Mandi Closed : मंडी टैक्स को लेकर चौथे दिन भी मंडी बंद, अनिश्चितकालीन हड़ताल!

दीपावली त्यौहार के पहले कपास की मंडी में खरीदी बंद होने से किसानो की चिंता बढी

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Mandi Closed : मंडी टैक्स को लेकर चौथे दिन भी मंडी बंद, अनिश्चितकालीन हड़ताल!

आशुतोष पुरोहित खरगोन की रिपोर्ट

Khargon : मध्य प्रदेश के मध्यांचल कॉटन जिनिंग एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन से जुड़े कपास व्यवसायियों और उद्योगपतियों ने विभिन्न परेशानियों के चलते मंडी टैक्स कम करने की मांग को लेकर लगातार पूरे प्रदेश में हड़ताल लगातार चौथे दिन भी जारी है। हडताल का असर देखा जा रहा है। अब किसान परेशान हो रहे है। दीपावली के त्यौहार के पहले सफेद सोना यानि कपास की बंपर आवक होती है। मंडी में खरीदी बंद होने से किसानो की अब चिंता बढ गई है। पिछले दिनो लगातार हो रही बारिश के चलते किसानो अपनी उपज कहाॅ रखे किसानो के सामने समास्या है। इधर पूरे प्रदेश में कपास मंडी बंद होने से सरकार को भी लाखो रूपये के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। लंबे समय से महाराष्ट्र और गुजरात के तर्ज पर 50 पैसे मंडी टैक्स लेने की मांग व्यापारियों के द्रवारा की जा रही है।

 

एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष मनजीत सिंह चावला ने बताया कि प्रदेश के समस्त कपास व्यवसाई और उद्योगपतियों ने मंडी टैक्स कम करने के लिए शासन का ध्यान आकर्षित करने हेतु 3 अक्टूबर को 1 दिन की सांकेतिक हड़ताल रखी थी। इस हड़ताल का कोई असर नहीं होने पर 11 अक्टूबर से पूरे प्रदेश के कपास उत्पादक जिलो खंडवा बुरहानपुर खरगोन बड़वानी धार और रतलाम के व्यवसायियों और उद्योगपतियों ने अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। इसके तहत 35 से अधिक मंडियों में चार दिन से कपास से जुड़ा कामकाज नहीं किया गया।
मध्यांचल कॉटन जिनिंग एंड ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विनोद जैन ने बताया की मध्य प्रदेश में मंडी टैक्स 1.50% और निराश्रित शुल्क 0 .20% है जबकि अन्य कपास उत्पादक प्रदेशों जैसे महाराष्ट्र और गुजरात में यह मात्र 0.25 से 0.50% है। भाव मे बड़े सफर्क के चलते मध्य प्रदेश का कपास समीपवर्ती प्रदेशों में चला जाता है और पर्याप्त कच्चा माल नहीं होने से यहां के उद्योग अपनी क्षमता के 50% क्षमता पर ही चल पाते हैं, जिससे प्रदेश के जिनिंग उद्योग का पलायन हो रहा है। मंडी टैक्स में बड़े अंतर के चलते हम अन्य प्रांतों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रदेश में नए उद्योगों को स्थापित करने हेतु निवेश लाने के प्रयास कर रहे हैं लेकिन मध्यप्रदेश में अधिक भाव के कपास के चलते इससे जुड़े जिनिंग, स्पिनिंग, वीविंग,और स्टिचिंग यूनिट की स्थापना पर विपरीत असर पड़ रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि मंडी शुल्क 0.50% हो जाता है तो मध्य प्रदेश का 1500 करोड़ रुपए का कपास बाहर जाने से रुकेगा और करीब इतना ही कपास पड़ोसी प्रदेशों से हमारे प्रदेश में आने लगेगा और सरकार को अधिक टैक्स मिलने लगेगा।
जैन का कहना है की फिलहाल प्रदेश में 20 से 22 लाख गठान बनती है लेकिन मंडी टैक्स कम होने की स्थिति में इसके निर्माण में काफी वृद्धि हो जाएगी। इससे जहां किसान को अपनी उपज का सही मूल्य मिल पाएगा वही मजदूरों का पलायन भी रुकेगा। खरगोन मंडी व्यापारी संघ के पदाधिकारी नरेन्द्र गांधी ने बताया कि 2016 तक 0.50% मंडी शुल्क ही लगता था और प्रदेश के 6 जिलों में स्थापित करीब 175 जिनिंग फैक्ट्रियों से 30000 परिवारों को रोजगार मिलता था। लेकिन अब हालात यह हैं कि मंडी टैक्स कम नहीं होने तथा अन्य प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण सीमांत क्षेत्रों जैसे सेंधवा खेतिया बुरहानपुर खरगोन खंडवा सौसर और पांढुर्ना से जिनिंग उद्योग पलायन कर गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि 0.20% निराश्रित शुल्क बांग्लादेशी निराश्रितों के लिए 1960 के दशक में लागू किया गया था ,जिसका अब कोई औचित्य नहीं है।

इधर किसान श्याम रघुवंशी ने प्रदेश सरकार प्रदेश के कृषि और जिले के कृषि मंत्री कमल पटेल से गुहार लगाई है की दीपावली के त्यौहार के पहले मंडी बंद होने से किसान परेशान है। कपास की भरपूर आवक हो रही है। कृषि मंत्री को व्यापारियों से बातचीत कर हडताल समाप्त करना चाहिये। किसान का कपास खराब हो जायेगा। किसानो को रूक रूक कर हो रही बारिश से कपास के भण्डारण की भी समास्या आ रही है। सरकार को किसानो के हित में आगे आना होगा। वही खरगोन के मंडी सचिव केडी अग्निहोत्री ने बताया कि व्यवसायियों की हडताल से मंडी का काम पूरी तरह से बंद है। व्यवसायियों की शासन स्तर पर हल होने वाली मांगों के लिए उनका ज्ञापन प्रेषित किया गया है। व्यापारियों को समझाया जा रहा है। शासन स्तर पर मंडी टैक्स का निर्णय होना है। जल्द ही किसानो के हित में मंडी शुरू करायेगे।