क्रेक ट्राली पर चल रही नर्मदा एक्सप्रेस पर रेलकर्मियों की सतर्कता से टला बड़ा हादसा

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क्रेक ट्राली पर चल रही नर्मदा एक्सप्रेस पर रेलकर्मियों की सतर्कता से टला बड़ा हादसा

इटारसी से चंद्रकांत अग्रवाल की रिपोर्ट

इटारसी। इंदौर से बिलासपुर जाने वाली 18233 इंदौर-बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस बुधवार रात बड़े हादसे का शिकार होने से बच गई। ट्रेन जब स्टेशन के प्लेटफार्म तीन पर प्रवेश कर रही थी, तभी रोलिंग इन जांच में कैरिज एंड वैगन विभाग के रेलकर्मियों की नजर गार्ड यान के आगे लगे जनरल कोच की ट्राली पर पड़ी। बांई ओर की इस ट्रेलिंग ट्राली की फ्रेम में बड़ा क्रेक नजर आया, जिसे देखकर रेलकर्मियों के होश उड़ गए। प्लेटफार्म पर लगते ही इसकी सूचना अधिकारियों को दी गई। क्रेक देखने के बाद अफसरों ने इस कोच को सिक कर दिया गया। करीब सवा घंटे सुरक्षा कारणों से ट्रेन यहां रोकी गई। हादसे की वजह से ट्रेन करीब सवा घंटे इटारसी स्टेशन पर खड़ी रही। रात 12:05 मिनट पर आई ट्रेन को सवा घंटे बाद रात 1:20 मिनट पर यहां से रवाना किया गया।

जनरल कोच के करीब 100 यात्रियों को टीटीई स्टाफ एवं आरपीएफ की मदद से एक स्लीपर कोच में भेजा गया। शटिंग के बाद कोच काटकर इसे मरम्मत हेतु यार्ड भेजा गया है। जब ट्रेन रोककर यात्रियों से कोच खाली करने को कहा गया, तब अधिकांश यात्री गहरी नींद में थे, उन्हें अधिकारियों ने बताया कि यह कोच खराब है, सारे यात्री स्लीपर कोच में भेजे गए, यात्रियों को पता चला कि उनके कोच की ट्राली क्रेक थी, यदि ट्रेन इसी हालत में चलाई जाती तो 20-50 किमी. चलकर ट्राली बैठ जाती। ट्रेनों के पहियों के पास दोनों तरफ ट्रेलिंग ट्राली होती है, जिस पर पूरे कोच का बोझ रहता है, कोच क्रं. एसईसीआर 124451 जीएस की बांई ट्राली में क्रेक था।

रोलिंग इन जांच में बड़ी लाइट एवं कैमरों की मदद से हर कोच की जांच होती है। एसएसई उमेश प्रजापति, टैक्नीशियन रामनरेश मीना, हेल्पर शिवपाल अहिरवार की सतर्कता से क्रेक समय रहते देख लिया गया। सूचना पर एडीएमई आशीष झारिया, एसएसई सीएंडडब्लयू राजेश सूर्यवंशी, टीटीई महेश लिंगायत समेत पूरी रेलवे टीम ने माैके पर जाकर यात्रियों को दूसरे कोच में शिफ्ट कराया। अधिकारियों के अनुसार रोलिंग इन जांच बड़े स्टेशनों पर होती है, इंदौर से चली ट्रेन की जांच भोपाल में हुई,लेकिन वहां क्रेक नहीं देखा गया।

90 किमी. का सफर कर ट्रेन इटारसी आ गई। यदि यहां सतर्कता नहीं बरती जाती तो जांच जबलपुर में ही होती, लेकिन इस बीच पूरी ट्रेन सिक कोच के कारण ड्रिलमेंट का शिकार हो सकती थी। अब रेल विभाग सतर्कता बरतने वाली टीम को सम्मानित करने की बात कह रही है, इसके लिए वरिष्ठ अधिकारियों से पत्राचार किया जाएगा। किसी भी ट्रेन का रैक लगाने पर उसकी फिटनेस जांच होती है, यह क्रेक कब आया, कैसे खराबी आई और रास्ते में इसे देखा क्यों नहीं गया, इसकी जांच की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार कड़ाके की ठंड में जब तापमान अत्याधिक गिर जाता है, तब भी लोहा सिकुड़ने से पटरी या ट्राली क्रेक की घटनाएं होती है, इस हादसे की जांच भी कराई जाएगी।