Loving Judgment of Law : इसे कहते हैं कानून का प्यार भरा फैसला, जो हाईकोर्ट ने दिया!

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर प्रेमी जोड़े को पूरी सुरक्षा दी गई!

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Loving Judgment of Law : इसे कहते हैं कानून का प्यार भरा फैसला, जो हाईकोर्ट ने दिया!

Indore : एक कॉलेज में साथ पढ़ने वाले अंतिम वर्ष के दो स्टूडेंट प्रेमी जोड़े के लिए हाईकोर्ट ने जो फैसला दिया उसे प्यार भरा आदेश ही कहा जाएगा। कोर्ट के कहा दोनों को कोर्ट आने की जरूरत नहीं है। पुलिस के बुलाने पर उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं है। वे जहां हैं, वहीं से संबंधित थाने के टीआई और एसपी इस मामले में बयान दर्ज करें। इस मामले में एमजी रोड थाने की महिला हेल्प डेस्क की एसआई ने इस जोड़े की मदद और कांउसलिंग की। हाईकोर्ट का आदेश बाद में लड़की के पिता को बुलाकर दिखाया गया और उन्हें भी इस मामले से दूर रहने की हिदायत दी गई। हाईकोर्ट ने यह फैसला सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को नजीर मानते हुए सुनाया।

ये पूरा मसला कॉलेज में पढ़ने वाले दो स्टूडेंट्स का है, जो साथ पढ़ते हुए आपस में प्रेम कर बैठे। साथ जीने-मरने की कसमें भी खा ली। फ़ाइनल ईयर के 23 साल के लड़के और 20 साल की लड़की ने 1 मई को शादी भी कर ली। दोनों अलग-अलग समाज से हैं। ऐसे में लड़की के पिता को यह रिश्ता स्वीकार नहीं हुआ। लसूड़िया इलाके में रहने वाली इस लड़की के पिता ने उसे थाने आकर मिलने का दबाव बनाया। साथ ही दोनों को मार डालने की धमकी भी दी।

इस पर दोनों घबराए और वकील कृष्ण कुम्हारे और डॉ रूपाली राठौर के जरिए हाईकोर्ट से सुरक्षा मांगी। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें जहां हो, वहीं से बयान देने और दोनों के बालिग होने के प्रमाण पेश करने के लिए कहा।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में पुलिस से कहा कि याचिकाकर्ता धमकी मिलने की दशा में इंदौर पुलिस (एसपी) के पास शादी और अपनी उम्र के सबूत के साथ पहुंचेंगे और अपने बयान दर्ज कराएंगे और धमकाने वालों के नाम बताएंगे। किसी इमरजेंसी की स्थिति में या किसी कारण एसपी के पास नहीं पहुंच सके तो याचिकाकर्ता को किसी भी नजदीकी पुलिस थाने पर जाकर बयान दर्ज करवाने की अनुमति दी जाती है। एसपी या थाने के टीआई याचिकाकर्ता के जीवन को खतरा देखते हुए विधि अनुसार और सुप्रीम कोर्ट के ‘शक्ति वाहिनी केस’ में दिए गए दिशा-निर्देशों अनुसार तुरंत एक्शन लेंगे।

काउंसलिंग से दोनों का डर दूर हुआ

एमजी रोड थाने की महिला डेस्क सब इंस्पेक्टर टीना शुक्ला ने दोनों की बहुत मदद की काउंसिलिंग भी की। इस वजह से ही नव विवाहित जोड़े की जान बच सकी। जांच अधिकारी ने उनसे बात की, तो पता चला कि वो पति-पत्नी के रूप में साथ रहना चाहते हैं। अलग होने या अलग किए जाने पर वे आत्महत्या करने का फैसला कर चुके थे।

इसके बाद जांच अधिकारी ने उनकी काउंसलिंग की और पुलिस द्वारा महिलाओं के अधिकारों को लेकर चलाए जा रहे ‘महिला जागरूकता अभियान’ और ‘महिला कानून’ को लेकर जानकारी देकर दोनों का डर दूर किया। हाईकोर्ट के आर्डर के बाद लड़की के पिता को बुलाकर समझाया गया और लड़के-लड़की को परेशान नहीं करने को लेकर हिदायत भी दी।

दोनों साथ पढ़े, वहीं प्रेम हुआ

वकील के मुताबिक दोनों एक ही क्लास में कॉलेज में साथ पढ़े। दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई और फिर उन्होंने शादी का फैसला लिया। दोनों ने आजाद नगर के आर्य समाज में शादी कर ली। छात्रा के पिता सामाजिक, आर्थिक और समाज में प्रतिष्ठित हैं। इस कारण उन्हें लड़के की सामाजिक पृष्ठभूमि से परेशानी हुई। इसलिए उन्होंने दोनों को धमकाया। लेकिन, जब दोनों मदद के लिए हाईकोर्ट पहुंचे, तो 9 पेज के विस्तृत फैसले में सुप्रीम कोर्ट की कई नजीरों, खाप पंचायत सहित ऑनर किलिंग के केसों का हवाला देकर हाईकोर्ट ने इंदौर पुलिस और एसपी को निर्देश दिए।