MP: बेटियों का अनुपात अब 927 से बढ़कर 956 हो गया है – CM चौहान

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर प्रदेश स्तरीय कार्यक्रम ग्वालियर में आयोजित

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ग्वालियर: मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि उन्हें यह कहते हुए खुशी है कि पहले एक हजार पुरूषों पर 927 महिलायें होती थीं। लेकिन लाड़ली लक्ष्मी योजना के फलस्वरूप प्रदेश में अब यह अनुपात बढ़कर एक हजार पुरूषों पर 956 महिलाओं का हो गया है। इस संख्या को सरकार बराबर करना चाहती है। यह बात मुख्यमंत्री ने सोमवार को ग्वालियर में राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में कही। यह समारोह जीवाजी विश्वविद्यालय के अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में “सशक्त बालिका – सशक्त समाज – सशक्त मध्यप्रदेश” नाम से आयोजित किया गया। इसमें प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना तथा लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत राशि का वितरण सिंगल क्लिक के जरिए किया गया। इसके अलावा लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रमाण-पत्र एवं महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं को सशक्त नारी सम्मान प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (वर्चुअल), प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भारत सिंह कुशवाह, पूर्व मंत्री एवं लघु उद्योग निगम की अध्यक्ष श्रीमती इमरती देवी, जिला अध्यक्ष भाजपा (शहर) श्री कमल माखीजानी, जिला अध्यक्ष भाजपा (ग्रामीण) श्री कौशल शर्मा, जिला पंचायत प्रशासकीय समिति की अध्यक्ष श्रीमती मनीषा यादव, सफाई दूत श्रीमती सरस्वती तथा बड़ी संख्या में महिलायें एवं बालिकायें उपस्थित थीं।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि राष्ट्रीय बालिका दिवस देशभर में 24 जनवरी को ही मनाया जाता है। जबकि बेटियों के लिये हर दिन, हर पल हो सकता है। उन्हें उचित स्थान मिले, इसके लिये सरकार ने पूरे प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि पहले बेटियों के साथ भेदभाव होता था और यह कहानी घर-घर की थी। जब बेटा जन्म लेता तो खुशियां मनाई जाती थीं और यदि बेटी आ गई तो लोगों का चेहरा उतर जाता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि बेटा-बेटी एक बराबर हैं। नारी केवल काम करने के लिये ही नहीं होती है, उन्हें भी जीने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि जब तक बेटा-बेटी को बराबर नहीं माना जायेगा, तब तक बेटी को आने से लोग रोकेंगे।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला एवं बेटियों के सशक्तिकरण के लिये राज्य सरकार ने अनेकों योजनायें चलाई हैं, ताकि बेटियों के परिवार पर आर्थिक बोझ नहीं पड़े। बेटियों की पढ़ाई के लिये किताबें, साइकिल, गाँव की बेटी योजना, कॉलेज जाने पर पाँच हजार रूपए एवं बेटी के शादी योग्य हो जाने पर कन्यादान योजना शुरू की गई है। महिलाओं के जब प्रसव होता है तो संबल योजना के तहत प्रसव के पूर्व चार हजार रूपए तथा बाद में 12 हजार रूपए दिए जाते हैं। अत: बेटी के जन्म से लेकर उसके विवाह होने तक सरकार द्वारा अनेक योजनायें चलाई गई हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 41 लाख लाड़ली लक्ष्मी हैं। जिसके फलस्वरूप अब माता-पिता के नजरिए में बदलाव आया है। अब लोग बेटा-बेटी में भेदभाव नहीं करते हैं।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने राष्ट्रीय बालिका दिवस पर आश्वस्त किया कि बेटियों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने बताया कि कोरोना काल के दौरान आंगनबाड़ी एवं आशा कार्यकर्ताओं ने बेहतर काम किया है। आगे भी महिलायें किसी भी काम में पुरूषों से पीछे नहीं रहेंगीं। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति लोगों को सोच बदलनी होगी। अब महिलायें घरेलू हिंसा का शिकार नहीं होनी चाहिए तथा पुरूष प्रधान की भावना को भी बदलने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं को आर्थिक रूप से भी सशक्त किया जा रहा है। स्व-सहायता समूह में 33 लाख महिलायें जुड़ी हैं। इसी प्रकार शिक्षा विभाग में 50 प्रतिशत एवं पुलिस विभाग में 30 प्रतिशत आरक्षण बेटियों को दिया गया है। इसलिए हर क्षेत्र में बेटियां आगे बढ़ रही हैं।

