MP Congress:कमलनाथ की जगह जयवर्धन सिंह बेहतर विकल्प हो सकते हैं 

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MP Congress:कमलनाथ की जगह जयवर्धन सिंह बेहतर विकल्प हो सकते हैं 

 

रमण रावल

 

यदि कोई जयवर्धन सिंह को केवल पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र के तौर पर देखेगा तो उसका सोच पूर्वाग्रही रहेगा, लेकिन उनके व्यक्तित्व पर नजर डालेगा तो वे एक संभावनाशील नेता की तरह दिखाई दे सकते हैं। कांग्रेस के लिये वे मध्यप्रदेश में फिर से मैदान में जोर-आजमाइश लायक साबित हो सकते हैं। वैसे भी अब मप्र का कांग्रेस अध्यक्ष कांटों का ताज नहीं, बल्कि पूरी सिंहासन ही उठाकर चलेगा तो जयवर्धन सिंह ही क्यों नहीं ? शेष जितने नाम इस समय चर्चा में हैं, वे फुस्सी बम ही हैं। वे पद पर अपनी शोभा तो बढ़ायेंगे, कांग्रेस को शोभायमान नहीं बना पायेंगे।

 

कांग्रेस को अब मप्र में बेहद नया,अपेक्षाकृत युवा,चर्चित,लोकप्रिय और प्रदेश में जाना-पहचाना चेहरा लाना चाहिये। इस समय भी यदि वह परिपक्व या अनुभवी का दायरा रखेगी तो समझ लीजिये कि वह लोकसभा चुनाव तो ठीक अगले पांच साल में भी कोई उल्लेखनीय कामयाबी हासिल नहीं कर पायेगी। वैसे सफलता की गारंटी तो इस समय कोई भी साबित नहीं हो सकता,जयवर्धन सिंह भी नहीं, फिर भी वे पार्टी को मैदान में बनाये रखने का माद्दा रखते हैं, यह कहा जा सकता है।

अजीब दास्तान तो यह है कि जो बातें दिग्विजय सिंह के खिलाफ हैं, वे ही उनके बेटे जयवर्धन के पक्ष में जाती हैं। जैसे, उन्हें अपने पिता की करीब पचास साल की राजनीतिक विरासत का स्वाभाविक लाभ मिलेगा। राजनीति उनके डीएनए में आई है। पिता के सुदीर्घ राजनीतिक जीवन के अच्छे-बुरे अनुभव से वे सबक लेकर चल सकते हैं। पिता की प्रदेश की राजनीति में समझ-बूझ का फायदा वे ले सकते हैं। कार्यकर्ताओं को अपने बनाने का कौशल सीखने उन्हें कहीं जाना नहीं पड़ेगा। उनके संपर्क भी जयवर्धन के काम आयेंगे।पिता के प्रदेश व देश की राजनीति के केंद्र में रहने से राजनीतिक दांव-पेंच से भी वे बखूबी वाकिफ होंगे। पिता के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री के रूप में दो कार्यकाल के समय भले ही जयवर्धन सिंह अपनी शिक्षा पूरी कर रहे थे, लेकिन उस ऊर्जा को उन्होंने महसूस किया ही होगा। यह भी उन्हें प्रदेश कांग्रेस को संचालित करने में मददगार रहेगा। प्रशासनिक पेचीदगियों से निपटना भी जानते ही होंगे, क्योंकि भले ही डेढ़ साल, लेकिन कैबिनेट मंत्री तो जयवर्धन भी रहे ही हैं।

 

जयवर्धन के बारे में एक बात सर्व ज्ञात है कि वे मिलनसार,विनम्र हैं। ये दो तत्व सार्वजनिक जीवन में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। खासकर,संगठन के काम में ये जबरदस्त सहायक होते हैं। अब कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व केवल यह सोचकर उनकी अनदेखी करता है कि वे दिग्विजय सिंह के पुत्र हैं तो यह जयवर्धन के लिये तो बिल्कुल भी नुकसानदायक नहीं रहेगा, लेकिन कांग्रेस थोड़ी बहुत उपस्थिति दर्ज कराने का अवसर जरूर खो देगी। हां, इसमें सबसे जरूरी बात तो यह है कि क्या जयवर्धन सिंह इस जिम्मेदारी को निभाने के लिये तैयार हो जायेंगे? मेरे ख्याल से हो सकते हैं, क्योंकि संगठन के इस भार को वहन करने की भावना किसी को भी प्रदेश के प्रशासनिक मुखिया की जिम्मेदारी उठाने का माध्यम भी होता है। अभी भले ही यह ख्याली पुलाव हों, कितु राजनीति में हाथ आये अवसर को दरकिनार करना याने पीछे की ओर फिसलने जैसा होता है। बेशक जयवर्धन सिंह का नाम अभी तो कहीं है नहीं, किंतु कांग्रेस को मैदानी तैयारियों के लिहाज से ऐसे ही किसी व्यक्ति को कमान सौपना चाहिये।

 

