Mother Day 2023:हिंदू शास्त्रों में मां,हर मां के लिए प्रेरणा स्त्रोत-भारत की महान माताएं
आज हम बात कर रहे हैं माँ के बारे में। जी हाँ, कहने को तो बहुत छोटा सा शब्द है लेकिन इसमें पूरा संसार समाया हुआ है। दुनिया में माँ का दर्जा भगवान से बढ़कर हैं क्योंकि भगवान भी माँ के सामने अपना सिर झुकाते हैं।
सनातन धर्म के ग्रंथों में ऐसे तमाम उदाहरण मौजूद हैं, जो बताते हैं कि मां के आशीर्वाद के बिना कोई व्यक्ति ही नहीं बल्कि भगवान भी किसी भी काम में सफल नहीं हो सकते। माताओं के समर्पण को समाज में एक आदर्श के रूप में देखा जाता है। मां की ही पूजा के लिए और उनसे अपना प्यार जताने के लिए मदर्स डे का दिन बनाया गया है। हर साल मई माह के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है। तो आइए मदर्स डे के इस खास दिन पर आज आपको बताते हैं, धर्म ग्रंथों की कुछ ऐसी ही माताओं के बारे में जिन्होंने परिश्रम कर अपनी संतान को बनाया सफल।
देवी सीता ने वन में रहकर किया अपनी संतान का पालन पोषण
रामायण में माता सीता की ममता का बहुत अच्छे से वर्णन किया गया है कि कैसे एक महलों की राजकुमारी ने वन में रहकर अपनी संतान का पालन-पोषण किया। देवी सीता को अपने त्याग के लिए जाना जाता है, चाहे बहू के रूप में हो, पत्नी के रूप में या माता के रूप में। वन में रहने के बावजूद भी माता सीता ने अपने पुत्रों को हर वो गुण दिए जो एक राजकुमार में होने चाहिए।
ममता का दूसरा नाम है मां यशोदा
माता यशोदा का नाम सुनकर ही ममता याद आ जाती है। श्री कृष्ण का जन्म भले ही माता देवकी की कोख से हुआ हो लेकिन कान्हा की मां के रूप में माता यशोदा को पहले याद किया जाता है। श्री कृष्णा के साथ माता ने दाऊ जी का भी पालन पोषण किया, जो रोहिणी के पुत्र और सुभद्रा के भाई थे।
माता कयाधु ने बनाया पुत्र प्रहलाद को भक्त
भगवान विष्णु के परम भक्त प्रहलाद की माता का नाम कयाधु था। जब ये माता के गर्भ में थे तब नारद मुनि के मुख से भगवान विष्णु की महिमा का वर्णन सुना था। माता से ही प्रभावित होकर पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु की उपासना करने लगे। उन्हीं की भक्ति को देखकर भगवान नारायण को नरसिंह का अवतार लेना पड़ा।
माता सुनीति ने बालक ध्रुव को दिया भक्ति का ज्ञान
बालक ध्रुव का नाम हर कोई जनता है। इनके पिता का नाम उत्तानपाद था और इनकी दो पत्नियां थीं सुनीति और सुरुचि। दूसरी माता के द्वारा किए गए अपमान के बाद उनकी मां ने बालक ध्रुव को भक्ति के बारे में बताया। जिस कारण भगवान विष्णु ने उसे ध्रुव लोक प्रदान किया।
माता कौशल्या ने बनाया श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम
भगवान श्री राम की महिमा कौन नहीं जनता। उनको सारी सृष्टि एक मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में देखती है। माता कौशल्या ने अपने पुत्र श्री राम का पालन-पोषण इस तरह किया कि आज भी हर माता अपनी संतान को श्री राम की तरह आदर्शवादी बनाने की सीख देती है। माता कौशल्या के पुत्र श्रीराम सिर्फ अपनी पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए 14 वर्ष के वनवास पर चले गए।