कुछ दिनों पहले हरदा जाना हुआ था, तब कृषि मंत्री कमल पटेल की जन-जन से कनेक्टिविटी की तस्वीर देखी थी। लोग सड़क किनारे खड़े हो गए और मंत्री की गाड़ी को रुकने का इशारा कर दिया। फिर क्या था जिस कार्यक्रम में जाने के लिए मंत्री निकले थे, वहां लोग इंतजार करते रहे और मंत्री कमल पटेल गाड़ी से उतरकर स्थानीय लोगों की समस्या सुनने और उसका तत्काल समाधान निकालने में जुट गए।
समस्या पानी की थी, सो तत्काल टैंकर बुलवाने की व्यवस्था की। और स्थानीय लोगों को अपना फोन नंबर भी नोट कराया और खुद शिकायत करने लगे कि समस्या थी, तो हमें अभी तक सीधे फोन क्यों नहीं किया? पानी की समस्या के स्थायी समाधान की बात भी कही और किसी भी तरह की समस्या होने पर सीधे फोन करने का बारंबार आग्रह भी किया। लोगों को अपनी उपलब्धियां और दिन-रात सेवा में रत रहने का हवाला देते हुए एक नारा भी बार-बार दोहराया कि ‘हर समस्या का हल, खिलता कमल…’, इसमें अगर आगे जोड़ा जाए तो लिखा जा सकता है कि “हर समस्या का हल, खिलता कमल और खिलखिलाता कमल”…।
यह दो शब्द इसलिए जोड़ रहा हूं, क्योंकि अथक परिश्रम के बाद भी पटेल का चेहरा हर समय खिलखिलाता रहता है। बड़ा आश्चर्य हुआ कि तीन बजे तक मेलमिलाप के बाद तबियत नासाज़ हो गई और वह भी इतनी कि बॉटल चढ़ानी पड़ी और तीन घंटे तक इलाज चलता रहा। उसके बाद फिर मंत्री सड़क पर उतरे, तो जनता के बीच फिर वही खिलखिलाता चेहरा था। चेहरे पर सिकन तो कभी भी देखी ही नहीं जा सकती। उसका असर भी दिख रहा है। पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी का साथ देने वाली एक महिला न केवल उस दिन अपने घर ले गई, बल्कि वापस भाजपा और कमल पटेल के साथ रहने की कसम भी खाई और पुरानी गलती को माफ करने का आग्रह भी किया, तो मंत्री का व्यवहार भी बड़प्पन भरा ही संयत था।अब पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव से पहले एक बार फिर हरदा में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने का सिलसिला जारी है।
खैर आज कमल पटेल की चर्चा सिर्फ इसलिए, क्योंकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पर्यावरण दिवस पर कमल पटेल की तारीफ की है। वजह है कि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए हरदा जिले में क्रमिक तौर पर चार करोड़ पेड़ लगाने का संकल्प लिया है और दिलाया है। संकल्प का मतलब व्यक्तिगत नहीं, बल्कि हरदा जिले के कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के सहयोग से यह कार्य अलग-अलग चरण में किया जाएगा। विशेष स्थिति यह है कि मंत्री ‘मेरा गांव, मेरा तीर्थ’ अभियान के जरिए वह सभी तरह की समस्याओं के समाधान में जुटे हैं।
भारत में बढ़ते कैंसर रोगियों की संख्या पर पर्यावरण दिवस पर उन्होंने गहरी चिंता व्यक्त की है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए अपने गृह जिले हरदा के गृह ग्राम बारंगा से ‘मेरा गांव, मेरा तीर्थ’ अभियान शुरू किया हुआ है। वे इस अभियान के तहत गांव-गांव जा रहे हैं और ग्रामवासियों और नगरवासियों को कैंसर से लड़ने के साथ प्राकृतिक, जैविक खेती करने और गौ वंश आधारित प्रकल्प शुरू करने का स्वैच्छिक संकल्प दिला रहे हैं। रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर हरदा नगर में आयोजित पर्यावरण संरक्षण एवं संकल्प कार्यक्रम में पटेल ने मेरा गांव मेरा तीर्थ चौपाल लगाई और उपस्थित जनों को स्वैच्छिक संकल्प दिलवाया।
