
Medical College Scam: मेडिकल कॉलेज स्कैम हत्या जैसा संगीन अपराध
रंजन श्रीवास्तव
व्यापम घोटाला सामने आने के बाद तथा उससे सम्बंधित कई गिरफ्तारियां होने के बाद भोपाल के एक नामचीन डॉक्टर का कहना था कि उनकी बेटी मेडिकल कॉलेज से गोल्ड मेडल लेकर पास हुई पर उसकी प्रतिभा के बाद भी लोगों से यह कहते हुए डर लगता है कि उसने मध्य प्रदेश के मेडिकल कॉलेज से पढ़ाई की है.
उनकी चिंता वाजिब थी. व्यापम स्कैम ने मेडिकल कॉलेज फील्ड को जितनी बदनामी दी देश में शायद ही किसी अन्य स्कैम ने उतनी बदनामी दी होगी.
व्यापम स्कैम में बहुत से लोगों की गिरफ्तारी तथा देश भर में हो हल्ला मचने के बाद लगा कि चलो देर ही सही अब सरकारें सजग होंगी और फिर कोई दूसरा घोटाला जिससे मेडिकल कॉलेजों से मुन्ना भाई एमबीबीएस निकलें और देश में मेडिकल कॉलेजों के छात्रों की प्रतिभा की हत्या हो, अब सामने नहीं आएगा. पर सीबीआई द्वारा हाल में किये गए एफआईआर ने एक और बड़े स्कैम का पर्दाफाश किया है.
इस स्कैम से पता चलता है कि करोड़ों रुपयों के बदले देश भर में फैले संगठित गिरोह जिसमें कथित रूप से नेशनल मेडिकल कौंसिल के कई अधिकारी और कर्मचारी और कुछ प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के कर्ता धर्ता भी शामिल थे, ने कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को मान्यता दिलाने के लिए कई तरह के फर्जी काम किये.
डॉक्टरों और मरीजों की फर्जी उपस्थिति दिखाकर कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों के इंस्पेक्शन को मैनेज किया गया तथा उनकी मान्यता का नवीनीकरण कराया गया. घोटालेबाजों ने साबित कर दिया है कि उनको सरकार, पुलिस,सीबीआई या अन्य जांच एजेंसी, न्यायालय, सजा और जेल का डर नहीं है और वे व्यवस्था को धता बताकर घोटाले करते रहेंगे और छात्रों की प्रतिभा और उनकी शिक्षा की हत्या करते रहेंगे.
आरोपियों में जिनकी संख्या प्रारंभिक रूप से 35 से ज्यादा है उनमें मध्य प्रदेश के एक निजी मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन का भी नाम है जिनको अभी कुछ महीने पहले ही उच्च न्यायालय द्वारा व्यापम घोटाले में बरी किया गया.
आरोपियों में एक धर्मगुरु का भी नाम है जो एक निजी मेडिकल कॉलेज के कर्ता धर्ता हैं. अगर किसी मेडिकल कॉलेज में शिक्षक ही ना हों और उनकी उपस्थिति फर्जी तरीके से दर्ज की जा रही हो और यही नहीं उस मेडिकल कॉलेज में मरीजों की उपस्थिति भी फर्जी तरीके से दिखाई जा रही हो तो ऐसे मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाले छात्रों और डिग्री लेने के बाद उनके द्वारा इलाज़ किये गए मरीजों के भविष्य का अनुमान बहुत आसानी से लगाया जा सकता है.
रहा छात्रों की बात तो व्यापम ने दिखा ही दिया है कि मध्य प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों के लिए प्री-मेडिकल टेस्ट में कितना बड़ा घोटाला और किन व्यक्तियों द्वारा किया गया.
वैसे अभी इस नए स्कैम में सीबीआई द्वारा गिरफ़्तारी होना बाकी है. चार्ज-शीट भी कोर्ट में दाखिल होगा। आरोपियों ने वाकई कोई स्कैम किया है नहीं, सजा होगी या नहीं या सजा होगी तो कितनी होगी यह साक्ष्यों पर निर्भर करता है पर सीबीआई द्वारा दर्ज किये गए एफआईआर से यही पता चलता है यह घोटाला देश के बड़े घोटालों में से एक है.
अगर यह घोटाला साबित होता है तो सरकार को कानून में बदलाव करके ऐसे घोटालों को हत्या से कम संगीन अपराध नहीं मानना चाहिए और ऐसे संगीन अपराधों में उसकी गंभीरता के हिसाब से फांसी की सजा का भी प्रावधान भी होना चाहिए.
ऐसे घोटाले पूरे देश के मेडिकल सिस्टम पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा करते हैं; जिन मेडिकल कॉलेजों में ऐसे घोटाले होते हैं वहाँ पढ़ रहे छात्रों के प्रतिभा की हत्या करते हैं और उनको ऐसी डिग्री प्रदान करते हैं जो कागज़ पर तो अच्छा दिखता है पर व्यवहारिक रूप से उसका कोई मतलब नहीं होता.
यह पूरे देश की शिक्षा व्यवस्था के साथ धोखा है. व्यापम घोटाले में मध्य प्रदेश की बेहद बदनामी हुई थी. तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व्यापम घोटाले को लेकर अभी तक विपक्ष के निशाने पर हैं. दुर्भाग्य यह है कि इस नए और संगीन घोटाले के तार भी मध्य प्रदेश से जुड़े हुए हैं. मध्य प्रदेश की साख को एक बार फिर धक्का पहुंचा है.
मेडिकल कौंसिल ऑफ़ इंडिया की जगह केंद्र सरकार ने नेशनल मेडिकल कौंसिल की स्थापना करके मेडिकल शिक्षा की व्यवस्था में जनता के विश्वास को फिर से बहाल करने की कोशिश की पर लगता है संस्था का सिर्फ नाम बदला है, उसकी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं आया नहीं तो यह कैसे संभव था कि नेशनल मेडिकल कौंसिल के अधिकारी और कर्मचारी देशव्यापी इतने बड़े घोटालों में शामिल होते और लगभग दो वर्षों तक ऐसे घोटाले होते रहते.
हो सकता है कि सीबीआई की जांच में और पिछले सालों में भी यह घोटाला होना पाया जाए क्योंकि ऐसी बातें कई वर्षों से सामने आ रही थीं कि मेडिकल कॉलेजों के इंस्पेक्शन को मैनेज किया जाता है और डॉक्टरों और मरीजों की फर्जी उपस्थिति दिखाई जाती है.
कुछ समय पूर्व एक राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक ने तो मेडिकल कॉलेजों में हो रहे घोटालों पर न्यूज़ की एक श्रृंखला भी चलाई थी. देखना यह है कि इस घोटाले की जांच का निष्कर्ष क्या निकलता है और प्रदेश की सरकारें तथा केंद्र सरकार चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में व्यवस्था को ठीक करने के लिए कैसे परिवर्तन लाती है या परिवर्तन लाती भी है या नहीं?





