Mahashivratri: जानिये पर्व काल ,आध्यात्मिक, ज्योतिषीय, पौराणिक एवं राशि अनुसार विशेष पूजन विधि

क्या है विशेष संयोग और पंचग्रही योग:बता रहे हैं ज्योतिर्विद राघवेंद्र रविशराय गौड़

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Mahashivratri: जानिये पर्व काल ,आध्यात्मिक, ज्योतिषीय, पौराणिक एवं राशि अनुसार विशेष पूजन विधि

मंदसौर से डॉ घनश्याम बटवाल की विशेष रिपोर्ट

इस वर्ष महाशिवरात्रि 1 मार्च 2022, मंगलवार को है। चतुर्दशी तिथि सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च, बुधवार को सुबह 1 बजे समाप्त होगी। आइए जानते हैं इस महापर्व के विषय में ।

महाशिवरात्रि : वर्ष 2022 में 1 मार्च मंगलवार को मनाई जाएगी।

विशेष संयोग :
इस महाशिवरात्रि को धनिष्ठा नक्षत्र में परिघ योग रहेगा। धनिष्ठा के बाद शतभिषा नक्षत्र रहेगा। परिघ के बाद शिव योग रहेगा। सूर्य और चंद्र कुंभ राशि में रहेंगे।
मंदसौर के अष्टमूर्ति पशुपतिनाथ महादेव , उज्जैन महाकाल सहित सभी शिवालयों में उत्साह के साथ उत्सव मनाया जारहा है । शिव विवाह श्रृंगार हल्दी उबटन से सजाया जारहा है ।

पंचग्रही योग :
महाशिव रात्रि पर मकर राशि में पंचग्रही महायोग बन रहा है। पंच ग्रही योग का निर्माण मंगल, बुध, शुक्र, चंद्रमा और शनि के मिलने से हुआ है। शास्त्र अनुसार मकर राशि में पांच ग्रहों का यह योग महाशिवरात्रि पर चारों प्रहर की पूजा करने वाले शिव भक्तों को आयु , विध्या ,यश ,आरोग्य ,धन ओर बल प्रदान करेगा।

महाशिवरात्रि महानिशा का शुभ मुहूर्त

– अभिजीत मुहूर्त : सुबह 11:47 से दोपहर 12:34 तक।
– विजय मुहूर्त : दोपहर 02:07 से दोपहर 02:53 तक।

– गोधूलि मुहूर्त : शाम 05:48 से 06:12 तक।
– सायाह्न संध्या मुहूर्त : शाम 06:00 से 07:14 तक।

– निशिता मुहूर्त : रात्रि 11:45 से 12:35 तक।
 
महाशिवरात्रि तिथि, विशेष पूजन मुहूर्त और चारों पहर की पूजा समय

महाशिवरात्रि 2022 – 1 मार्च 2022, मंगलवार
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ – 1 मार्च 2022, 3:16 AM से
चतुर्दशी तिथि समापन – 2 मार्च 2022, बुधवार को 1 AM तक
प्रथम पहर की पूजा – 1 मार्च 2022 कीशाम 6:21 से 9:27 तक
द्वितीय पहर की पूजा – 1 मार्च को रात्रि 9:27 से 12:33 तक
तृतीय पहर की पूजा – 2 मार्च को रात्रि 12:33 से सुबह 3:39 तक
चतुर्थ पहर की पूजा – 2 मार्च 2022 को सुबह 3:39 से 6:45 तक
व्रत का पारण – 2 मार्च 2022, बुधवार को सुबह 6:45 बजे

ज्योतिष के दृष्टिकोण से शिवरात्रि पर्व:

चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ अर्थात स्वयं शिव ही हैं। इसलिए प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्रों में इस तिथि को अत्यंत शुभ बताया गया है। गणित ज्योतिष के आंकलन के हिसाब से महाशिवरात्रि के समय सूर्य उत्तरायण हो चुके होते हैं और ऋतु-परिवर्तन भी चल रहा होता है। ज्योतिष के अनुसार चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अपनी कमज़ोर स्थिति में आ जाते हैं। चन्द्रमा को शिव जी ने मस्तक पर धारण किया हुआ है — अतः शिवजी के पूजन से व्यक्ति का चंद्र सबल होता है, जो मन का कारक है। दूसरे शब्दों में कहें तो शिव की आराधना इच्छा-शक्ति को मज़बूत करती है और अन्तःकरण में अदम्य साहस व दृढ़ता का संचार करती है।

