Martyr’s Aid Fund : शहीद के माता-पिता और पत्नी को मिलेगी आधी-आधी राशि मिलेगी!

राज्य पुलिस के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की घोषणा

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डॉ. मोहन यादव

Martyr’s Aid Fund : शहीद के माता-पिता और पत्नी को मिलेगी आधी-आधी राशि मिलेगी!

Bhopal : मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने शहीद जवान के परिवारों को लेकर महत्वपूर्ण घोषणा की। कयास हैं कि मुख्यमंत्री ने स्मृति सिंह केस को देखते हुए इस निर्णय को लिया है। जिससे की शहीद जवान के परिवार को मिलने वाली राशि पर कोई विवाद खड़ा न हो। मोहन यादव ने पिछले दिनों भोपाल के मोतीलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में इसकी घोषणा की।

इसे लेकर सीएम मोहन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से पोस्ट कर जानकारी दी है। इस पोस्ट में उन्होंने कहा है कि हमने तय किया है कि प्रदेश के किसी भी जवान के शहीद होने पर दी जाने वाली राशि में 50 प्रतिशत पत्नी को और 50 प्रतिशत माता-पिता को दी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि कैप्टन अंशुमान सिंह के शहीद होने के बाद उनके माता-पिता ने पत्नी स्मृति पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने मिली सरकारी सहायता में से उन्हें कुछ भी नहीं दिया। शहादत के बाद एनओके NOK (Next TO Kin) यानी कानूनी उत्तराधिकारी को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया। NOK के तहत जवान के शहीद हो जाने पर अगर उनकी शादी नहीं हुई है, तो सरकार की तरफ से दी गई राशि पर माता-पिता का हक होता है। लेकिन, जब जवान की शादी हो जाती है तो यह सारी राशि उनकी पत्नी को दी जाती है।

इसके बाद अब शहीद अंशुमान के माता-पिता NOK में बदलाव की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि कैप्टन अंशुमान को जो कीर्ति चक्र मिला वो भी उनकी पत्नी स्मृति सिंह अपने साथ लेकर चली गई। राशि भी उन्हीं को दी जाएगी तो फिर माता-पिता के पास शहीद बेटे की क्या निशानी बची! इसके बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने NOK पर यह फैसला किया।

डॉ मोहन यादव ने राज्य पुलिस के एक कार्यक्रम में शहीदों के परिवार को मिलने वाली राशि के बंटवारे पर चल रहे विवाद के बीच यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसी भी जवान के शहीद होने पर दिए जाने वाले एक करोड़ रुपये की राशि में से 50 प्रतिशत पत्नी को और 50 प्रतिशत माता-पिता को दिया जाएगा।

NOK को कानूनी उत्तराधिकारी भी कह सकते हैं. इसका मतलब होता है कि जो भी जवान सेना में शामिल होता है अगर उसे कुछ हो जाता है, तो राशि उसके NOK को ही दी जाएगी। सेना में जब जवान भर्ती होने वाला होता है तो यह NOK में उस के माता-पिता का नाम दर्ज किया जाता है। लेकिन, शादी के बाद उनकी पत्नी या पति का नाम दर्ज कर लिया जाता है और अनुग्रह राशि उन्हीं को दी जाती है।
सियाचिन में तैनात कैप्टन अंशुमान सिंह शहीद हो गए थे। बंकर में आग लग गई थी, बंकर से कैप्टन अंशुमान दूर थे, लेकिन उन के तीन साथी बंकर में फंस गए थे और अपने साथियों को बचाने के लिए अंशुमान आग में कूद गए और बुरी तरह झुलस गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन उन्होंने दम तोड़ दिया था।