से आसान तो बिल्कुल नहीं है। नई राजधानी बसाना टेढ़ी खीर है, किंतु वह मोदी सरकार ही क्या, जो टेढ़े मसलों पर ध्यान केंद्रित न करे। यदि इसकी आंशिक संभावना भी बनी तो मध्यप्रदेश इसके लिये सबसे उपयुक्त स्थान हो सकता है। गाहे-बगाहे ग्वालियर के नाम पर बात होती रही है कि इसे उप राजधानी बनाया जा सकता है। इसके अलावा इंदौर-उज्जैन-देवास-भोपाल के बीच भी इसे आकार दिया जा सकता है,भले ही इसके लिये 10 वर्ष लगे। ऐसे ही प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने और आयकर दाताओं की संख्या बढ़ाने के लिये भी कोई अभियान चलाया जा सकता है। इससे देश के प्रति अपनापन बढ़े और जो लोग सक्षम होकर भी देश को आर्थिक मजबूती देने की नहीं सोचते,उन्हें इसके लिये प्रेरित और बाध्य किया जा सके।
ये तो वे मसले हैं, जिन पर कभी-कभार ध्यान चला जाता है। इसके अलावा भी अनेक ऐसे काम भाजपा सरकार करना चाहेगी, जो देश को वैश्विक स्तर पर संपन्न,समृद्ध,सार्वभौम राष्ट्र का तमगा दिलाये।