MPSIDC Scam : मोहंती के खिलाफ जांच जारी रखने के हाईकोर्ट के आदेश

719 करोड़ के घोटाले पर CAT के जांच रोकने का निर्देश ख़ारिज

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High Court's Order

Bhopal : प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहंती के ग्रह नक्षत्र इन दिनों ख़राब चल रहे है। उनके खिलाफ MPSIDC घोटाले को लेकर चल रही जांच जारी रहेगी।

जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने फैसले में राज्य शासन के आदेश को सही बताया। एसआर मोहंती के खिलाफ अब विभागीय जांच फिर से शुरू होगी। पिछली कमलनाथ सरकार ने इस घोटाले में एसआर मोहंती को क्लीनचिट दे दी थी।

लेकिन, सरकार बदलने के बाद भाजपा सरकार ने फिर विभागीय जांच शुरू कर दी। इस पर मोहंती केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) पहुंच गए थे। कैट ने विभागीय जांच पर स्टे कर दिया था।

राज्य सरकार ने जबलपुर हाईकोर्ट में इस स्टे के खिलाफ अपील की थी, इस पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सोमवार को CAT के आदेश को रद्द कर दिया।

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा 2021 में जारी अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश को उचित करार दिया।

जस्टिस शील नागू व जस्टिस मनिंदर सिंह भट्टी की डिवीजन बेंच ने CAT के आदेश को रद्द किया है। सरकार की तरफ से दायर याचिका में कहा गया कि पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहंती के खिलाफ 2 जनवरी 2007 को चार्जशीट के जरिए अनुशासनात्मक कार्रवाई आरंभ की गई थी।

जिस पर जांच जारी थी।

उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली ने कोर्ट को बताया कि इस बीच राज्य में सरकार बदल गई और कांग्रेस की सरकार ने 28 दिसंबर 2018 को एक आदेश जारी कर इस जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी।

इसके बाद आई भाजपा सरकार ने 4 जनवरी 2021 को कांग्रेस सरकार के इस आदेश को निरस्त कर फिर से मोहंती के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए।

मोहंती ने इस आदेश को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की जबलपुर बेंच में चुनौती दी। 8 जुलाई 2021 को कैट ने इस आदेश को स्थगित कर दिया। CAT के इसी आदेश को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

यह था MPSIDC का घोटाला

मध्य प्रदेश में 810 करोड़ का MPSIDC घोटाला हुआ था। उस समय एसआर मोहंती इस कारपोरेशन के MD थे और दिग्विजय सिंह की सरकार थी। उस समय MPSIDC ने उद्योगों को आधे-अधूरे मापदंडों के आधार पर करोड़ों रुपए का कर्ज बांट दिया था। बाद में उस कर्ज की अदायगी नहीं हुई। फिर बकाया भी विभिन्न तरीकों से माफ कर दिया था। इस घोटाले में मोहंती पर आरोप है कि उन्होंने कई बोगस फर्मों और अपात्रों को 719 करोड़ के लोन बांट दिए। कथित उद्योगपतियों ने लोन लेकर उन्हें जमीन खरीदी में निवेश कर दिया और सरकार को चूना लगा दिया। आज यह राशि करीब 4 हज़ार करोड़ हो गई है।