मंदसौर से डॉ. घनश्याम बटवाल की
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मंदसौर । नगर के एक सेवाभावी और सामाजिक कार्यकर्ता श्री सुनील बंसल के हृदय में विशिष्ट प्रकार की धर्म सेवा का जुनून सवार है जो तीन दशकों से अनवरत चल रहा है । जी हां , श्री बंसल अपने साथियों के साथ प्रति वर्ष निराश्रितों , असमर्थ और गरीब परिवारों के मृतकों की अस्थियां , लावारिस मृतकों की अस्थियां , अन्य समाज जनों द्वारा सौपीं गई अस्थियां
एकत्र कर श्रद्धा और आदर के साथ हर की पौड़ी हरिद्वार लेकर जाते हैं और विधिविधान से वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पवित्र गंगा में प्रवाहित करते हैं । गंगाघाट पर पिंड दान , तर्पण क्रियाओं का पालन भी हरिद्वार के पंडा जी माध्यम से सम्पन्न कराते हैं ।
कोरोना काल में लाकडाउन और परिवहन व्यवधान होने से अनेक परिजनों को कठिनाई हुई । हिंदू और सनातन धर्म में मान्यता है कि मृतकों की अंतिम क्रिया अस्थियां विसर्जन के साथ पूर्ण होती है । वैसे तो सभी पवित्र नदियों गंगा , जमुना , गोदावरी , शिप्रा , नर्मदा , चम्बल , कावेरी सहित अन्य प्रमुख नदियों में अंतिम क्रिया कर्म और अस्थि विसर्जन की प्रचलित व्यवस्था और मान्यता है । इसमें गंगा किनारे हर की पौड़ी का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों , पुराणों आदि में मिलता है
इस बार श्री सुनील बंसल और साथियों द्वारा 47 महिलाओं , 96 पुरुषों के अलावा 10 मृतक वानरों की एकत्र अस्थियां हरिद्वार लेकर गए और मंगलवार 28 सितंबर को विधिपूर्वक पूजन , अर्चन , पिंड दान करते हुए गंगा में प्रवाहित की ।
गायत्री परिवार , दशपुर जागृति संगठन व अन्य संस्थाओं की उपस्थिति में अस्थि कलश पूजा अर्चना के बाद हरिद्वार के लिये रवाना किये गए ।
निष्काम भाव से यह सेवाव्रत श्री बंसल अपनी मातुश्री स्व. श्रीमती मणि देवी बंसल पारमार्थिक ट्रस्ट के माध्यम से कर रहे हैं ।
श्री बंसल ने एक चर्चा में इस प्रतिनिधि को बताया कि गरीब , कमजोर और असमर्थ परिजन इंतज़ार करते हैं कि उनके परिवार जनों के मृतकों की अस्थियां उनके माध्यम से गंगाजी में प्रवाहित कराएंगे । नगर ही नहीं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी अस्थियां उनके पास लेकर आते हैं ।
लगातार यह सेवा क्रम चलने से समाज और लोगों में विश्वास होगया है । हम भी पूर्ण भावना और श्रद्धा से यह क्रिया विधि पूर्ण कराते हैं ।
श्री बंसल कहते हैं अस्थि विसर्जन क्रिया से बहुत शान्ति और संतोष मिलता है ।
यह संकल्प सेवा तीस सालों से अनवरत सबके सहयोग से चल रही है । अब तक बारह सौ से अधिक मृतकों की अस्थियां धार्मिक क्रियाओं के साथ गंगा जी में प्रवाहित कराई है ।
वे कहते हैं इस सेवा कार्य के लिये किसी भी प्रकार की राशि नहीं ली जाती है । हरिद्वार से लौट कर गंगाजल भी संबंधित परिवार जनों को उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं ।
श्री बंसल स्थानीय मुक्ति धाम में निराश्रित , लावारिस , कोरोना पीड़ितों आदि के मृतकों के अंतिम संस्कार भी अपने साथियों के साथ सम्मान पूर्वक कराते हैं ।
श्री बंसल की सामाजिक सेवाओं और मानव अधिकार कार्यो से प्रभावित होकर राष्ट्रीय मानव अधिकार मिशन , नई दिल्ली द्वारा आजीवन मानद सदस्यता प्रदान की है । विभिन्न संस्थाओं द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया गया है । जनपरिषद , भोपाल द्वारा उत्कृष्ट कोरोना योद्धा सम्मान दिया गया ।
26 सितंबर को रवाना होकर श्री बंसल के साथ 153 मृतकों के अस्थि कलश लेकर शम्भूसेन राठौर , भरत शिंदे , पंकज पोरवाल , कंवर लाल पुरोहित , सज्जन खिमेसरा , नरेंद्र पांडे , बंटी माहेश्वरी साथ हरिद्वार पहुंचे और मंगलवार को दोपहर सभी अस्थि कलश को गंगा जी में प्रवाहित किया ।