नर्मदापुरम बना धान का कटोरा, हुई धान क्रांति, 3 लाख हेक्टेयर में हो रही 80 प्रतिशत धान की खरीफ फसल

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नर्मदापुरम बना धान का कटोरा, हुई धान क्रांति, 3 लाख हेक्टेयर में हो रही 80 प्रतिशत धान की खरीफ फसल

इटारसी से चंद्रकांत अग्रवाल की बिजनेस रिपोर्ट

इटारसी। कृषि प्रधान नर्मदापुरम जिले के अन्नदाता वैसे तो हमेशा ही खेती-किसानी में नवाचार करते रहे हैं। कभी गेहूं उत्पादन में पंजाब का रिकार्ड तोड़ने में तो कभी सोयाबीन पैदावार में अव्वल रहा यह जिला अब सोयाबीन को त्यागकर छत्तीसगढ़ की तर्ज पर धान का कटोरा बन रहा है। इस बार करीब 3 लाख हेक्टेयर खरीफ रकबे में 80 प्रतिशत रकबे में बासमती एवं मोटे धान की बंपर पैदावार हुई है। मंडियों का आलम यह है कि पूरा परिसर धान से पटा हुआ है। जल्द ही सरकार मोटे धान की समर्थन खरीदी की तैयारियों में जुटी हुई है। कृषि जानकारों के अनुसार भविष्य में नर्मदापुरम छत्तीसगढ़ की तरह धान के कटोरे के रूप में मशहूर होने की राह पर है। धान के प्रति किसानों के बढ़ते रूझान से यहां धान आधारित राइस मिलों एवं फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स आर्थिक उन्नति की राह खोलेंगे।

दो नई बड़ी क्षमता की राइस मिलें तो बहुत जल्द ही प्रारंभ हो रही हैं। नर्मदा और तवा के कछार से सिचिंत नर्मदाचंल में 80 प्रतिशत खेती नहरों से होती है। मोटी धान की बोवनी सीडड्रिल पद्धति से किसान कर रहे हैं, वहीं बासमती वैराइटी को भरपूर पानी देने भूमिगत पानी का दोहन किया जा रहा है। पानी के लिए 10 एकड़ के खेत में किसानों ने चार-चार बोरवेल कराए हैं। जिले के बाबई, नर्मदापुरम, इटारसी, डोलरिया, केसला, सिवनी मालवा तक खेतों के रास्ते धान की सौंधी महक अहसास कराती है कि नर्मदाचंल में अब खेतों व मंडियों में धान का बोलबाला है, जबकि सोयाबीन किसानों व व्यापारियों दोनों से दूर हो चुका है। एक उन्नत किसान बाबू चौधरी के अनुसार बासमती की विभिन्न किस्में क्रांति, अनंदा, टी-30 1509,, 1718 पूसा- एक, चलन में हैं, जबकि मोटी धान भी काफी हुई है। मोटी धान को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए सरकार समर्थन दर पर खरीद रही है।

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जिले का कुल कृषि रकबा: 3 लाख 10 हजार हेक्टेयर है। कुल धान रकबा: 2 लाख 35 हजार हेक्टेयर है। तो वहीं बासमती धान का रकबा: 1 लाख 10 हजार तथा मोटी धान का रकबा: 1 लाख,हेक्टेयर है।

धान के लिए अनुकूल काली मिट्टी का इलाका एवं प्रचुर मात्रा में जल उपलब्धता के चलते किसानों ने धान का रिकार्ड उत्पादन किया। इनकी खरीदी के लिए दावत, समेत कई बड़ी कंपनियां भी जिले की मंडियाें में उतरी हैं। स्थानीय आढ़तिए भी धान खरीदी कर रहे हैं। धान ब्रोकर मनीष रामजीलाल अग्रवाल बताते हैं कि बंपर पैदावार को देखते हुए जिले में तेजी से राइस मिल एवं प्रोसेसिंग इकाइयां स्थापित हुई हैं, जहां धान ग्रेडिंग की जा रही है, धान ट्रेंड में आई तो सोयाबीन पिछड़ गया, इससे सोयाबीन प्लांटों को भी नुकसान उठाना पड़ा है। नए चलन से जिले में कृषि आधारित उद्योग एवं रोजगार पर भी असर पड़ा है।

ज्ञात रहे कि
नर्मदाचंल में डेढ़ दशक पहले तक काले-पीले सोयाबीन उत्पादन का ट्रेंड आया था। उस दौरान किसानों ने खरीफ फसल के रूप में इसकी जमकर बोवनी कर मुनाफा कमाया था। रिकार्ड तोड़ उत्पादन हुआ तो पिपरिया, इटारसी, सिवनी मालवा में आधा दर्जन सोयाबीन तेल संयंत्र कारोबारियों ने स्थापित किए, लेकिन लगातार मौसम की प्रतिकूलता एवं जड़जनित रोगों के संक्रमण से फसल को नुकसान हुआ, इस वजह से सोयाबीन से किसानों का मोहभंग हो गया। इसके विकल्प के तौर पर अब धान का चलन बढ़ा है। किसानों के अनुसार जिले में बासमती धान का चलन 1998 के दशक में पंजाब से जमीनें बेचकर यहां आए हरिभगत पंथ के पंजाबी सरदारों ने निटाया-चंद्रपुरा में शुरू किया। तब धान बेचने बूंदी राजस्थान भेजी जाती थी। वहीं से व्यापारी चावल बुलाते थे।धीरे-धीरे किसानों ने धान की ओर रूझान बढ़ाया तो दावत जैसी बड़ी कंपनियों ने जिले में ही ट्रेडिंग शुरू कर अच्छे भाव दिए, सोयाबीन का विकल्प मानकर नर्मदाचंल के किसान इसकी ओर आर्कषित हुए, जिससे धान का रकबा बढ़ता चला गया।

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व्यापारी गण बताते हैं कि सोयाबीन में जोखिम था, जबकि धान सुरक्षित फसल है, कितनी भी वर्षा हो जाए, नुकसान नहीं होता। इस वजह से इसका चलन बढ़ा। दूसरा लागत के अनुपात में दाम अच्छे मिलते हैं। नर्मदाचंल में निर्यात गुणवत्ता की पैदावार होने से सरकार ने भी खरीदी की, साथ ही निजी कंपनियों ने बासमती निर्यात को बढ़ावा दिया। मंडीदीप, रायसेन और नर्मदापुरम में वर्तमान में 17 राइस मिलें हैं, जिनकी रोजाना खपत औसतन 3 हजार बोरा है। मेजेस्टिक, श्रीनाथ, प्रगति एग्राे, सांवरिया ग्रुप समेत कई स्थानीय व्यापारिक कंपनियां बासमती ले रहीं हैं। यही वजह है कि उत्पादकता तेजी से बढ़ रही है। भविष्य में नर्मदाचंल का कृषि क्षेत्र धान पैदावार के नए रिकार्ड बनाएगा। जिले में इस बार खरीफ रकबे में धान की बंपर पैदावार और उत्पादन हुआ है। जल्द ही मोटी धान की सरकारी खरीदी शुरू होगी, इस साल सरकार दाम अच्छे देगी, निजी कंपनियां भी निर्यात क्वालिटी का धान खरीद रही हैं, धान पैदावार में यहां के किसानों का रूझान बढ़ने से उनकी तरक्की होगी– जे आर हेड़ाऊ, उपसंचालक कृषि नर्मदापुरम।