MP Human Rights Commission : 2 मामलों में स्वसंज्ञान लेकर सरकार से जवाब मांगे

विदिशा और झाबुआ जिले के मामलों पर सरकार से जवाब तलब

656
human_rights_commission

Bhopal : मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेन्द्र कुमार जैन ने दो मामलों में स्वसंज्ञान (Self Cognition) लेकर संबंधितों से समय-सीमा में जवाब मांगा है। पहला मामला विदिशा जिले की एक गरीब आदिवासी बालिका को सही उपचार नहीं (Poor Tribal Girl not Getting Proper Treatment) मिल पाने का है।

आयोग ने मुख्य सचिव व स्वास्थ्य सचिव से पूछा है कि ऐसे गरीब व्यक्तियों के इलाज की क्या व्यवस्था है! दूसरा मामला झाबुआ जिले के राणापुर क्षेत्र का है, जहाँ लोक परिवहन की सुविधाएं नहीं (No Public Transport Facilities) होने से स्कूली छात्र-छात्राएं विपरीत परिस्थितियों में यात्रा करते हैं।

विदिशा जिले के गंजबासौदा में बीते मंगलवार को ग्राम चैरावर टपरा निवासी मंगल आदिवासी ने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होनें अपनी पुत्री लक्ष्मी आदिवासी के पेट में जन्मजात छिद्र (Congenital Perforation in Abdomen) होने के कारण उसके इलाज की व्यवस्था कराए जाने की मांग की।

ज्ञापन में कहा गया हैं कि वह ग्राम चैरावर का स्थाई निवासी होकर आदिवासी जनजाति का व्यक्ति होकर मेहनत-मजदूरी करके अपने परिवार का पालन-पोषण कर पाता है। उसके पास न तो गरीबी रेखा का राशन कार्ड है, न आयुष्मान कार्ड है।

उसकी पुत्री के जन्म के समय डाॅक्टर ने कहा था कि जब पुत्री दो-ढाई साल की हो जाएगी, तब इसका ऑपरेशन संभव हो सकेगा। इसे आप दो-ढाई साल की उम्र हो जाने पर ही लाना। उसकी पुत्री अब दो-ढाई साल की हो गई है, इसलिए अब उसकी पुत्री को ऑपरेशन की आवश्यकता है। परन्तु वह इतना सक्षम नहीं है कि अपनी पुत्री का ऑपरेशन करा सके।

इस मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने मुख्य सचिव, मप्र शासन, सचिव मप्र शासन, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, भोपाल सहित कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी, विदिशा से एक माह में तथ्यात्मक प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने मुख्य सचिव तथा स्वास्थ्य सचिव से यह भी पूछा है कि ऐसे गरीब व्यक्तियों के इलाज की क्या व्यवस्था है!

जीप पर लगा मानवों का ‘छत्ता’

मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने एक दैनिक समाचार पत्र में झाबुआ जिले से प्रकाशित एक छायाचित्र समाचार पर संज्ञान लिया है। प्रकाशित छायाचित्र में ग्रामीण इलाकों में परिवहन की विकट समस्या बयान की गई है।

छायाचित्र में दृष्टिगोचर है कि झाबुआ जिले के रानापुर क्षेत्र में लोक परिवहन की सुविधाएं नहीं होने से ग्रामीणों के साथ-साथ स्कूली छात्र-छात्राओं को भी रोज जान जोखिम में डालकर विपरीत परिस्थिति में यात्रा (Traveling Under Adverse Circumstances by Risking One’s Life) करनी पडती है।

सवारी वाहन पर ग्रामीण और स्कूली छात्राएं इस तरह से लटककर यात्रा करते हैं, कि कभी भी कोई गंभीर हादसा हो सकता है।

इस मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग (Madhya Pradesh Human Rights Commission) ने परिवहन आयुक्त, ग्वालियर सहित पुलिस अधीक्षक एवं जिला परिवहन अधिकारी, झाबुआ से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।

आयोग ने इन अधिकारियों को निर्देशित किया है कि प्रकाशित छायाचित्र वाले वाहन पर कार्यवाही कर आयोग को रिपोर्ट भेजें। साथ ही इनसे यह भी पूछा है कि ऐसे वाहनों पर नियंत्रण कैसे और कौन करता है!