Loudmouthed Leaders Lost : दोनों पार्टियों के बड़बोले नेताओं को जनता ने भी नकारा!

जानिए, कौन है ऐसे नेता!

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Loudmouthed Leaders Lost

Loudmouthed Leaders Lost : दोनों पार्टियों के बड़बोले नेताओं को जनता ने भी नकारा!

Bhopal : भाजपा ने मध्यप्रदेश की सत्ता पर फिर कब्ज़ा कर लिया। भारी आत्मविश्वास के बाद कांग्रेस अपनी साख भी नहीं बचा सकी। लेकिन, इस चुनाव का सबसे दिलचस्प पहलू यह रहा कि जनता ने बड़बोले नेताओं को नकार दिया। ऐसे ज्यादातर नेता अपनी सीट नहीं बचा पाए। इनमें भाजपा के नेता भी हैं और कांग्रेस के भी। ये सभी नेता हमेशा हवाबाजी की बातें करते थे और उनकी बातों में एक दंभ सा झलकता था। कई बार तो लगता था कि वे जनता को ही ज्ञान देने की कोशिश कर रहे हैं। एक मुद्दे की बात यह रही कि सभी बड़बोले नेताओं का जनता से संपर्क कट गया था।

शिवराज सरकार के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ऐसे बड़बोले नेताओं में सबसे आगे थे। बे रोज बेवजह प्रेस कॉन्फ्रेंस करते और उसकी वीडियो वायरल थी। प्रदेश के हर मुद्दे पर उनकी टिप्पणी जरूर आती थी, फिर वो उनका क्षेत्र हो या नहीं। कुछ महीने पहले तो वे देश के मुद्दों से लगाकर फिल्मों तक पर बोलने लगे थे।

कई बार तो उन्होंने फिल्मों को लेकर ऐसी टिप्पणी की, जो जनता को भी पसंद नहीं आई। सेंसर बोर्ड से पास की गई फिल्मों को मध्यप्रदेश में रिलीज न होने देने के लिए भी धमकाया गया। लेकिन, फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इशारे के बाद उन्होंने फिल्मों पर बोलना बंद कर दिया था।
इसके अलावा सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए महेंद्र सिंह सिसोदिया भी ऐसे बड़बोले मंत्रियों में थे, जो हमेशा गुस्से में ही दिखाई देते थे। अधिकारियों को खुलेआम फटकारना और बड़ी-बड़ी बातें करना उनके बयानों में शामिल था।

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हरदा से चुनाव हारे कमल पटेल को भी ऐसे नेताओं में गिना जा सकता है, जिनकी जुबान पर लगाम नहीं थी। वे कहीं भी कुछ भी बोलने लगते थे। इस लिस्ट में भाजपा के एक और मंत्री हैं बालाघाट से हारे गौरीशंकर बिसेन। वे भी हमेशा उलजुलूल बयानबाजी करने के लिए चर्चित रहे। इस बार चुनाव में टिकट उनकी बेटी को दिया, पर चालबाजी से वे खुद मैदान में उतर गए। पार्टी को भी मजबूरी में उन्हें चुनाव लड़ाना पड़ा, लेकिन वे जीत नहीं सके।

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कांग्रेस में भी बड़बोले नेता हारे
कांग्रेस में ऐसे पर बोले नेताओं को ढूंढा जाए तो सबसे अव्वल आते हैं सज्जन वर्मा जो कभी भी मैं के सामने सीधी बात नहीं करते रहे। हमेशा उनकी बातों में कटाक्ष होता था। वे कांग्रेस के नेताओं को भी अपनी बातों में लपटने से नहीं छोड़ते थे। कई बार तो उन्होंने माइक पर ही अभद्र भाषा का उपयोग किया। जब ऐसे वीडियो वायरल हुए तो कई जगह बीप किया गया।

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इंदौर की राऊ सीट से हारे जीतू पटवारी भी उनमें से एक है, जिनकी भाषा से झलकता था कि कांग्रेस में उनसे बड़ा कोई नेता नहीं है। कमलनाथ से उनकी खींचतान कई बार साफ़ नजर आई। महेश्वर सीट से विजयलक्ष्मी साधो की हार का बड़ा कारण भी इस महिला नेता का बड़बोलापन ही माना जा सकता है। कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष और लहार सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार डॉ गोविंद सिंह को भी ऐसे नेताओं की गिनती में लिया जा सकता है, जो अपने बयानों के कारण हमेशा चर्चा में बने रहते mp bunglow politics onथे। यही कारण है कि इस बार वे अपनी सीट नहीं बचा पाए।