
सिकल सेल उन्मूलन प्रयासों में मध्यप्रदेश में जिंदा रहेंगे मंगू भाई …
कौशल किशोर चतुर्वेदी
वैसे तो राज्यपाल मंगू भाई पटेल का कार्यकाल मध्य प्रदेश में कई घटनाओं के लिए जाना जाएगा। पर मध्य प्रदेश में राज्यपाल के रूप में यदि उनके सबसे महत्वपूर्ण कार्य की बात होगी तो सिकल सेल उन्मूलन के लिए किए गए उनके प्रयास स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज किए जाएंगे। हर व्यक्ति का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य होता है कि जिस समाज ने उसे जन्म दिया है और पाल-पोसकर बड़ा किया है, उस समाज के लिए वह अपने जीवन में कुछ योगदान कर पाए। और आदिवासी समाज का होने के नाते मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल यहां के जनजाति समाज में फैले सिकल सेल रोग के उन्मूलन के लिए जिस स्तर पर प्रयास कर रहे हैं वह वाकई सराहनीय है और समाज को बहुत कुछ लौटाने में उनके यह प्रयास किसी महायज्ञ से कम नहीं हैं। और उनके प्रयासों में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव और उपमुख्यमंत्री सह स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल सारथी बनकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। विश्व सिकल सेल दिवस पर बड़वानी में हुए राज्य स्तरीय सम्मेलन में राज्यपाल मंगू भाई पटेल का उत्साह देखकर उनके समर्पण का अंदाजा लगाया जा सकता था। जैसा कि उन्होंने कहा भी कि सिकल सेल के संपूर्ण उन्मूलन के लिए हम सबकी सक्रिय सामूहिक भागीदारी आवश्यक है। सबके विश्वास, साथ और प्रयासों से ही रोग का उन्मूलन होगा। वास्तव में देखा जाए तो मध्य प्रदेश में राज्यपाल मंगू भाई पटेल के प्रयासों से ही सिकल सेल उन्मूलन में सबका साथ पूर्णता लिए है और आदिवासी समाज में इस रोग से मुक्त होने का विश्वास भी जागा है।
राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने स्वयं जनजातीय समुदाय से आने की बात कहते हुए समुदाय के प्रतिनिधियों से अपील की है कि जनजातीय क्षेत्रों में सिकल सेल के जनजागरण प्रयासों में सतत्, सक्रिय और संवेदनशीलता के साथ सहयोग करें। उन्होंने मीडिया से भी अपील की कि सिकल सेल उन्मूलन के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार में सहयोगी बनें। वास्तव में मध्य प्रदेश में सिकल सेल उन्मूलन के प्रति जनजातीय समाज में जो जागरूकता दिख रही है वह सतत रूप से किए गए राज्यपाल मंगू भाई पटेल के प्रयासों का प्रतिफल ही है। मध्य प्रदेश में वह अपने कार्यकाल के पहले साल से लेकर अब तक लगातार सिकल सेल उन्मूलन पर चिंतन-मनन कर योजनाबद्ध तरीके से प्रयासों को फलीभूत होने के लक्ष्य तक पहुंचा रहे हैं। और वह इस उपलब्धि के लिए सबको श्रेय देकर गदगद भी हैं। राज्यपाल पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जनजाति जीवन के कल्याण और सशक्तिकरण के लिए समर्पित और संवेदनशील व्यक्तित्व है। उनके नेतृत्व में भारत में जनजाति कल्याण का स्वर्ण युग चल रहा है। सिकल सेल उन्मूलन मिशन के तहत प्रदेश सरकार सराहनीय कार्य कर रही है। उन्होंने सिकल सेल उन्मूलन प्रयासों के लिए राज्य सरकार की पूरी टीम को बधाई दी। पर करीब से देखने वाला हर व्यक्ति यह समझ सकता है कि मध्यप्रदेश में केंद्र में मंगू भाई पटेल का चेहरा ही है जो टीमवर्क के साथ सिकल सेल पर लगातार आघात कर रहा है। जनजाति समाज में फैले सिकल सेल रोग की वेदना मंगू भाई के मन में समाई है। और उनकी यही वेदना जनजाति समाज को सिकल सेल से मुक्ति देकर विजय रूप में परिणत होती दिख रही है। उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई करने वाले जनजाति समुदाय के विद्यार्थियों से अपील की कि वे सिकल सेल रोग उन्मूलन के