Mystical Golden Cap of 1857: क्रांतिवीर तात्या टोपे की स्वर्ण जड़ित मख़मली टोपी!
राजीव शर्मा
कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में हमारी एक मूल्यवान विरासत है, क्रांतिवीर तात्या टोपे जी की स्वर्ण जड़ित वेश भूषा।
2015 की सर्दियों में जब मैंने इसे देखा तो चौंक गया .उनकी स्वर्ण जड़ित मख़मली टोपी मुझे चिर परिचित सी लगी .स्मृतियों की वीथी में टहलते हुए मन कोलकाता से सीधे बुंदेलखंड तक चला आया जहाँ वर्षों पहले ऐसी ही टोपी मैंने देखी भी थी और मेज़बान के आग्रह पर धारण भी की थी .
क्षत्रियों के उस परिवार में स्वर्ण जड़ित तीन ऐसी टोपियाँ मुझे याद हैं.तब भी उनकी चमक बरकरार थी .उन्हें अपने पूर्वजों से प्राप्त हुईं थीं .
इस परिवार के पुरखों ने स्वाधीनता सेनानियों की सहायता की होगी जिसके बदले में उन्होंने ये स्मृति चिन्ह सौजन्यवश दिये होंगे .संग्राम के बाद संपर्क सूत्र बिखर गए होंगे और ये इसी परिवार की धरोहर बन गए
मेरा अनुमान है कि 1857 के विकट संग्राम में कोलकाता के उस ब्रिटिश संग्रहालय में स्वर्ण वेश भूषा के साथ अमर शहीद तात्या टोपे जी के सिर से लिया गया केशों का एक गुच्छा भी प्रदर्शित है जो उन्हें फाँसी देने के पहले काट लिया गया था।