Mahesh Darpan Honored : साहित्यकार महेश दर्पण को हिंदी प्रकाशक संघ ने सम्मानित किया!
NewDelhi : अखिल भारतीय हिंदी प्रकाशक संघ ने वरिष्ठ साहित्यकार महेश दर्पण को हिंदी साहित्य में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए आज सम्मानित किया। हिंदी प्रकाशक संघ के मंगलवार को यहां आयोजित 58वें वार्षिक सम्मेलन में दर्पण को 11000 रुपए, प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह तथा शॉल भेंट कर सम्मानित किया। संघ ने इस मौके पर पत्रकार दयानंद पांडे को भी सम्मानित किया।
समारोह को संबोधित करते हुए दर्पण ने कहा कि लेखक जब शब्द का प्रयोग करता है और प्रकाशक उसे पुस्तक के रूप में सामने रखता है तो इससे दुनिया में बदलाव आता है। सबसे महत्वपूर्ण है ईमानदारी और ईमानदार होकर काम करने से ही इंसानियत बची रहती है। समाज को बचाना आवश्यक है और यदि हम समाज को नहीं बचा सकते हैं तो यह कहने का कोई औचित्य नहीं है कि हम बडे लेखक और प्रकाशक हैं।
उन्होंने कहा कि जिन लेखकों को कोई नहीं जानता था हिंदी ने ऐसे कई लेखकों को महत्वपूर्ण लेखक बनाया है। हिंदी वह भाषा है जिस भाषा में लिखकर कई साहित्यकार राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हुए हैं। हिंदी के लेखक और प्रकाशक दोनों महत्वपूर्ण हैं और ईमानदारी इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि ईमानदारी ही इंसानियत को बचाए रख सकती है। कवि एवं पत्रकार राधेश्याम तिवारी ने कहा कि प्रकाशकों के प्रति वर्तमान सरकार उदासीन है इसलिए प्रकाशकों को बताना चाहिए कि पुस्तकें क्या होती हैं और इस बारे में चर्चा भी की जानी चाहिए।
लेखिका पुष्पा सिंह बिसेन ने कहा कि प्रकाशकों को लेखकों और पाठकों से निरंतर सामंजस्य बनाए रखकर काम करने और प्रकाशित पुस्तकों को आम पाठकों तक पहुंचाने के लिए काम करने की आवश्यकता है। उनका कहना था कि वह कई पुस्तकें लिख चुकी हैं और उन्हें लगता है कि लेखक, प्रकाशक और पाठक के बीच बड़ा संवाद स्थापित कर सामंजस्य बनाए रखना बहुत आवश्यक है। दयानंद पांडे ने कहा कि प्रकाशकों को सिर्फ सरकारी खरीद के भरोसे नहीं रहना चाहिए। डॉ श्याम सिंह शशि ने कहा कि लिखते रहना और पढते रहने में ही जीवंतता है और इस जीवंतता को बनाए रखने की आवश्यकता है।