क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल करें। इस बीमारी पर शोध करें। अपने ग्रामीण अंचलों में जागरूकता प्रयासों में सहभागी बनें। अपने ज्ञान और प्रतिभा का उपयोग अपने समुदाय के कल्याण और विकास में करें। वास्तव में उनकी यह भावना जनजाति समाज के होनहार छात्र-छात्राओं में रंग ला चुकी है। और इस कार्यक्रम में भी ऐसी ही दो होनहार आदिवासी महिला स्वास्थ्य अधिकारियों को सिकल सेल उन्मूलन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए सम्मानित भी किया गया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हमारे समाज में शादी से पहले कुंडली मिलान की परंपरा है। अब समय आ गया है कि कुंडली के साथ हम वर-वधु का ‘सिकल सेल जेनेटिक कार्ड’ भी मिलाएं। पति-पत्नी दोनों को सिकल सेल से पीड़ित नहीं होना चाहिए वरना बच्चों का भविष्य सुरक्षित नहीं किया जा सकता है। और इस बीमारी का पता जितनी जल्दी चल जाए इसे नियंत्रित करने और रोगी को स्वस्थ रखने की संभावना उतनी ही अधिक होती है। प्रदेश का जनजातीय समाज बड़ी संख्या में इस बीमारी से प्रभावित है। सिकल सेल हमारे लिए केवल एक स्वास्थ्य संकट नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक चुनौती भी है। वर्ष 2047 तक सिकल सेल को जड़ से मिटाने का लक्ष्य लेकर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में “राष्ट्रीय सिकल सेल उन्मूलन मिशन-2047” प्रारंभ किया गया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्क्रीनिंग, रोग प्रबंधन, परामर्श और जन-जागरूकता, इन चारों महत्वपूर्ण स्तरों पर प्रदेश में समन्वित रूप से कार्य किया जा रहा है। प्रदेश में अब तक 1 करोड़ 6 लाख से अधिक नागरिकों की सिकल सेल स्क्रीनिंग पूरी की जा चुकी है। सभी चिन्हित मरीजों को हाइड्रॉक्सी यूरिया, फॉलिक एसिड और नि:शुल्क रक्तदान की सुविधा दी जा रही है। सिकल सेल रोगियों की जेनेटिक कॉउंसिलिंग का कार्य भी जारी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने साझा किया कि राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने प्रदेश ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर पर सिकल सेल एमीनिया के प्रति जागरुकता अभियान चलाया है। प्रदेश के जनजातीय क्षेत्र को इसका लाभ मिला है।
वहीं उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने बताया कि वर्ष 2024-25 में 90 लाख स्क्रीनिंग लक्ष्य पर मध्यप्रदेश 97 लाख नागरिकों की स्क्रीनिंग कर देश में अग्रणी रहा है। अब तक 1 करोड़ 6 लाख नागरिकों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। 1 करोड़ 40 लाख नागरिकों की स्क्रीनिंग शीघ्र सुनिश्चित करने के लिए 1 जुलाई से 100 दिवस का विशेष अभियान चलाया जाएगा। अब तक 2 लाख से अधिक सिकल सेल वाहक और 29,277 सिकल सेल रोगी चिन्हित हुए हैं। 80 लाख 9 हजार से अधिक सिकल सेल कार्ड वितरित किये जा चुके हैं। 26,115 मरीजों को हाइड्रॉक्सी यूरिया दवा से उपचार मिला है। स्वास्थ्य सेवाओं का सतत विस्तार किया जा रहा है। उन्होंने भी कहा कि राज्यपाल पटेल के सतत् प्रयासों से अभियान को कसावट मिली है।
तो यह कहने में कोई हर्ज नहीं है कि भले ही मध्य प्रदेश में सिकल सेल उन्मूलन के लिए मध्य प्रदेश सरकार डॉ. मोहन यादव, राजेंद्र शुक्ल सहित पूरा अमला हाथ, पैर, नाक, कान, मुंह के रूप में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हों, पर सिकल सेल उन्मूलन के इस महत्वपूर्ण महायज्ञ में दिल और दिमाग के रूप में राज्यपाल मंगू भाई पटेल ही मौजूद हैं। और सिकल सेल उन्मूलन प्रयासों में मध्यप्रदेश में मंगू भाई पटेल हमेशा जिंदा रहेंगे… और पूरे देश में भी उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकेगा…।





