बहुत याद आ रही है उनकी
हमारे प्यारे व संकटकाल में हमेशा साथ देने वाले ₹1000 के नोट भैया की छठवीं पुण्यतिथि पर सादर स्मरणांजलि।
वे समय की अनदेखी करते हुए हमेशा मदद के लिए तत्पर रहते थे। किसी भी समय, किसी भी स्थान पर, किसी भी हालात में ₹1000 के नोट भैया, सच्चे हितैषी की तरह मदद के लिए उत्सुक रहते थे। राग द्वेष से सदैव ऊपर रहने वाले भैया ने कभी किसी को ना अपना समझा ना किसी को पराया समझा। कभी वे मेरे पास रहते थे, कभी किसी और के साथ पर उनके प्रेम में जरा भी अंतर नहीं होता था। वे जब भी जिसके पास रहते थे पूरी तरह उसी के होकर रहते थे। यह गुण इस दुनिया में विरले ही लोगों के पास होता है।
उनका जाना भी अकल्पनीय था। जैसे कोई अपना बातचीत करते करते अचानक इस दुनिया से चला जाए। तब हम अक्सर कहते हैं कल ही तो उनसे हमारी मुलाकात हुई थी, फोन पर बात हुई थी, उन्होंने हाल-चाल भी पूछा, हमारी खैर खबर भी मिली थी, वे तो बहुत जिंदादिल और खुशमिजाज थे पर वह अचानक कैसे चले गए।
उनका स्वास्थ्य भी पूरी तरह ठीक था। ना हार्ट की बीमारी थी, ना किडनी की। ना ही उन्हें हाई ब्लड प्रेशर रहता था और शुगर की तो बिल्कुल तकलीफ नहीं थी, पर अचानक वे सिधार गए। सच में वह पुण्य आत्मा ही थे तभी बगैर किसी सांसारिक कष्ट के, अस्पतालों के चक्कर बगैर लगाएं बिना ही स्वर्ग सिधारे। ₹1000 के नोट भैया भी संचित पुण्य प्रतापों के चलते हम सब को रोता बिलखता छोड़कर अचानक रात 8:00 बजे चले गए थे।
आपके जाने से रिक्त हुई जगह आज तक कोई भी पूरी नहीं कर सका है। आपके साथ जो ₹500 के नोट वाले भैया गए थे उनके रिक्त स्थान तो भर गया है पर आपका स्थान सदैव रिक्त रहेगा। कहा जा सकता है जब तक सूरज चांद रहेगा 1000 के नोट भैया तेरा नाम रहेगा।
आप हमेशा बहुत याद आएंगे। सादर नमन।
सुदेश गौड़
श्री सुदेश गौड़ मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। वे दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, नई दुनिया, राष्ट्रीय सहारा सहित देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। वे नवदुनिया भोपाल के संपादक भी रहे हैं। वर्तमान में वे प्रदेश के अग्रणी न्यूज़ पोर्टल मीडिया वाला के नेशनल हेड हैं।