मां तुम्हें कोई भुला नहीं पाएगा …

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मां तुम्हें कोई भुला नहीं पाएगा …

मां हीराबा अब वह नाम है, जिसे कोई भूल नहीं पाएगा। जिस तरह कौशल्या नंदन राम, देवकी नंदन कृष्ण और जीजाबाई नंदन शिवाजी का नाम अमर है, ठीक उसी तरह नरेंद्र दामोदरदास मोदी को  हीराबा नंदन नरेंद्र के नाम से ही हमेशा जाना जाएगा। हो सकता है कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी अपने नाम के साथ मां का नाम जोड़कर नरेंद्र दामोदरदास हीराबा मोदी कर लें। हालांकि इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि यह सार्वत्रिक सत्य कोई झुठला नहीं सकता है कि जिस हीरा नरेंद्र की चमक ने पूरी दुनिया की आंखों में चकाचौंध पैदा की थी, उस नरेंद्र की जननी हीराबा ही थी। और इतिहास में जब तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी का नाम याद किया जाएगा तो उनकी मां हीराबा का नाम कोई भुला नहीं पाएगा। जाना हर किसी को है, सो नरेंद्र मोदी की मां हीराबा भी अनंत की यात्रा पर चली गईं। पर नरेंद्र मोदी ने जिस तरह मां के साथ रहने में कभी दिखावा नहीं किया, ठीक उसी तरह बिना किसी दिखावे के मां को अंतिम विदाई भी दे दी। सुबह मां के महाप्रयाण की सूचना दी। लिखा कि शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम। मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है। सुबह 7:45 बजे अहमदाबाद पहुंचे। यहां से वे सीधे गांधीनगर के रायसण गांव में भाई पंकज मोदी के घर गए। पार्थिव देह यहीं रखी गई थी। मां की पार्थिव देह को नमन किया।अंतिम यात्रा शुरू हुई और सेक्टर-30 स्थित श्मशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। मां हीराबा शुक्रवार सुबह 9:26 बजे पंचतत्व में विलीन हो गईं।
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नरेंद्र मोदी ने उन्हें मुखाग्नि दी। अंतिम सफर के दौरान वे मां की पार्थिव देह कंधे पर लेकर गांधी नगर स्थित घर से निकले। यात्रा के दौरान वे शव वाहन में ही पार्थिव देह के करीब बैठे रहे। मुखाग्नि के दौरान वे मां को एक टक निहारते रहे। अंतिम संस्कार करने के बाद मोदी काफी देर तक वहीं खड़े रहे। मां की चिता को देखते रहे। अंतिम संस्कार के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के राजभवन गए। वहां से वे बंगाल में चल रही गंगा परिषद की बैठक से वर्चुअली जुड़े। सुबह 11:40 बजे बंगाल में हो रहे कार्यक्रम से वर्चुअली जुड़े वंदे भारत ट्रेन समेत कई प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया। कार्यक्रम में मौजूद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता और दूसरे राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बोले- निजी कारणों से नहीं आ सका। क्षमा करें। देर शाम प्रधानमंत्री एक बार फिर गांधी नगर स्थित अपने घर गए और परिवार के लोगों के साथ करीब 20 मिनट बिताने के बाद दिल्ली लौट गए।
हीराबा ने नरेंद्र को जन्म देकर जो सपूत इस देश और दुनिया को दिया, उस मां के लिए तो सारे शब्द अधूरे हैं। पर हीरा नरेंद्र जिस तरह की मिसाल अपने आचरण और व्यवहार के जरिए पूरे देश और दुनिया में पेश कर रहा है, उसे भी शायद शब्दों में नहीं बांधा जा सकता है। मां हीराबा प्रधानमंत्री के आवास में सिर्फ एक बार ही ठहरी। जब बेटे का मन हुआ और गुजरात पहुंचा तो मां से मिल लिया। कभी अपने जन्मदिन, तो कभी मां के जन्मदिन पर मां-बेटे मिलते रहे। दो साल पहले बीमार होने पर एक सिविल अस्पताल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां इलाज कराती है, तब भी कोई तामझाम और दिखावा नहीं। अभी भी दो दिन पहले सांस लेने में दिक्कत होने पर मंगलवार देर रात हीराबा को यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब भी कोई दिखावा नहीं। यहीं शुक्रवार तड़के 3:30 बजे मोदी की मां का निधन हुआ। सौ साल की मां दुनिया छोड़कर चली गई। बेटा नरेंद्र मोदी ने उतनी ही सहजता और गंभीरता से शांतचित्त हो परमपिता परमात्मा के इस फैसले को स्वीकार कर लिया। अगर कर्मयोगी इस बेटे के मन में थोड़ा सा भी आडंबर बसा होता, तो शायद देश-दुनिया के दिग्गजों का जमावड़ा गांधीनगर में लगा होता। पर बेटा पहुंचा, शांतिवाहन में आम इंसान की तरह अपनी मां के शव के पास बैठ उन्हें एकटक निहारता रहा, कंधा दिया, मुखाग्नि दी और फिर अपने कर्म में रत हो गया। यह आचरण सहजता से हासिल नहीं होता, यह कठोर तप का ही प्रतिफल है। ठीक उसी तरह जैसे मां हीराबा ने अभावों के दौर में भी कठोर तप से बेटे नरेंद्र और अपनी संतानों को गढ़ा होगा।
प्रधानमंत्री मोदी गुजरात चुनाव के मतदान के दौरान 4 दिसंबर 2022 को गांधीनगर में अपनी मां हीराबेन से मिले थे। इस दौरान उन्होंने मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था और उनके साथ बैठकर चाय पी थी। इससे पहले मोदी 18 जून 2022 को अपनी मां हीराबा के जन्मदिन पर अहमदाबाद पहुंचे थे। उस समय उन्होंने मां हीराबा के पैर धोकर पानी आंखों से लगाया था। मोदी ने मां के साथ बैठकर पूजा भी की थी। मोदी ने तब अपने ब्लॉग में लिखा था कि ‘मां न सिर्फ बच्चे को जन्म देती है, बल्कि उनके दिमाग, व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को भी आकार देती है। मुझे कोई संदेह नहीं कि मेरे जीवन और चरित्र में जो कुछ भी अच्छा है, उसका श्रेय मेरी मां को जाता है।’ शायद मां-बेटे के प्रति भावों पर इससे ज्यादा न तो कुछ लिखा जा सकता है और न ही एक सपूत का अपनी मां के प्रति प्रेम को इससे ज्यादा शब्दों में बांधा जा सकता है। धन्य है हीराबा और धन्य है हीरा नरेंद्र हीराबा मोदी। मां तुम्हें कभी भी भुलाया नहीं जा सकेगा…।