हमारे दिलों में हर पल जिंदा हो मातृभूमि पर मर मिटने वाली हमारी “मणिकर्णिका”…

वीरता-शौर्य की मिसाल "मणिकर्णिका की माटी" में माथा टेक "मोदी" राष्ट्रप्रेम से देश को करेंगे ओतप्रोत..

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मणिकर्णिका का नाम मुंह पर आते ही राष्ट्रभक्त कवियत्री सुभद्रा कुमारी चौहान की सुप्रसिद्ध कविता “झांसी की रानी” की पंक्तियां “बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी”, लबों पर इंद्रधनुष की तरह बिखर जाती हैं। यह मणिकर्णिका यानि झांसी की वही रानी है जिसने स्वतंत्रता के पहले संग्राम में अंग्रेजों को दांतों तले चने चबवा दिए थे और चिल्ला-चिल्लाकर पूरे हिंदुस्तान को यह उद्घोष कर जगाया था कि “मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी”। नरेंद्र दामोदर दास मोदी, आज उसी मणिकर्णिका यानि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की 193वीं जयंती पर वीरांगना की माटी को नमन करते हुए तुम्हारा सीना गौरव से लबालब होकर छलकने लगेगा तो यह देश भी राष्ट्रप्रेम से ओतप्रोत हो जाएगा। लाइट एंड साउंड प्रस्तुति में अपने बेटे को पीठ पर बांधे घोड़े से किले की प्राचीर से कूदती रानी की अंग्रेजों को कंपकपा देने वाली आवाज जब मोदी के कानों में गूंजेगी, तब वह आजादी मिलने से 90 साल पीछे जाकर 1857 की इस महायोद्धा का लोहा माने बगैर नहीं रह पाएंगे। ऐसे योद्धा ” भूतो न भविष्यति” की तर्ज पर युगों-युगों में बस एक बार ही जन्म लेते हैं और मातृभूमि की रक्षा में बलिदान देकर सदा-सदा के लिए अमर हो जाते हैं। आज उसी मातृभूमि का गौरव विश्व में बढ़ाने की राह पर चल रहे मोदी यह कतई मायने नहीं रखता कि तुम क्या घोषणाएं कर बुंदेलखंड की जनता का दिल जीतोगे, बल्कि यह “मणिकर्णिका की माटी” तुम्हारे माथे पर भी वीरता-शौर्य का वह टीका लगाकर ही विदा करेगी कि देश के दुश्मनों को सबक सिखाने में किसी भी तरह का बलिदान करने में एक पल भी न सोचना पड़े। और 2022 के उत्तर प्रदेश के चुनाव से पहले ही वीरांगना की रज माथे पर लगाने भर से 2024 का आम चुनाव जीतने की वह पृष्ठभूमि तैयार होगी, जिसमें बुंदेलखंड के ही एक संत की वह भविष्यवाणी फलीभूत होती दिखेगी कि 2024 तक पीओके भारत का होगा यानि पाक-चीन को सीधी चुनौती देने का जज्बा मोदी की 2024 जीत का महामंत्र भी साबित होगा।
29 साल सात महीने की उम्र में अंग्रेजी सेनाओं से युद्ध करते हुए इस वीरांगना ने 18 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में बलिदान दिया था, जिसकी बराबरी असंख्य महायोद्धा भी नहीं कर सकते हैं। ब्रितानी जनरल ह्यूरोज़ ने टिप्पणी की थी कि रानी लक्ष्मीबाई अपनी सुन्दरता, चालाकी और दृढ़ता के लिये उल्लेखनीय तो थी ही, विद्रोही नेताओं में सबसे अधिक ख़तरनाक भी थी। उसी रानी लक्ष्मीबाई की जयंती पर 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झांसी में रानी के किले की तलहटी में स्थित ग्राउंड में सेना द्वारा आयोजित राष्ट्र रक्षा समर्पण पर्व में हिस्सा लेंगे। यह दावा किया जा सकता है कि राष्ट्र की रक्षा के प्रति समर्पण का सबसे महान स्थान अगर देश में कहीं है तो वह झांसी है और झांसी के किले की तलहटी है, जहां की माटी आज भी चीख-चीखकर कहती है कि हमारी मणिकर्णिका कभी नहीं मर सकती, आज भी जिंदा है और युगों-युगों तक जिंदा रहेगी। वह मणिकर्णिका कल,आज और कल हर समय दुश्मनों के छक्के छुड़ाती रहेगी और मातृभूमि का गौरव बढ़ाती रहेगी।
यह महज संयोग नहीं है कि मोदी रक्षा क्षेत्र में आत्मानिर्भर भारत पर जोर देने के लिए औपचारिक तौर पर स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित उपकरणों को सशस्त्र बलों के सेवा प्रमुखों को सौंपेंगे। इनमें हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा डिजाइन और विकसित लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर वायु सेना प्रमुख को सौंपना शामिल है। थल सेनाध्यक्ष को भारतीय स्टार्टअप की ओर से डिजाइन और विकसित किए गए ड्रोन यानी यूएवी इसे डीआरडीओ ने डिजाइन किया है और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) ने नौसेना के जहाजों के लिए उन्नत इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट का निर्माण किया, जिसे नौसेनाध्यक्ष को सौंपना है। जल, थल और नभ के योद्धाओं में वीरता और शौर्य का नया अध्याय लिखने का जज्बा पैदा करने का संदेश भी देगी मणिकर्णिका की वही माटी, जहां आजादी की पहली लड़ाई की महानायिका ने न केवल जयघोष किया था बल्कि वीरता और शौर्य का महाइतिहास लिखकर स्वतंत्रता की अमिट लकीर खींच दी थी। तो यह महज संयोग या उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले मोदी का पॉलिटिकल वार का हिस्सा नहीं बल्कि मोदी का वह विजन है जो राष्ट्रप्रेम की नई इबारत लिखने की सुनियोजित तैयारी को दिखा रहा है। और यह संदेश दे रहा है कि राष्ट्र की रक्षा में हमारे वीर-बांकुरे वीरांगना के पथ पर कदम बढ़ाते रहेंगे और एक नहीं, हजार बार अपने प्राणों को न्यौछावर करते रहेंगे। रानी झाँसी की जयंती पर उन्हें नमन कर ‘राष्ट्र रक्षा सम्पर्ण पर्व’ और ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की सार्थकता का दावा किया जा सकता है। हमारे दिलों में जीवंत ऐसी वीरांगना को उनकी 193वीं जयंती पर शत-शत नमन। हमारे दिलों में हर पल जिंदा हो मातृभूमि पर मर मिटने वाली हमारी “मणिकर्णिका”…। तुम्हें नमन करते हुए यही कामना है कि देश रक्षा सहित सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भर हो, झांसी में ही आज लोकार्पित हो रहे “अटल एकता पार्क” की भावना को साकार करते हुए एकता के सूत्र में बंधा रहे।