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केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बधाई देते हुए कहा कि प्रदेश स्तरीय राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के लिये ग्वालियर को चुना गया है यह सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि समग्र समाज, गरीबी, पीड़ा, किसान, गाँव, बहन एवं बेटी के प्रति बहुत ही अनुकरणीय पहल राज्य शासन द्वारा की गई है। मुख्यमंत्री की संवेदनशीलता को वे अच्छी तरह से जानते हैं। गरीब की बेटी के हाथ पीले हों इस बात का इंतजाम सरकार ने किया है। उन्हें पढ़ाया-लिखाया तथा बड़ी होने पर शादी की जिम्मेदारी भी सरकार ने ली है। उन्होंने कहा कि लाखों बेटियां देश की प्रगति में अपना योगदान दे रही हैं। मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिये चलाई जा रही योजनाओं का अनुकरण अन्य राज्यों ने किया है। सरकार की सोच रही है कि बेटी हर क्षेत्र में प्रगति करे। प्रधानमंत्री देश को आत्मनिर्भर भारत के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। इसमें बेटियां बढ़चढ़कर भाग ले रही हैं। बेटियों ने हर क्षेत्र में प्रदेश एवं देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा कि बेटी पूजनीय है। आने वाला समय भारत का है। बेटियां उत्तरोत्तर प्रगति करें और भारत को ऊँचाईयां दें।

कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से जुड़े केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि नारी तो नारायणी है। ये शब्द स्वामी विवेकानंद के हैं। उन्होंने कहा कि यदि महिलाओं के काम में हस्तक्षेप बंद कर दिया जाए तो वे सशक्त बन सकेंगीं। महिलाओं की प्रगति में सुरक्षा और स्वास्थ्य में असमानता ये बड़ी बाधायें हैं। अगर ये असमानतायें दूर हो जाएं तो महिलायें किसी से कम नहीं है। बेटियां देश के लिये ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिये लाड़ली लक्ष्मी हैं। बेटियों ने हर क्षेत्र में अपना परचम लहराया है। घर से लेकर अंतरिक्ष तक बेटियां पुरूषों से पीछे नहीं रही हैं। खेलों के क्षेत्र में अब तक कुल 15 अंतर्राष्ट्रीय पदकों में से 7 पदक बेटियों ने जीते हैं। ग्वालियर की बेटी ओमान में क्रिकेट की अंपायरिंग कर रही है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की महिला सशक्तिकरण योजना देश के लिये एक उदाहरण है। मध्यप्रदेश में 40 लाख महिलाओं को विभिन्न योजनाओं में लाभान्वित किया गया है। श्री सिंधिया ने कहा कि नारी शक्ति को विश्व पटल पर लाने की सोच रखनी होगी। उन्होंने सभी को बालिका दिवस की शुभकामनायें दीं। इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर एवं उद्यानिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भारत सिंह कुशवाह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

मुख्यमंत्री ने किए हितलाभ वितरित

समारोह में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत 10 हजार हितग्राहियों को लाभान्वित किया उन्होंने एक करोड़ 70 लाख रूपए की राशि हितग्राहियों के खाते में सिंगल क्लिक के माध्यम से अंतरित की। इसी प्रकार 550 बालिकाओं को लाड़ली लक्ष्मी योजना के तहत 22 लाख रूपए छात्रवृत्ति के रूप में अंतरित किए। इसके अलावा बेटियों को लाड़ली लक्ष्मी योजना के प्रमाण-पत्र एवं विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने के लिये महिलाओं को नारी शक्ति सम्मान से सम्मानित किया गया।