शिव को अर्धनारीश्वर बनाने वाली हैं सिद्धियों की दात्री ‘मां सिद्धिदात्री’…

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शिव को अर्धनारीश्वर बनाने वाली हैं सिद्धियों की दात्री ‘मां सिद्धिदात्री’…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

माँ दुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं। नवरात्र-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती हैं। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियाँ होती हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में यह संख्या अठारह बताई गई है। माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए।

ऐसी मान्यता है, कि भगवान शिव का आधा शरीर मां सिद्धिदात्री से जुड़ा हुआ है। एक समय की बात है, जब ब्रह्मांड में केवल अंधेरा था, तब मां कुष्मांडा, जिनकी पूजा नवरात्रि के चौथे दिन की जाती है, उन्होंने त्रिदेव यानी भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु की रचना की और इन्हें सृष्टि के निर्माण का कार्य दिया। तब ब्रह्मा जी को सृष्टिकर्ता, विष्णु जी को पालनकर्ता और शिव जी को संहारक का कार्य सौंपा गया।

एक बार, शिव जी ने माँ कूष्मांडा से प्रार्थना की और उनसे उन्हें पूर्णता प्रदान करने की विनती की। तभी मां कूष्मांडा ने एक और देवी की रचना की, जिन्हें सिद्धिदात्री यानी सिद्धियों की प्रदाता कहा जाता है। मां सिद्धिदात्री ने शिव को आठ यानी ‘अष्ट सिद्धि’ के साथ, 18 सिद्धियों का आशीर्वाद दिया। इन 18 में न केवल ‘अष्ट सिद्धि’ यानी आठ सिद्धियां शामिल थीं, बल्कि 10 और सिद्धियां भी शामिल थीं, जो भगवान कृष्ण द्वारा परिभाषित माध्यमिक सिद्धियां थीं।

इसके बाद, भगवान ब्रह्मा जी को ब्रह्मांड में जीवन बनाने के लिए एक पुरुष और एक महिला की ज़रूरत थी, इसलिए मां सिद्धिदात्री ने स्वयं को भगवान शिव के आधे शरीर से जोड़ लिया। शिव का वह रूप, जहां वह आधे स्त्री और आधे पुरुष हैं, अर्धनारीश्वर कहलाता है।

माँ सिद्धिदात्री की रामनवमी के दिन पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री की पूजा केवल मनुष्य ही नहीं करते, बल्कि देवता, गंधर्व, असुर, यक्ष और सिद्ध भी करते हैं। माँ की ऐसी अनेक कथाएं प्रचलित हैं, जहाँ पर मां ने सिर्फ भक्तों और देवताओं को ही नहीं, बल्कि राक्षसों को भी मोक्ष दिया है। कहते हैं यदि सच्चे मन से माता के मंत्रों का जाप किया जाए तो माता शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण कर देती हैं।

माँ सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली, शक्तिशाली, बलशाली हैं। माँ के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र है और ऊपर वाले हाथ में गदा है। वहीं माँ के बाएं नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का फूल है, जिसे धारण कर माँ बहुत सुन्दर लगती हैं।

अपने इन्हीं अस्त्रों से, मां राक्षसों का वध करती हैं। माँ की सवारी सिंह है, जो की माँ की परछाई की तरह उनके साथ चलता है और माँ कमल के फूल पर आसीन होती हैं।

ऐसा माना गया है कि माँ भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन, हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है। इनकी कृपा से भक्तों को ज्ञान, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

तो नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा करने के साथ ही शैलपुत्री से शुरू हुई माँ पार्वती के नौ रूपों की यात्रा पूरी हो जाती है। शारदीय नवरात्र में इसके बाद ही विजयादशमी का पावन पर्व बुराईयों पर अच्छाई की विजय का उल्लास प्रदान करता है। वास्तव में मां सिद्धिदात्री पूर्णता का पर्याय हैं। जो शिव को अर्धनारीश्वर बनाकर वास्तविक पूर्णता का अहसास कराती हैं। हम सभी भी माँ सिद्धिदात्री का ध्यान कर पूर्णता की कामना करते हैं…।

 

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।