

Mahua Moitra’s Expulsion is Illegal : संसद से TMC की महुआ मोइत्रा का निष्कासन अवैध, IPU की रिपोर्ट में कई बातों का खुलासा!
Geneva : इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन (IPU) ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन को ‘कानूनी रूप से अवैध’ करार दिया है। IPU की मानवाधिकार समिति की रिपोर्ट के अनुसार, महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित करने का निर्णय किसी कानूनी आधार पर नहीं लिया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि किसी व्यक्ति को ऐसे अपराध के लिए दंडित नहीं किया जा सकता, जो उस समय कानूनन अपराध नहीं था। महुआ मोइत्रा का निष्कासन इस सिद्धांत का उल्लंघन करता है।
IPU ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि महुआ का निष्कासन न केवल अनुचित था, बल्कि इससे भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया भी प्रभावित हुई। रिपोर्ट के अनुसार, महुआ को अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया। उनके खिलाफ लोकसभा की आचार समिति द्वारा ‘संदिग्ध प्रक्रिया’ अपनाई गई। उनके निष्कासन के दौरान विपक्षी सांसदों की आपत्तियों को नजरअंदाज कर दिया।
भ्रष्टाचार पर सवाल उठाने की सज़ा
IPU ने इस बात पर चिंता जताई कि महुआ मोइत्रा को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि उन्होंने मोदी सरकार पर ‘पसंदीदा उद्योगपतियों’ को लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट के मुताबिक महुआ का निष्कासन भ्रष्टाचार, मिलीभगत और धोखाधड़ी पर सवाल उठाने की सज़ा था।
राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा या राजनीतिक साजिश?
महुआ मोइत्रा पर आरोप था कि उन्होंने व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से कथित रूप से रिश्वत लेकर संसद में सवाल उठाए। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहदराई ने आरोप लगाया कि महुआ ने अपने आधिकारिक लोकसभा ईमेल का लॉगिन विवरण हीरानंदानी को दिया, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता हुआ। हालांकि, IPU की रिपोर्ट में कहा गया कि संसदीय ऑनलाइन पोर्टल की साइबर सुरक्षा का दायित्व संसद का है, न कि व्यक्तिगत सांसद का।
महुआ को मिला अंतरराष्ट्रीय समर्थन
IPU ने महुआ के पक्ष में खड़े होते हुए कहा कि उनका निष्कासन न केवल उनकी संसदीय जिम्मेदारी को बाधित करता है, बल्कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं के अधिकार का भी हनन है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि महुआ मोइत्रा को भाजपा सरकार के निशाने पर लिया गया और उनके दुबारा निर्वाचित होने के बाद भी उन्हें संसद में धमकाया गया और ‘अपमानजनक भाषा’ का सामना करना पड़ा।
लोकतंत्र को खतरा
IPU ने 1997 में अपनाई गई ‘यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑन डेमोक्रेसी’ का हवाला देते हुए कहा कि लोकतंत्र की प्रक्रिया में सभी नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। निष्पक्षता, विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखना आवश्यक है।
भारतीय संसद को चेतावनी
IPU ने लोकसभा अध्यक्ष को रिपोर्ट भेजकर महुआ मोइत्रा और अन्य महिला सांसदों के अधिकारों की रक्षा की मांग की है। संगठन ने चेतावनी दी कि यदि भारत में विपक्षी सांसदों को दबाने का प्रयास जारी रहा, तो यह लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा होगा। महुआ मोइत्रा का निष्कासन केवल एक सांसद का मामला नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र में विपक्ष की आवाज़ दबाने का प्रतीक बन गया है। IPU ने इस घटना को लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन करार देते हुए निष्पक्ष जांच और उचित न्याय की मांग की है।
इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन (IPU) क्या है?
इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन (IPU) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो दुनियाभर की राष्ट्रीय संसदों का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी स्थापना 1889 में हुई थी और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है। IPU का उद्देश्य वैश्विक शांति, लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा करना है।
IPU के मुख्य उद्देश्य
– लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा : IPU विभिन्न देशों की संसदों में लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने और सांसदों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है।
– संसदीय कूटनीति को बढ़ावा : यह संगठन विभिन्न देशों की संसदों के बीच संवाद और सहयोग को बढ़ावा देता है।
– संसदीय क्षमता का विकास : IPU संसदों को सशक्त बनाने और उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, कार्यशालाओं और संसदीय मामलों पर सहायता प्रदान करता है।
– लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण : संगठन संसदों में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय रूप से काम करता है।
– संसदों के बीच विवाद समाधान : IPU सदस्य देशों के संसदों के बीच राजनीतिक और कूटनीतिक विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने में सहायता करता है।
IPU की सदस्यता
IPU में वर्तमान में 180 से अधिक देशों की संसदें सदस्य हैं, जिनमें भारत भी शामिल है। यह संगठन दुनिया के अधिकांश संसदों का प्रतिनिधित्व करता है।
महत्वपूर्ण पहल
– मानवाधिकार रक्षा : IPU सांसदों के मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में हस्तक्षेप करता है, जैसे महुआ मोइत्रा का मामला।
– जलवायु परिवर्तन पर पहल : यह संगठन जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक मुद्दों पर सांसदों को जागरूक करता है और नीतिगत सुझाव देता है।
– शांति स्थापना में भूमिका : IPU युद्ध और संघर्ष से प्रभावित देशों में शांति वार्ता को बढ़ावा देता है।
भारत और IPU
भारत IPU का सदस्य है और इसकी संसद नियमित रूप से IPU की बैठकों और सम्मेलनों में भाग लेती है। IPU भारत में मानवाधिकार और संसदीय स्वतंत्रता के मुद्दों पर भी नजर रखता है, जैसा कि हाल ही में महुआ मोइत्रा मामले में देखा गया। IPU वैश्विक स्तर पर सांसदों के लिए एक मंच, प्रहरी और मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है। यह लोकतंत्र को मजबूत करने और सांसदों के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।