संकल्प दिलवाने के साथ ही बताया कि आज से 29 साल पहले जब मैं विधायक बना था तब साल में 1से 4 मामले कैंसर रोगियों के आते थे, लेकिन आज की स्थिति में प्रतिदिन 4 से 10 मामले सहायता के लिए कैंसर रोगियों के आते हैं। कैंसर की स्थिति भयावह होती जा रही है। एशिया के सुप्रसिद्ध कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आडवाणी ने चेतावनी दी है कि वह दिन दूर नहीं जब इस रोग के रोगियों की संख्या असंख्य हो जाएगी। कोरोना काल में मरीजों का जो हाल हुआ उस से भी बदतर हाल अस्पतालों में कैंसर के रोगियों का होने वाला है।
बताया कि पंजाब में भटिंडा से एक ट्रेन चलती है जिसे ‘कैंसर ट्रेन’ कहा जाता है। अत्याधिक रसायनिक उर्वरकों के उपयोग के कारण पंजाब कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ रहा है। पंजाब में एक 15 एकड़ की जमीन है। यहां पर तार फेंसिंग की हुई है। तार फेंसिंग इसलिए की हुई है कि वहां से कोई भी न गुजरे। क्योंकि वहां से जो भी गुजरता है, वह कैंसर की चपेट में आ जाता है। पटेल ने आह्वान किया कि जन जागरूकता लाकर इसे जन आंदोलन बनाना होगा। साथ ही वृक्षारोपण के माध्यम से पर्यावरण को बचाया जा सकता है और “मेरा गांव, मेरा तीर्थ” अभियान इसी श्रृंखला में एक मील का पत्थर साबित होगा।
तो है न बात तारीफ की और इसीलिए मुख्यमंत्री शिवराज भी तारीफ किए बिना नहीं रह सके। उन्होंने हरदा के लोगों और कमल पटेल की खुले मन से तारीफ की। उन्होंने कहा कि “इतना स्वार्थी ना हो इंसान कि हम आज का देख लें, कल भाड़ में जाए। हम सोच लें कि हमें क्या करना हैं? हमको आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती बचाना है। पेड़ बचाना, पर्यावरण बचाने का सबसे प्रमुख साधन है। इस अवसर पर मैं गदगद मन से, आप सबको हृदय से धन्यवाद देता हूं।
आप बहुत बड़ा काम कर रहे हैं। आप वृक्ष मित्र हैं, पर्यावरण मित्र हैं। आप धरती को बचाने के पवित्र काम में लगे हुए हैं। इससे बड़ा कोई काम नहीं है। इसलिए जो हरदा से जुड़े हैं और जो बाकी लोग जुड़े हों, मैं सबका अभिनंदन करता हूं। आप 4 करोड़ पेड़ लगाने वाले हैं, अलग-अलग सालों में आपने बांटा है। यह अद्भुत अभियान है। कमल जी.. इस काम में जो लोग लगे हैं; उनके अभिनंदन का एक कार्यक्रम अलग से होना चाहिए।
वह भोपाल में होगा, हम मिलकर करेंगे ताकि लोगों को प्रेरणा मिले। ऐसे लोगों को हम कुछ ना दे सके तो कम से कम इनका सम्मान तो कर सकें। मैं बहुत-बहुत आभारी हूं।आप भी पेड़ लगाएंगे और देश भर में पेड़ लगाने का संकल्प लोग ले रहे हैं। मैं तो पेड़ लगाता ही हूं। मेरी तो आदत हो गई है। जब तक पेड़ नहीं लगाता, मैं अधूरा रहता हूं। पेड़ लगाने के बाद ही मैं उस दिन पूरा होता हूं।”
तो कृषि मंत्री कमल पटेल के नेक काम और जनता की सेवा के प्रति उनका समर्पण ही उन्हें सार्वजनिक प्रशंसा का हकदार बना रहा है। जनप्रतिनिधि का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दायित्व यही है कि जन-जन को जागरूक कर प्रकृति और पर्यावरण से जोड़ें। प्राकृतिक-जैविक खेती की बात हो और वृक्षारोपण की प्रकृति को सौगात हो। जिस दिन जनता जागरूक हो गई, उस दिन बहुत सारी समस्याओं का हल खुद-ब-खुद हो जाएगा। और तब मानव पर्यावरण समृद्धि के साथ-साथ देवदूत बनकर धरती और इंसान को हर आफत से बचाने में सक्षम हो जाएगा। कमल पटेल का ‘मेरा गांव, मेरा तीर्थ’ अभियान रंग लाए और इसका विस्तार पूरे देश में हो, ताकि देश की आबादी के जीवन में खुशियों के रंग भरे रहें।