Municipal Corporation Chairman : मुन्नालाल यादव निर्विरोध नगर निगम सभापति बने, कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारा
Indore : नगर निगम का पहला सम्मेलन हुआ। भाजपा के 5 बार के पार्षद और दो बार एमआईसी सदस्य रह चुके मुन्नालाल यादव को निर्विरोध सभापति चुन लिया गया। कांग्रेस ने सभापति निर्वाचन में वॉकओवर दिया। यादव ने सभापति बनते ही पदभार संभाल लिया।
कांग्रेस के पास सिर्फ 19 पार्षद हैं। इनमें से एक जेल में है। ऐसे में भाजपा के उम्मीदवार को वॉक ओवर देना ही कांग्रेस का बेहतर फैसला रहा। इस बार अपील समिति भी निर्विरोध घोषित की गई। इसमें वार्ड 6 की पार्षद संध्या यादव, वार्ड 16 की सोनाली धारकर, वार्ड 85 के प्रशांत बडवे और वार्ड 68 के अयाज बेग (कांग्रेस) को निर्विरोध घोषित किया गया। यादव के सभापति बनने के बाद नवनिर्वाचित निगम पार्षदों का सम्मेलन शुरू हुआ। सबसे पहले पार्षदों ने अपना परिचय दिया। इस दौरान कांग्रेस पार्षद और पार्टी की ओर से नियुक्त मुख्य सचेतक फौजिया शेख अलीम ने अपना परिचय दिया। वे इसके बाद कुछ कहने लगीं तो भाजपा पार्षदों ने टेबल बजाना शुरू कर दिया। फिर भी वे बोलती रहीं, लेकिन उन्हें कहा गया कि अभी सिर्फ परिचय ही देना है और उन्हें बैठा दिया। उन्हें कहा गया कि यह सिर्फ औपचारिक सम्मेलन है। आप अपनी बात बाद में सदन में रखिए।
न पक्ष न विपक्ष होगा
इस अवसर पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा सभापति मुन्नालाल यादव काफी अनुभवी है। ऐसे ही पार्षद राजेंद्र राठौर, सुरेश कुरवाडे, निरंजन सिंह चौहान सहित कांग्रेस के भी कई वरिष्ठ पार्षद हैं। इन सभी के अनुभव का लाभ हमें कैसे मिलेगा इस बारे में भी सोचे। उन्होंने कहा कि सदन में न पक्ष होगा और न विपक्ष, होगा तो सिर्फ सहयोगी पक्ष। मुझे खुशी है 85 पार्षदों में से 50% नारी शक्ति है।वे घर के कामकाज के साथ जनसेवा से भी जुड़ी हैं। उन्हें नगर की भी चिंता है।
महिला पार्षदों को प्रशिक्षण
सभापति मुन्नालाल यादव ने कहा कि सदन में सभी नियमों-कायदों का पालन हो। बैठकें नियमित हो। पार्षद सदन में अपनी बात गरिमा के साथ रखें। सदन का एक-एक मिनिट महत्वपूर्ण होता है, इसका ध्यान भी रखें। सदन राजनीति का अड्डा न बने, इसका विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि इस बार 50% महिला पार्षद चुनी गई हैं जिनमें कई नई हैं। मैं महापौर व संगठन से बात करूंगा कि इन्हें नगर निगम कैसे कामकाज किया जाता है, इनका प्रशिक्षण दिया जाए।
नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने कहा कि नए महापौर ईमानदार व सौम्य हैं। हमें लगता है कि पहली बार ऐसा महापौर मिला है जो हमारी बात सुनेगा। इसके पूर्व जितने भी महापौर रहे उनसे ये ही शिकायतें रही कि वे पक्षपात करते रहे। हम सभी कांग्रेस पार्षद उन्हें पूरा सहयोग करें। लेकिन, कहीं ऐसा हुआ कि कुछ गलत हो रहा है तो हम सदन में विरोध करेंगे और जरूरी हुआ तो सड़क पर भी उतरेंगे।
संगठन में खासा मंथन
सभापति को लेकर पार्टी संगठन में खासा मंथन हुआ। रविवार को भी पूरे दिन इसे लेकर पार्टी में बैठकों का दौर चला। वन टू वन रायशुमारी के बाद सभापति के लिए सबसे मजबूत नाम कमल वाघेला का आया जिनके नाम पर संघ ने मुहर लगाई थी। अन्य दावेदारों में निरंजन सिंह चौहान गुड्डू तथा मुन्नालाल यादव के नाम थे। यादव को वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय व विधायक रमेश मेंदोला का समर्थन है। यादव की वरिष्ठता भी उनका खास आधार है। रविवार देर रात यादव की नियुक्ति के संबंध में भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने पत्र जारी किया।
सभापति के लिए रायशुमारी
इस बार चुनाव में जिस प्रकार महापौर व पार्षदों के नामों का चयन उनके अनुभव, वरिष्ठता, वरिष्ठ नेताओं की सहमति, पार्टी, संगठन और संघ के रायशुमारी के बाद तय हुआ उसी प्रकार सभापति के चयन को लेकर काफी मंथन हुआ। रविवार दोपहर पार्टी कार्यालय पर चुने हुए पार्षदों की बैठक हुई। उसके बाद प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी ने सभी पार्षदों से वन टू वन चर्चा की। इस दौरान पार्टी के सभी विधायक, पूर्व विधायक, वरिष्ठ नेता आदि उपस्थित थे। सभापति के लिए दावेदार पार्षदों की पृष्ठभूमि के खास आधार के साथ उस क्षेत्र से जुड़े विधायकों व पूर्व विधायकों की भी रायशुमारी ली गई।
यादव का नाम ऐसे आगे बढ़ा
इसके पूर्व विधानसभा दो से वार्ड 32 से चुने गए पार्षद राजेंद्र राठौर का नाम भी सभापति के लिए दावेदारों में था। वे पांच बार के पार्षद हैं। चूंकि, इस बार पार्टी संगठन ने जो पैरामीटर तय किए हैं, उसमें चूंकि राठौर एक बार निगम सभापति रह चुके हैं इसलिए उनकी दावेदारी कमजोर पड़ गई। इस बीच सभापति के अन्य दावेदारों व राठौर के बीच रायशुमारी भी हुई। इसमें राठौर ने भी खुद इस पद के लिए अपनी सहमति नहीं दी।