Important Decision of Supreme Court; आर्य समाज की शादियों को स्पेशल मैरिज एक्ट में लाने के आदेश पर रोक

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Important decision of Supreme Court

Important Decision of Supreme Court;आर्य समाज की शादियों को स्पेशल मैरिज एक्ट(1954)में लाने के आदेश पर रोक

 

Important decision of Supreme Court; आर्य समाज विवाह की वैधता

यह विवाह भारत में मान्य माना जाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें आर्य समाज के एक संगठन को निर्देश दिया गया था कि विवाह करते समय उसे विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों का पालन करना चाहिए। मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और वकील वंशजा शुक्ला ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने आर्य समाज के मंदिरों द्वारा किए गए आर्य समाज के विवाह को निर्देश देकर विधायिका के क्षेत्र में प्रवेश करके एक त्रुटि की है.

 

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आर्य समाज शादी में विशेष विवाह अधिनियम 1954 की धारा पांच से आठ तक के प्राविधान (शादी से पहले नोटिस देकर आपत्ति मंगाना) लागू करने के मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली आर्य समाज संस्था की याचिका पर मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया है।

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने 17 दिसंबर 2021 को एकल पीठ के 9 दिसंबर 2020 के उस आदेश को सही ठहराया था जिसमें शादी का प्रमाणपत्र सिर्फ कानून में अधिकृत सक्षम अथारिटी ही जारी कर सकती है। आर्य समाज संस्था सेक्रेटरी मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

वकील ने दिया ये तर्क

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वकील ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने गलत तरीके से निर्देश दिया कि आर्य समाज मंदिरों को विशेष विवाह अधिनियम की धारा 5, 6, 7 और 8 के प्रावधानों का पालन करने के बाद विवाह की अनुमति देनी चाहिए, जो पूवार्पेक्षा शर्तो के लिए प्रदान करते हैं, जैसे कि इच्छित विवाह की सूचना, प्रकाशन का प्रकाशन, नोटिस, शादी की नोटबुक, शादी पर आपत्ति और प्रक्रिया.

 

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दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने लगाई आदेश पर रोक;Important Decision of Supreme Court

जस्टिस के.एम. जोसेफ और हृषिकेश रॉय ने दलीलें सुनने के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी, जिसने संगठन को अधिनियम के अनुसार अपने दिशानिर्देशों में संशोधन करने का निर्देश दिया, और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया.

यह मामला 2020 में हाईकोर्ट में एक अंतर-जातीय जोड़े द्वारा दायर एक याचिका से उत्पन्न हुआ, जिसमें दावा किया गया था कि उन्होंने आर्य समाज की परंपरा के अनुसार शादी की, और राज्य सरकार को उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देने के लिए अदालत का रुख किया.

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