भोपाल: खंडवा लोकसभा और रैगांव, पृथ्वीपुर, जोबट विधानसभा क्षेत्र में हो रहे उपचुनाव को ध्यान में रखते हुए वहां पिछले तीन साल से जमे पुलिस और प्रशासन के अफसरों का तबादला किया जाएगा। इसके अलावा मंत्रियों, सांसद, विधाायक और जन प्रतिनिधियों के रिश्तेदार पुलिस और प्रशासन के अफसरों को भी चुनाव वाले क्षेत्रों से बाहर किया जाएगा।
चुनाव आयोग ने मुख्य सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग तथा गृह विभाग से ऐसे अफसरों की सूची बुलाई है। आयोग निर्वाचन कार्य से सीधे तौर पर जुड़े लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे इन सभी अफसरों को हटाने के लिए राज्य सरकार को निर्देशित करेगा।
भारत निर्वाचन आयोग ने मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक की प्रमुख सचिव दीप्ती गौड़ मुकर्जी, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव राजेश राजौरा को पत्र लिखकर कहा है कि निर्वाचन कार्य से सीधे जुड़े हुए ऐसे अधिकारियों जो उपचुनाव के निर्वाचन क्षेत्र में पदस्थ है या वह उनका गृह क्षेत्र हो अथवा वह पिछले चार वर्षो में से तीन वर्षो तक उप निर्वाचन वाले विधानसभा क्षेत्र में पदस्थ रहे हो या फिर उनकी पदस्थापना को तीन वर्ष आकस्मिक रिक्ति के बाद छह माह के भीतर पूरे होंने वाले हो तो उनका स्थानांतरण निर्वाचन क्षेत्र से बाहर किया जाए।
चुनाव आयोग के निर्देश पर सामान्य प्रशासन विभाग कार्मिक की प्रमुख सचिव दीप्ती गौड़ ने भारतीय प्रशासनिक सेवा और राज्य प्रशासनिक सेवा के ऐसे अफसरों की सूची तैयार करवा ली है। इसके अलावा तहसीलदार और नायब तहसीलदार तथा राजस्व निरीक्षक और पटवारी की भी सूची तैयार की जा रही है जो चुनाव कार्य में जुड़े हुए है। इधर पुलिस अफसरों की भी सूची तैयार की जा रही है जो तीन साल से अधिक समय से इन स्थानो पर जमे हुए है।
कांग्रेस प्रवक्ता जेपी धनोपिया ने भी एक ही स्थान पर लंबे समय से जमे और मंत्रियों, विधायकोंं ,जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदार अफसरों को चुनाव वाले क्षेत्रों से हटाने की मांग की है।
शासकीय वेबसाईट से आचार संहिता की अवधि के दौरान उन सभी राजनेताओं, मंत्रीगणों के संदर्भ हटाए जाएंगे जो संबंधित उप चुनाव में उम्मीदवार हो।
चुनाव क्षेत्र में मंत्रियों के निजी दौरे में अफसर ने की मुलाकात तो गिरेगी गाज-
आचार संहिता वाले क्षेत्र में मंत्रियों के शासकीय दौरों पर रोक रहेगी। चुनाव क्षेत्र में कोई बैठक, सभा कर वे सरकारी अफसरों को एकत्रित नहींं कर सकेंगे। इन क्षेत्रों में उनका दौरा पूर्णत: निजी माना जाएगा। इस दौरान आचार संहिता प्रभावित क्षेत्र में कोई अधिकारी निजी दौरे पर उनसे मुलाकात करता है तो वह कदाचरण का दोषी होगा।
मंत्री को नहीं मिलेगा पायलट, सायरन –
लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी। यदि मंत्री शासकीय कार्यक्रम के अंतर्गत आचार संहिता प्रभावित जिले में होकर जा रहे है तो वे उस जिले में हाल्ट नहीं करेंगे ना ही किसी राजनीतिक कार्यक्रम को अटेंड करेंगे। निजी यात्रा के दौरान प्रभावित क्षेत्र में पायलट कार, सायरन का उपयोग भी नहीं किया जा सकेगा। भले ही उनको सुरक्षा कवर उपलब्ध हो। केन्द्र और राज्य के कोई भी मंत्री शासकीय दौरे तथा निर्वाचन कार्य को कंबाईन नहीं कर सकते। इस क्षेत्र में प्रस्तावित दौरे की अग्रिम जानकारी जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को देना होगा।