Mahakal Lok : महाकाल लोक की हर मूर्ति शिव पुराण की कहानी का जीवंत स्वरूप
Ujjain : महाकाल ज्योतिर्लिंग मंदिर देश के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। इसी मंदिर के प्रांगण को आधुनिक रूप दिया गया है। नए बदलाव के बाद यहां धरती पर देवलोक जैसा आभास होगा। महाकाल लोक में स्थापत्य कला, संस्कृति और आध्यात्मिक भाव को अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया गया है। पूर्व में मंदिर का क्षेत्रफल 2.82 हेक्टेयर था, जो परियोजना पूर्ण होने के पश्चात बढ़कर 20.33 हेक्टेयर हो गया है।
25 फीट ऊंची लाल पत्थर की दीवारों पर शिव महापुराण में उल्लेखित घटनाओं को भित्ति चित्र के रूप में उत्कीर्ण किया है। कमल कुंड, पंचमुखी शिव स्तंभ, सप्त ऋषि, त्रिवेणी मंडपम में बनकर तैयार हुआ है। महाकाल लोक परिसर में वैदिक घड़ी भी लगाई जा रही है। पत्थरों का गुलाबी रंग, झिलमिलाता नीला पानी और ऊंची-ऊंची मूर्तियों के असंख्य रंग भक्तों को हरि फाटक पुल से नीचे जाने पर मजबूर कर देते हैं। उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नवनिर्मित कॉरिडोर और इसके विहंगम दृश्य से भक्तों की नजर नहीं हटती है।
11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। इसके बाद महाकालेश्वर मंदिर में श्रद्धालु महाकाल कॉरिडोर के रास्ते ही जाएंगे। किसी भी क्षण कॉरिडोर के परिसर में बने शेड के अंदर 20 हजार लोग रह सकते हैं। यह शेड धूप और बारिश से लोगों का बचाव करेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कॉरिडोर के बनने से उज्जैन शहर में महाकाल के भक्तों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। अभी हर साल तीन करोड़ के लोग यहां महाकाल के दर्शन के लिए आते हैं। इसके साथ ही आर्थिक वृद्धि भी करीब 300 करोड़ रुपये होगी। महाकाल लोक में आने वाले भक्तों की निगरानी के लिए चप्पे-चप्पे पर कैमरे लगाए गए हैं। पूरा कॉरिडोर सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में है। बड़ी स्क्रीन पर प्रत्येक कैमरे की छवियों को दिखाते हुए एक कमांड सेंटर बनाया गया है।
मंदिरों का शहर
उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। यह शहर हर 12 साल में सिंहस्थ की मेजबानी करता है। महाशिवरात्रि और नाग पंचमी के अवसर पर महाकाल मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसके बाद मंदिर और आसपास के क्षेत्र की व्यापक विकास योजना की आवश्यकता हमेशा महसूस की गई। शहर के विशेषज्ञों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद, इसके बाद सौंदर्यीकरण और बुनियादी ढांचे के आकर्षक निर्माण पर कार्य किया गया है। 2017 में महाकाल लोक की परिकल्पना की गई थी।
पहले चरण का काम संपूर्ण
यह भारत में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत संभवत: सबसे बड़ी सार्वजनिक खुली जगह परियोजना है। 316.18 की लागत से परियोजना का पहला चरण पूरा हो गया है। शहर के स्तर से मंदिर में प्रवेश तक संचलन योजना, मुख्य शहर में यातायात की भीड़ को कम करने के लिए सावधानीपूर्वक योजना बनाई गई थी। विस्तारित मंदिर परिसर में वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित है और सभी प्रवेश स्थानों पर अलग पार्किंग की व्यवस्था की गई है।
महाकाल लोक का भव्य रूप
जैसे ही हरि फाटक पुल से नीचे उतरते हैं तो नंदी द्वार पहला प्रवेश गेट है। इसके गलियारे में ऊंची मूर्तियां आपका ध्यान खींचती हैं। इनमें भगवान शिव की उत्कृष्ट नक्काशी है। आगे बढ़ने पर भगवान गणेश की बड़ी तांबे की मूर्ति है, जो दूर से चमकती है। इसके साथ कॉरिडोर में बने खंभों पर भी उत्कृष्ट नक्काशी का नमूना है। इसके निर्माण में कौशल और श्रम को देखकर आप अचंभित रह जाएंगे। वहीं, महाकाल लोक में एक गोलाकार नीला तालाब दिखता है, जिसके केंद्र में एक भगवान शिव की भव्य मूर्ति है। इसी तरह से मुख्य प्रवेश द्वार की ओर जाने वाले महाकाल लोक की यात्रा शुरू होती है।
पौराणियांक कथाओं पर मूर्ति
महाकाल लोक में पौराणिक कथाओं पर आधारित मूर्तियां हैं। इसमें शिव पुराण, त्रिपुरासुर वध, शिव पुराण और शिव तांडव स्वरूप की विभिन्न कहानियों को दर्शाने वाली मूर्तियां, भित्ति चित्र और शास्त्र बाईं और दाईं ओर फैले हुए हैं। मूर्तियों पर क्यूआर कोड की सुविधा है। इसे स्कैन करते ही श्रद्धालुओं को उसके ऑडियो गाइड के माध्यम से जानकारी मिल जाएगी। इसके साथ ही महाकाल लोक के मिड-वे में रेस्ट रूम, शॉपिंग सेंटर और भोजनालय क्षेत्र की योजना बनाई गई है। गलियारा एक ऊंचे गेट पर उतरता है, जो एक बड़े हॉल में जाता है। दाईं ओर लॉकर और शू स्टैंड जैसी सुविधाएं हैं। ठीक बीच में, पुलिस स्क्रीनिंग उपकरण लगाए गए हैं, जिससे हर यात्री को गुजरना होगा।