National Education Policy-2020 लागू करने वाला MP देश का पहला राज्य: उच्च शिक्षा मंत्री डॉ यादव

990
National Education Policy

भोपाल(BHOPAL): उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि म प्र में इस वर्ष से National Education Policy लागू की जाएगी। अभी स्नातक स्तर के प्रथम वर्ष के लिये नीति के प्रावधानों को लागू किया जा रहा हैं। National Education Policy को लेकर विभाग द्वारा बनाई टास्क फ़ोर्स ने अन्य राज्यों की उच्च शिक्षा व्यवस्था का अध्ययन किया और Policy के लिए कार्य योजना बनाई।

डॉ यादव ने कहा कि उच्च शिक्षा को अधिक जॉब ओरिएंटेड बनाने के लिए सर्टिफिकेट, डिप्लोमा एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जा रहे हैं। इस वर्ष महाविद्यालयों में 177 डिप्लोमा, 282 सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाएँगे। 79 विषयों के प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम तैयार किये गए है । जिसमें विद्यार्थियों को वैकल्पिक विषय चुनने का अवसर दिया जाएगा।

Also Read:-Bhind Floods Wreak Havoc: भयंकर बाढ़ के बाद अब नेताओं के दौरे और बयानबाजी

National Education Policy के अनुरूप एक साल में सर्टिफिकेट, दो साल में डिप्लोमा एवं तीन साल में डिग्री सहित ‘मल्टीपल एंट्री, मल्टीपल एग्जिट’ सिस्टम और चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) भी लागू किया जा रहा है। इस वर्ष आधार पाठ्यक्रम में योग एवं ध्यान के पाठ्यक्रम भी जोड़े गए है।
जीईआर में लगातार उल्लेखनीय वृद्धि
मध्य प्रदेश में पिछले 5 वर्षों में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में लगातार उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। आल इंडिया सर्वे ऑन हायर एजुकेशन (एआईएसएचई) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पिछले 5 वर्षों में जीईआर में साढ़े चार प्रतिशत से अधिक वृद्धि रिकॉर्ड की गई हैं। वर्ष 2015-16 में जीईआर 19.6 था जो 19-20 में 24.2 पर पहुँच गया हैं। वर्ष 19-20 में 5.36 लाख विद्यार्थियों ने स्नातक प्रथम वर्ष और स्नातकोत्तर प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लिया था। इसके बाद पिछले वर्ष 20-21 में 5.64 लाख विद्यार्थियों ने इन कक्षाओं में प्रवेश लिया। इस वर्ष उम्मीद है कि यह रिकॉर्ड भी नया बनेगा।

Also Read: सहकारिता विभाग (Cooperative Department): जब न्याय की उम्मीद बंधी तब पूरे घर के बदल दिए

डॉ यादव ने कहा कि मप्र अभी भी राष्ट्रीय औसत जीईआर (27.1) से थोड़ा पीछे है, लेकिन इस वर्ष आशा है कि हम इस अंतर को समाप्त करने में सफल होंगे। उच्च शिक्षा में आगामी सत्र से जीईआर बढ़ाने को लेकर कई कदम उठाए जा रहे हैं। वर्ष 20-21 में 12वीं कक्षा में मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल, ओपन बोर्ड और सीबीएसई से लगभग प्रदेश में 8.23 लाख विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं, इस संख्या को दृष्टिगत रखते हुए विभाग ने निजी और शासकीय महाविद्यालयों की सीटों में 25 प्रतिशत वृद्धि की है।
National Education Policy में 2035 तक देश में जीईआर 50 प्रतिशत तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। मध्यप्रदेश में इस लक्ष्य को पाने के लिए कार्य प्रारंभ किया गया है।

दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा
ऐसे युवक-युवती जो नियमित विद्यार्थी के रूप में पढ़ने में सक्षम नहीं है, या कामकाज में व्यस्त हैं उन्हें उच्च शिक्षा प्रदान कराने की दृष्टि से 134 शासकीय महाविद्यालयों में मप्र भोज मुक्त विश्वविद्यालय के स्टडी सेंटर खोले गए हैं और 84 नए सेंटर प्रस्तावित हैं। निजी महाविद्यालयों में भी स्टडी सेंटर खोले जाने के लिए प्रस्ताव विचाराधीन है। भोज मुक्त विश्वविद्यालय को अन्य विश्वविद्यालय के साथ जोड़ कर दूरस्थ शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी कार्य योजना बनाई जा रही है। इस संबंध में आज माननीय कुलपतिगणों से भी चर्चा की जाएगी।

स्थानीय स्तर पर विशेष प्रयास
प्रवेश की संख्या बढ़ाने को लेकर जिलों में स्थानीय स्तर पर विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। शासकीय महाविद्यालय के प्राचार्य जीईआर टारगेट लेकर प्रवेश की संख्या बढ़ाने पर कार्य करेंगे। बड़े महाविद्यालयों को संकाय के हिसाब से शिफ्ट में लगाने और स्थानीय स्तर पर एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में पढ़ाने के लिए प्राध्यापकों की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए गए हैं। विशेष रूचि लेकर कार्य करने वाले प्राध्यापकों को प्रोत्साहन दिया जाएगा। प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों में से 73 प्रतिशत विद्यार्थी शासकीय महाविद्यालय में प्रवेश लेते हैं। इसको दृष्टिगत रखते हुए शासकीय महाविद्यालय में भी सीटों की वृद्धि की जा रही है।
सभी शासकीय एवं निजी महाविद्यालय कम से कम 1 गांव गोद लेंगे। इस तरह प्रदेश में लगभग 1500 गांव गोद लिए जाएँगे, जिनमें उच्च शिक्षा से वंचित कोई युवा न हों इसके लिए सर्वे कराएंगे।

निजी महाविद्यालयों को प्रोत्साहन
उच्च शिक्षा में निजी भागीदारी को बढ़ाने के लिए निजी महाविद्यालय खोलने संबंधी नियमों को सरल बनाया जा रहा हैं। नए कॉलेज खोलने की प्रक्रिया ऑनलाइन की गई है। जिसमें दस्तावेज अपलोड करने पर एनओसी जारी की जाती है। पिछले 2 वर्षों में 89 नए निजी महाविद्यालयों को अनुमति जारी की गई है। इसमें भूमि संबंधी शर्त, किराये के भवन एवं आवेदन शुल्क संबंधी प्रावधान और सरल किए जा रहे हैं। इसमें अन्य राज्यों के प्रावधानों को भी देखा गया हैं।