Marital Rape: ‘वैवाहिक बलात्कार’ अपराध या नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट के जज एकमत नहीं

मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट में 3 जजों की बेंच को सौंपा

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Marital Rape

Marital Rape: ‘वैवाहिक बलात्कार’ अपराध या नहीं, दिल्ली हाई कोर्ट के जज एकमत नहीं, मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट में

Marital Rape: भारत में ‘वैवाहिक बलात्कार’ यानी ‘मैरिटल रेप’ कानून की नज़र में अपराध नहीं है. यानी अगर पति अपनी पत्नी की मर्ज़ी के बगैर उससे जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे अपराध नहीं माना जाता.

इस मुद्दे को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के जजों की राय एकमत नहीं है। हाई कोर्ट के एक जज ने मैरिटल रेप (Marital Rape) को अपराध माना जबकि दूसरे जज ने यह कहकर असहमति जता दी कि यह संविधान का उल्लंघन नहीं करता है।

दिल्ली हाई कोर्ट में ‘मैरिटल रेप’ को ‘अपराध करार देने के लिए’ दायर की गई याचिका के ख़िलाफ़ कहा कि इससे ‘विवाह की संस्था अस्थिर’ हो सकती है.

इसकी वजह से अब इस मामले को तीन जजों की बेंच को सौंप दिया गया है। वहीं मुद्दा अब सुप्रीम कोर्ट में भेजा जाएगा।

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बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति राजीव शकधर जहां वैवाहिक बलात्कार (Marital Rape) के अपवाद को निरस्त करने के पक्षधर हैं, वहीं न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर का कहना है कि यह असंवैधानिक नहीं है।

इसलिए इसे बड़ी बेंच को सौंपा गया है। पीठ ने याचिकाकर्ता को अपील करने की छूट दी है।

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मैरिटल रेप को अपराध घोषित किया जाए या नहीं इसपर दिल्ली हाईकोर्ट को आज फैसला सुनाना था।

इस मामले में पहले केंद्र सरकार ने मौजूदा कानून की तरफदारी की थी लेकिन बाद में यू टर्न लेते हुए इसमें बदलाव की। हाई कोर्ट ने 21 फरवरी को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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