♦️महाशिवरात्रि की पौराणिक कथा

शिवरात्रि को लेकर बहुत सारी कथाएँ प्रचलित हैं। विवरण मिलता है कि भगवती पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए घनघोर तपस्या की थी। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। यही कारण है कि महाशिवरात्रि को अत्यन्त महत्वपूर्ण और पवित्र माना जाता है।
वहीं गरुड़ पुराण में इस दिन के महत्व को लेकर एक अन्य कथा कही गई है, जिसके अनुसार इस दिन एक निषादराज अपने कुत्ते के साथ शिकार खेलने गया किन्तु उसे कोई शिकार नहीं मिला। वह थककर भूख-प्यास से परेशान हो एक तालाब के किनारे गया, जहाँ बिल्व वृक्ष के नीचे शिवलिंग था। अपने शरीर को आराम देने के लिए उसने कुछ बिल्व-पत्र तोड़े, जो शिवलिंग पर भी गिर गए। अपने पैरों को साफ़ करने के लिए उसने उनपर तालाब का जल छिड़का, जिसकी कुछ बून्दें शिवलिंग पर भी जा गिरीं। ऐसा करते समय उसका एक तीर नीचे गिर गया; जिसे उठाने के लिए वह शिव लिंग के सामने नीचे को झुका। इस तरह शिवरात्रि के दिन शिव-पूजन की पूरी प्रक्रिया उसने अनजाने में ही पूरी कर ली। मृत्यु के बाद जब यमदूत उसे लेने आए, तो शिव के गणों ने उसकी रक्षा की और उन्हें भगा दिया। जब अज्ञानतावश महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर की पूजा का इतना अद्भुत फल है, तो समझ-बूझ कर देवाधिदेव महादेव का पूजन कितना अधिक फलदायी होगा।

पंच पल्लव , पांच पत्तों से प्रसन्न होते हैं भगवान शिव

बेलपत्र( बिल्वपत्र )
शिवपुराण के अनुसार तीनों लोकों में जितने पुण्य तीर्थ हैं वे सभी इस बेलपत्र के मूलभाग में निवास करते हैं. इसलिए कहा जाता है कि बेलपत्र से शिव जी की पूजा करने वाले भक्तों को विशेष अनुकंपा प्राप्त होती है.

विजया भांग के पत्ते
भांग भगवान शिव को अतिप्रिय है. मान्यता है कि जब शिवजी समुद्र मंथन से निकले विष को पीया था तो भांग के पत्तों से ही उनका उपचार किया गया था. इसलिए शिव की पूजा में भांग के पत्तों का विशेष महत्व है.

आक के पत्ते
भगवान शिव को आक के पत्ते व फूल दोनों अतिप्रिय हैं. इसलिए मान्यता है कि आक के पत्ते चढ़ाने वाले भक्तों की भोलेबाबा अकाल मृत्यु से रक्षा करते हैं.

धतूरा का फल व पत्ते
धतूरा के फल और पत्ते का भी शिव जी की पूजा में विशेष महत्व है. शिवपुराण में कहा गया है कि शिव की पूजा में धतूरा का फल और फूल अर्पित करने वालों का घर धन और धान्य से भरा रहता है.

दूर्वा
मान्यता है कि दूर्वा में अमृत बसा होता है और इसे शिव जी को चढ़ाने से अकाल मृत्यु से रक्षा होती है.

महाशिवरात्रि के दिन शिव जी को ऐसे करें प्रसन्न, राशि अनुसार करें महादेव जी की पूजा

मेष राशि:

इस राशि वाले जातक महाशिवरात्रि के दिन शिव जी की गुलाल से पूजा करें और “ॐ ममलेश्वराय नम:” मंत्र का जाप करें, आपको बहुत अधिक लाभ मिलेगा।

वृषभ राशि:

महाशिवरात्रि के दिन इस राशि के लोग शिव जी का दूध से अभिषेक करें और “ॐ नागेश्वराय नम:” मंत्र का जाप करें, सभी कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

मिथुन राशि:

महाशिवरात्रि के दिन मिथुन राशि के जातक शिव जी का गंगा जल से अभिषेक करें और इसके साथ ही “ॐ भूतेश्वराय नम:” मंत्र का जाप करें।

कर्क राशि:

इस राशि के जातकों को महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिये और महादेव के “द्वादश” नाम का स्मरण करना चाहिये।

सिंह राशि:

इस राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का शहद से अभिषेक करें और “ॐ नम: शिवाय” मंत्र का जाप करें।

कन्या राशि:

कन्या राशि के जातक महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का जल में दूध मिलाकर अभिषेक करें और “शिव चालीसा” का पाठ करें।

तुला राशि:

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये महादेव का दही से अभिषेक करें और इस दिन “शिवाष्टक” का पाठ करें।

वृश्चिक राशि:

इस राशि के लोग दूध और घी से शिवजी का अभिषेक करें और “ॐ अंगारेश्वराय नम:” मंत्र का जाप करें।

धनु राशि:

महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का दूध से अभिषेक करें और “ॐ सोमेश्वरायनम:” मंत्र का जाप करें, सभी इच्छाएं जल्द पूरी होंगी।

मकर राशि:

महाशिवरात्रि के दिन मकर राशि वाले जातक भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक करें और साथ ही “शिव सहस्त्रनाम” का पाठ करें।

कुंभ राशि:

इस राशि वाले जातक महाशिवरात्रि के दिन शिव जी का दूध, दही, शक्कर, घी, शहद इन सभी चीजों से अभिषेक करें इसके साथ ही “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।

मीन राशि :

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये महाशिवरात्रि के दिन मौसमी फल के रस से शिव जी का अभिषेक करें, इसके साथ ही “ॐ भामेश्वराय नम:” मंत्र का जाप करें।

आप हम सभी के जीवन में शिव तत्व का उदय हो हमारा जीवन भगवान पार्वतीवल्लभ के श्री चरणों का सदा के लिए ळालाहित रहे
आपको गोरीशंकर के विवाह महोत्सव की बधाई हो

देवाधिदेव शिव सबका कल्याण करे ।