अब उन नामों पर भी नजर दौड़ा लेते हैं, जो हाल-फिलहाल चर्चा में हैं। ये हैं अरुण यादव,जीतू पटवारी,कांतिलाल भूरिया वगैरह। ये नाम प्रदेश में कांग्रेस को खड़ा करने में उतने प्रभावी नहीं हो सकते। दो नाम और विचारणीय हो सकते हैं-हीरालाल अलावा(मनावर विधायक) और विक्रांत भूरिया। विक्रांत जहां नेता-पुत्र(कांतिलाल भूरिया के बेटे) हैं, वहीं हीरालाल अलावा राजनीतिक घराने से नहीं हैं, लेकिन जयस के जरिये उन्होंने काफी हद तक आदिवासी समुदाय में पैठ बनाई है, जिसका थोड़ा फायदा कांग्रेस को हो सकता है। यदि कमोबेश 20 साल और चार विधानसभा चुनावों से कांग्रेस सत्ता से दूर है तो उसे इस पर तो चिंतन करना ही चाहिये कि वह प्रदेश की बागडोर किसी भविष्य की संभावना से भरपूर व्यक्ति को दे या केवल बड़े नेताओं की जय-जयकार करने वाले को थमा दे। मप्र कांग्रेस के नये अध्यक्ष का चयन उसके आगामी लोकसभा चुनाव व उसके बाद पांच साल तक संगठन को मजबूती प्रदान करने के प्रति उसकी गंभीरता या उथलेपन को दिखायेगा। वैसे,कांग्रेस का इतिहास खुद से प्रतिस्पर्धा का रहा है। इसे सरल भाषा में कहें तो अपने हाथ से अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना कहते हैं।

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रमण रावल

 

संपादक - वीकेंड पोस्ट

स्थानीय संपादक - पीपुल्स समाचार,इंदौर                               

संपादक - चौथासंसार, इंदौर

प्रधान संपादक - भास्कर टीवी(बीटीवी), इंदौर

शहर संपादक - नईदुनिया, इंदौर

समाचार संपादक - दैनिक भास्कर, इंदौर

कार्यकारी संपादक  - चौथा संसार, इंदौर

उप संपादक - नवभारत, इंदौर

साहित्य संपादक - चौथासंसार, इंदौर                                                             

समाचार संपादक - प्रभातकिरण, इंदौर      

                                                 

1979 से 1981 तक साप्ताहिक अखबार युग प्रभात,स्पूतनिक और दैनिक अखबार इंदौर समाचार में उप संपादक और नगर प्रतिनिधि के दायित्व का निर्वाह किया ।

शिक्षा - वाणिज्य स्नातक (1976), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन

उल्लेखनीय-

० 1990 में  दैनिक नवभारत के लिये इंदौर के 50 से अधिक उद्योगपतियों , कारोबारियों से साक्षात्कार लेकर उनके उत्थान की दास्तान का प्रकाशन । इंदौर के इतिहास में पहली बार कॉर्पोरेट प्रोफाइल दिया गया।

० अनेक विख्यात हस्तियों का साक्षात्कार-बाबा आमटे,अटल बिहारी वाजपेयी,चंद्रशेखर,चौधरी चरणसिंह,संत लोंगोवाल,हरिवंश राय बच्चन,गुलाम अली,श्रीराम लागू,सदाशिवराव अमरापुरकर,सुनील दत्त,जगदगुरु शंकाराचार्य,दिग्विजयसिंह,कैलाश जोशी,वीरेंद्र कुमार सखलेचा,सुब्रमण्यम स्वामी, लोकमान्य टिळक के प्रपोत्र दीपक टिळक।

० 1984 के आम चुनाव का कवरेज करने उ.प्र. का दौरा,जहां अमेठी,रायबरेली,इलाहाबाद के राजनीतिक समीकरण का जायजा लिया।

० अमिताभ बच्चन से साक्षात्कार, 1985।

० 2011 से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना वाले अनेक लेखों का विभिन्न अखबारों में प्रकाशन, जिसके संकलन की किताब मोदी युग का विमोचन जुलाई 2014 में किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी किताब भेंट की गयी। 2019 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के एक माह के भीतर किताब युग-युग मोदी का प्रकाशन 23 जून 2019 को।

सम्मान- मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा स्थापित राहुल बारपुते आंचलिक पत्रकारिता सम्मान-2016 से सम्मानित।

विशेष-  भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा 18 से 20 अगस्त तक मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधिमंडल में बतौर सदस्य शरीक।

मनोनयन- म.प्र. शासन के जनसंपर्क विभाग की राज्य स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता समिति के दो बार सदस्य मनोनीत।

किताबें-इंदौर के सितारे(2014),इंदौर के सितारे भाग-2(2015),इंदौर के सितारे भाग 3(2018), मोदी युग(2014), अंगदान(2016) , युग-युग मोदी(2019) सहित 8 किताबें प्रकाशित ।

भाषा-हिंदी,मराठी,गुजराती,सामान्य अंग्रेजी।

रुचि-मानवीय,सामाजिक,राजनीतिक मुद्दों पर लेखन,साक्षात्कार ।

संप्रति- 2014 से बतौर स्वतंत्र पत्रकार भास्कर, नईदुनिया,प्रभातकिरण,अग्निबाण, चौथा संसार,दबंग दुनिया,पीपुल्स समाचार,आचरण , लोकमत समाचार , राज एक्सप्रेस, वेबदुनिया , मीडियावाला डॉट इन  आदि में लेखन।