MP News: सात जिलों में साढ़े14 हजार महिलाओं ने गर्भपात कराकर बच्चों को इस दुनिया में आने से रोका
भोपाल: महाकाल की नगरी उज्जैन सहित सात जिलों में चौदह हजार 536 महिलाओं ने गर्भपात कराकर अपने बच्चों को इस दुनिया में आने से रोक दिया। बलात्कार की शिकार, स्वास्थ्य को खतरे की स्थिति, शारीरिक दिव्यांगता और जान को खतरे जैसे कारणों से महिलाओं ने इन बच्चों को कोख में ही खत्म करने का निर्णय लिया और सरकारी और निजी चिकित्सालयों के डॉक्टरों ने इसमें उनकी मदद की।
विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया के सवाल के लिखित जवाब में स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी ने यह जानकारी दी।
सवाल के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि एक जनवरी 2019 से लेकर 2023 में प्रश्न दिनांक तक चौदह हजार 536 महिलाओं ने गर्भपात कराया है। ये सभी अठारह वर्ष से अधिक उम्र की है। उज्जैन संभाग के उज्जैन, आगरमालवा, शाजापुर, देवास, रतलाम, मंदसौर और नीमच जिलों में ये गर्भपात कराए गए है।
हर साल बढ़ रहीं गर्भपात कराने वाली महिलाओं की संख्या-जो जानकारी सामने आई है इसमें सबसे खास बात यह है कि गर्भपात कराने वाली महिलाओं की संख्या निरंतर बढ़ रही है। वर्ष 2019 में 2 हजार 816 महिलाओं ने गर्भपात कराया था। वर्ष 2020 में 3 हजार 24 महिलाओं ने गर्भपात कराया तो 2021 में 3 हजार 508 महिलाओं ने गर्भपात कराया है। वर्ष 2022 में यह संख्या बढ़कर 4 हजार 113 हो गई। वहीं वर्ष 2023 के दो महीनों में ही यह संख्या 375 रही है।
*गर्भपात के ये कारण बताए-*
गर्भपात कराने वाली महिलाओं ने स्वेच्छा से यह गर्भपात कराए है इसमें उन्होंने जो कारण बताए है उसमें बलात्संग के कारण वे इन बच्चों को इस दुनिया में नहीं आने देना चाहती थी। कुछ मामलों में उनके या बच्चे के स्वास्थ्य को खतरा बताया गया था। कुछ मामलों में बच्चों के दिव्यांग पैदा होंने की संभावना से गर्भपात कराए गए। कुछ मामले ऐसे भी थी जिसमें बच्चे या बच्चों की मां को जान का खतरा था इसलिए गर्भपात कराया गया।