Minister Against SP : मंत्री और मंत्री-पुत्र की प्रतिष्ठा के सवाल में पार्टी साथ नहीं!
Khandwa : मंगलवार को लाडली बहना योजना के सम्मेलन के बाद वन मंत्री विजय शाह एवं उनके सुपुत्र श्री दिव्यादित्य शाह ने जमकर हंगामा किया। मुख्यमंत्री के लाडली बहना योजना के सम्मेलन से ज्यादा सुर्खियों में कैबिनेट मंत्री विजय शाह के बयान नजर आए। मंत्री ने तो यहां तक चैलेंज कर दिया था कि, एसपी को ज्यादा दिन यहां तक नहीं रहने दूंगा। लेकिन, अब लग रहा है कि पार्टी और सरकार दोनों ने मंत्री और मंत्री पुत्र का साथ नहीं दे रहे!
घटना के दूसरे दिन बुधवार को जब सड़कों पर उतरने की बारी आई, तो मंत्री और उनके पुत्र अपने समर्थकों के साथ अकेले रह गए। क्योंकि, जो हुआ उससे पार्टी नाराज थी। स्थिति यह है कि अब दोनों बिगड़ी बात को संभालने की कोशिश कर रहे हैं। दोनों ने पार्टी कार्यालय जाकर भी हंगामा किया था। मीडिया के सामने बयानबाजी की और मंत्री विजय शाह ने भी आग में घी डाला। मामले को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया।
खंडवा में मंगलवार को लाड़ली बहना योजना के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के कार्यक्रम से पहले नवागत एसपी सत्येंद्र शुक्ला ने मंत्री पुत्र दिव्यादित्य शाह और पंधाना जनपद अध्यक्ष सुमित्रा काले को मंच पर आने से रोक दिया। क्योंकि, भाजपा ने मंचासीन जिन लोगों की सूची दी थी, उसमें दिव्यादित्य और सुमित्रा का नाम ही नहीं था। लेकिन, घटनाक्रम का वीडियो वायरल हुआ तो एसपी से खुन्नस में भाजयुमो ने विरोध स्वरूप रैली निकाल ली। प्रदर्शन किया, लेकिन नतीजा सिर्फ मंत्री पुत्र का शक्ति प्रदर्शन बनकर रहा।
घटना के मुताबिक मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के तहत सिक्योरिटी मौजूद थी। एसपी सत्येंद्र शुक्ला ने दो दिन पहले ही खंडवा में पदभार ग्रहण किया था और वे खुद वहां मौजूद थे। अचानक एक लड़का तेजी से मंच पर चढ़ता दिखाई दिया है, तो स्वाभाविक है कि उसे रोका जाए और वही हुआ भी। यह लड़का था दिव्यादित्य शाह जो मंत्री विजय शाह का पुत्र और जिला पंचायत का उपाध्यक्ष है। पुलिस ने रोका, तो वह नाराज हो गए। क्योंकि, भीड़ में मामला प्रतिष्ठा का था।
नहीं थी मंच पर जाने की अनुमति
बाद में जांच की, तो पता चला कि दिव्यादित्य शाह को मंच पर जाने की अनुमति नहीं थी। पुलिस ने जो किया, वो सही था। सवाल यह है कि जब लिस्ट में नाम ही नहीं था तो फिर इतना सारा तमाशा क्यों किया गया। अनुशासन भंग करने की जरुरत ही क्या थी। विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, ऐसे में सरकारी कार्यक्रम में विघ्न डालने के बाद भी वे चुप नहीं बैठे।
बुधवार को विरोध में सड़कों पर उतर आए परंतु स्थिति मंगलवार जैसी नहीं थी। दिव्यादित्य शाह अकेले अपने समर्थकों के साथ चल रहे थे। पार्टी उनके पीछे नहीं थी। अब लीपापोती करके किरकिरी को कम करने की कोशिश की जा रही है। युवा मोर्चा के जो कार्यकर्ता प्रदर्शन में शामिल थे, उनमें से भी कई का कहना है कि वे तो पार्टी का कार्यक्रम होने के नाते शामिल हुए थे। उन्हें नहीं पता था कि इसके पीछे पार्टी के कोई निर्देश नहीं है।
विरोध प्रदर्शन के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस के साथ सामाजिक लोगों ने भाजपा को घेर लिया। यहां तक की भाजपा संगठन से जुड़े लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, इस प्रदर्शन से पार्टी की किरकिरी हुई है, प्रदर्शन को हल्के तरीके से करना पहले से तय था। फिर भी जानबूझकर भीड़ जुटाकर शक्ति प्रदर्शन किया गया। स्वयं प्रदेश संगठन ने जिले के बड़े पदाधिकारियों को प्रदर्शन से दूर रहने की सलाह दी थी। वही, कलेक्टर अनूपसिंह ने भी आग्रह किया था कि इस प्रदर्शन को हल्के तरीके से किया जाए।
खास बात तो यह कि, युवा मोर्चा ने अपने ज्ञापन में एसपी सत्येंद्र शुक्ल को हटाने की बात कही। लेकिन मंत्री पुत्र व जिला पंचायत उपाध्यक्ष दिव्यादित्य शाह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि, हमारी मांग सिर्फ यह है कि, पुलिस अधिकारी के व्यवहार में सुधार होना चाहिए। यानी प्रदर्शन के नेतृत्वकर्ता ही अपनी बातों से पलट गए। ऐसे में पार्टी की किरकिरी हुई तो भाजपा जिला अध्यक्ष सेवादास पटेल ने पूरा मामला युवा मोर्चा पर ढोल दिया। उन्होंने कहा कि, यह कार्यक्रम युवा मोर्चा के पदाधिकारियों ने तय किया था। इसमें जिला संगठन का कोई रोल नहीं है।