‘मात’ खाती ‘ममता’…

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‘मात’ खाती ‘ममता’…

कुछ समय पहले पूर्वी बंगाल जल रहा था और ताज्जुब की बात कि सत्ता के तख्त पर बैठे सवार को पलटाकर आग पूरी तरह से शांत होकर सुकून देने वाले बादलों में बदल गई है। और अब कुछ समय बाद पश्चिम बंगाल भी वैसे ही जल रहा है। आग इतनी भयावह है, सत्ता के सिंहासन पर बैठी ममता को डर लगने लगा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कह रही हैं कि अगर पीएम मोदी बंगाल को जलाएंगे तो असम, पूर्वोत्तर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और दिल्ली सहित अन्य राज्य भी जलेंगे। आपकी कुर्सी हिल जाएगी। तो असम भी ममता पर भड़के बिना नहीं रह सका। असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने एक्स पर पोस्ट किया कि दीदी, असम को धमकाने की आपकी हिम्मत कैसे हुई। हमें लाल आंखें मत दिखाइए। अपनी असफलता की राजनीति से भारत को जलाने की कोशिश मत कीजिए। आपको विभाजनकारी भाषा बोलना शोभा नहीं देता। दरअसल पश्चिम बंगाल में जो चल रहा है, वह कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर से रेप के बाद ममता को मात देने का विध्वंसक खेल नजर आने लगा है। ममता को भी पहली बार आग में झुलसते देखा जा रहा है। रेप पर मौत की सजा वाला कानून लाने की घोषणा में ममता मात खाई शेरनी की तरह ही नजर आ रही हैं। तेरह साल की सत्ता में पहली बार दीदी की दादागिरी दम तोड़ती नजर आई है। क्योंकि शिकंजा कड़ा है, यह दीदी को साफ दिख रहा है। जहां पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन हो रहे हैं, वहीं राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं। भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने महिला अपराध पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि बस बहुत हुआ, बेटियों के खिलाफ अपराध बर्दाश्त नहीं। मैं इस हालात से निराश और भयभीत हूं। दरअसल राष्ट्रपति मुर्मू दीदी के जले पर नमक छिड़क रही हैं। क्योंकि यह देश में बच्चा-बच्चा समझ गया है कि पहली बार दीदी हालातों से निराश और भयभीत हो गई हैं। यह सभी को समझ आ रहा है कि मुर्मू खुद कुछ नहीं बोलतीं, बल्कि वही स्क्रिप्ट वाचती हैं जो मोदी के भावों को समझकर लिखी जाती है। तो ममता पहली बार मात खाती नजर आ रही हैं। और पश्चिम बंगाल करवट लेने को तैयार बैठा है। घड़ी का कांटा कभी भी पश्चिम बंगाल की वर्तमान सत्ता के बारह बजा सकता है। और तब पश्चिम बंगाल कांग्रेस, वामपंथ और तृणमूल के बाद कमल के खिलने का साक्षी बन सकता है। ताज्जुब की बात यह है कि जो हिम्मत मोदी भाजपा के पूर्ण बहुमत वाली एनडीए सरकार में नहीं जुटा पाए, वक्त ने वह हालात अब गठबंधन पर आश्रित मोदी सरकार के समय बना दिए हैं।
केंद्रीय मंत्री और बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी कोलकाता में ‘हिंसा की वकालत’ करने के लिए ममता बनर्जी के खिलाफ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक शिकायती पत्र लिखा है। तो असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ममता पर पूरे भारत में अशांति फैलाने और विभाजनकारी राजनीति करने का आरोप लगाया। वहीं असम के जल संसाधन मंत्री पीयूष हजारिका ने कहा कि वह हमें धमका नहीं सकती। वह अपने राज्य में कानून व्यवस्था को नियंत्रित नहीं कर सकती और हमें धमकी दे रही हैं। असम में ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मैं ममता बनर्जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि वह एक बहुत वरिष्ठ नेता हैं और लंबे समय तक सीएम रहीं, उन्हें पता होना चाहिए कि सार्वजनिक रूप से कैसे बोलना है। असम में तब तक ऐसा कुछ नहीं होगा, जब तक यहां भाजपा सरकार है और हिमंत बिस्वा सरमा सीएम हैं। हिमंत बिस्वा सरमा तो राजनीति के आकाश में फिलहाल वह तारा हैं, जिसकी चमक सबसे ज्यादा है। जो झारखंड हो या पूरा देश, सभी जगह दिशा तय कर रहा है। आरजी कर घटना विरोध में देशभर में नाराजगी है। बीते दिनों राज्य सचिवालय ‘नबन्ना’ तक प्रदर्शनकारियों के पहुंचने के प्रयासों के दौरान कई स्थानों पर पुलिस के साथ झड़पें हुईं। कोलकाता और हावड़ा की सड़कों पर बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। राज्यभर में 200 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।
पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट के बैनर तले डॉक्टरों ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार हुई महिला डॉक्टर के लिए न्याय की मांग करते हुए श्यामबाजार से धर्मतला तक विरोध मार्च निकाला।तो पश्चिम बंगाल में ‘छात्र समाज’ के नबन्ना मार्च को लेकर बवाल मचा हुआ है। ‘छात्र समाज’ ने यह मार्च आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुए डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के विरोध में आयोजित किया। ‘छात्र समाज’ कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर उभरा एक संगठन है। और अब ‘सोशल मीडिया’ सरकार बनाने और गिराने का मजबूत हथियार बन चुका है। तो यह दिलचस्प और गौर करने वाली बात है कि ‘ममता’, ‘मोदी और मुर्मू’ से मात खा रही हैं या ‘सोशल मीडिया’ की पीठ पर सवार ‘छात्र समाज’ जैसे संगठनों से…जो कभी ओझल थे, पर अब स्क्रीन पर सबसे ज्यादा असरकारी हैं…। खेल दिवस पर बड़ा खेल देखने को मिल सकता है…दादा ध्यानचंद को नमन…।