मुंबई।एक समय था जब मंच पर भी शुद्ध साहित्यिक रचनायें सुनी जाती थी। मंच को ऐसा साहित्यिक वातावरण देने वाली। और नारी अस्मिता से छेड़छाड़ करने वालों को जलते हुए शब्दों में जवाब देने वाली। “युग युग से दुख सहा, नहीं कुछ कहा मगर अब सहूंगी नहीं, मैं चुप रहूंगी नहीं सूरज बुझा दूंगी मैं घुंघटा जला दूंगी मैं। सात्विक क्रोध को शब्द देने वाली अनगिनत फिल्मों में गीत लिखने वाली अद्भुत गीतकार श्रद्देया माया गोविन्द जी आज नहीं रहीहिंदी फिल्मों के लिए शानदार गीत लिख चुकीं गीतकार माया गोविंद (Maya Govind) का 7 अप्रैल, गुरुवार को 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। माया गोविंद की तबीयत बीते लंबे समय से खराब चल रही थी। कवयित्री-लेखिका को ब्रेन ब्लड क्लॉटिंग की वजह से 20 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया थालखनऊ में जन्म लेने वाली माया गोविंद को कथक में महारत हासिल रही। बतौर अभिनेत्री भी उन्होंने परदे पर और रंगमंच पर अपना नाम बनाया और तमाम पुरस्कार भी जीते। प्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना हेमा मालिनी का डांस बैले ‘मीरा’ उन्हीं का लिखा हुआ है। घर वाले चाहते थे कि वह शिक्षक बनें लेकिन उनकी रुचि अभिनय व रंगमंच में अधिक रही। शंभू महाराज की शिष्य रहीं माया ने कथक का खूब अभ्यास किया। साथ ही लखनऊ के भातखंडे संगीत विद्यापीठ से गायन का चार साल का कोर्स भी किया। ऑल इंडिया रेडियो की वह ए श्रेणी की कलाकार रही हैं। साल 1970 में संगीत नाटक अकादमी लखनऊ ने उन्हें विजय तेंदुलकर के नाटक के हिंदी रूपातरण ‘खामोश! अदालत जारी है’ में सर्वश्रेष्ठ अभिनय का पुरस्कार दिया। बाद में वह दिल्ली में हुए ऑल इंडिया ड्रामा कंपटीशन में भी प्रथम आईं। फिल्म ‘तोहफा मोहब्बत का’ में भी उन्होंने अभिनय किया।
हिंदी फिल्मों के लिए शानदार गीत लिख चुकीं गीतकार माया गोविंद (Maya Govind) का 7 अप्रैल, गुरुवार को 80 साल की उम्र में निधन हो गया है। माया गोविंद की तबीयत बीते लंबे समय से खराब चल रही थी। कवयित्री-लेखिका को ब्रेन ब्लड क्लॉटिंग की वजह से 20 जनवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 26 जनवरी को उन्हें अस्पताल से घर पर शिफ्ट कर दिया गया और वहीं उनका इलाज किया जाने लगा। गीतकार की मौत की पुष्टि उनके बेटे अजय गोविंद ने की है।
अजय गोविंद ने एबीपी न्यूज चैनल से बात करते हुए बताया कि बीते लंबे समय से उनकी मां माया गोविंद की तबीयत ठीक नहीं चल रही थी। पहले उन्हें लंग इंफेक्शन और बाद में ब्रेन ब्लड क्लॉटिंग की वजह से अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। मुंबई के जुहू स्थित आरोग्य निधि अस्पताल में माया गोविंद के इलाज में लापरवाही बरती जा रही थी। इसी को देखते हुए अजय ने मां का इलाज घर पर ही करवाना शुरू कर दिया। बीते कुछ दिनों से उनकी हालत नाजुक बनी हुई थी, और आखिरकार 7 अप्रैल को माया ने हमेशा-हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया।
बताते चलें कि माया गोविंद का जन्म 1940 में लखनऊ में हुआ था। उन्होंने बतौर लिरिसिस्ट अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने ‘बाल ब्रह्मचारी’, ‘आर या पार’, ‘गर्व’, ‘सौतेला’, ‘रजिया सुल्तान’, ‘मैं खिलाड़ी अनाड़ी’, ‘याराना’ और ‘लाल बादशाह’ जैसी तकरीबन 350 फिल्मों के लिए गाने लिखे थे। फिल्म ‘दलाल’ के गाने ‘गुटुर गुटुर’ को लेकर अरसे तक विवादों में घिरी रहीं माया गोविंद नेअपने बेटे अजय की गोद में अंतिम सांस ली.
माया गोविंद ने 80 के दशक में फिल्मों समेत तमाम टीवी सीरियल्स और म्यूजिक एल्बम्स के लिए गाने लिखे थे। उन्हें कई अवॉर्ड्स से भी सम्मानित किया गया था। वहीं, उनके निधन पर पूरा मनोरंज जगत सदमे में हैं। साथ ही फैंस, सोशल मीडिया के जरिए लिरिसिस्ट को श्रद्धांजलि अर्पित करते देखे जा रहे हैं।