बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे, नम आंखों से बोले शहीद मनप्रीत के परिजन !

अफसर करेंगे मेरे पापा को सलाम

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बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे, नम आंखों से बोले शहीद मनप्रीत के परिजन!

नई दिल्‍ली. अनंतनाग में हुए बड़े आतंकी हमले में देश के तीन वीर अफसरों ने अपना सर्वोच्‍च बलिदान दिया है. ये अफसर कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष धोंचक और डीएसपी हुमायूं मुज़म्मिल भट्ट हैं  जिसमें से एक पंजाब के मोहाली के मुल्लांपुर के रहने वाले मनप्रीत सिंह भी हैं। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के कोकरनाग इलाक़े में शहीद हुए अफसरों की कहानियां हमेशा प्रेरणा देती रहेंगीं. इनमें कर्नल मनप्रीत सिंह शहीद के घर में मातम छाया हुआ है।इस हमले की जिम्‍मेदारी पाकिस्‍तानी आतंकी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा के शैडो ग्रुप रेजिस्‍टेंस फ्रंट ने ली है.

पंजाब सहित देश में भर में उनकी कुर्बानी को याद किया जा रहा है।

जिस तरह से जो परिवार वाले कह रहे हैं कि काफी बहादुर थे और पिछले 3 से 4 साल से वो जम्मू कश्मीर में पोस्टिंग थे। हालांकि उन्हें सेना मेडल भी मिला था लेकिन अब मनप्रीत सिंह जो है हमारे बीच में नहीं है और इस बात का उन्हें दुख है। लेकिन शहीद होने पर उनके परिवार परिवारवालों को गर्व है।मोहाली के पास मुल्‍लापुर के रहने वाले मनप्रीत बचपन में अपने फौजी पिता की वदी पहन लिया करते थे. उनका सपना था भारतीय सेना में शामिल होना और जिस यूनिट में मनप्रीत अफसर थे, उसी यूनिट में उनके पिता नायक पद पर थे.  पिता की कुछ समय पहले मौत हो गई थी. परिवार में मां के अलावा पत्‍नी और दो बच्चे हैं.

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बीते साल ही सेना से उसे मेडल मिला था.भारत माता के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले इस सपूत के परिवार को भी उनकी शहादत पर गर्व है. बेटे की शहादत पर मनप्रीत सिंह की मां मनजीत कौर का कहना है कि उनका बेटा बहुत दीलेर था.

अनंतनाग में शहीद हुए कर्नल मनप्रीत सिंह.

मनजीत कौर ने कहा, ”मनप्रीत देश के लिए शहीद हो गया. उसमें देश की सेवा करने का जज्बा था. उसने अभी देश की कम सेवा की थी, अभी और सेवा करनी थी.” उन्होंने कहा कि मनप्रीत इस साल जनवरी में 10 दिन के लिए छुट्टी पर आया था और अब कुछ दिन में फिर से आने वाला था. वह बहुत ईमानदार था और कभी झूठ नहीं बोलता था.नके जाने से परिवार का जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई नहीं की जा सकती है. उन्होंने बताया कि अगले महीने मनप्रीत की बेटी का जन्मदिन था.बचपन से ही सेना में अफसर बनने की चाहत रखते थे. किसी के पूछने पर उनका एक ही जवाब होता था कि जैसे पिता सेना में बतौर सिपाही अफसरों को सैल्यूट करते हैं,एक दिन वह अफसर बनेगा और अपने पिता के साथ खड़ा होगा तो वही अफसर करेंगे मेरे पापा को सलाम.

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उनकी धर्मपत्नी है वो पंचकूला में रहती है और एक स्कूल में पढ़ाती है। अभी तक वो यहां पर नहीं पहुंची हैं क्योंकि अभी जो पार्थिव शरीर है वो इस गांव में नहीं पहुंचा है और मगर जिस तरह से जो दुख का मातम यहां पर है लगातार जो आस पास के गांव के लोग हैं वो लगातार इस परिवार को ढांढस यहां पर बना रहे हैं।2016 में हुई थी मनप्रीत सिंह की शादी.

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