

Navratri : कठिन साधना का संकल्प-कीलों की शैय्या पर माता की आराधना
सागर: नवरात्रि साधना के विभिन्न प्रकार होते हैं, जिसमें से माँ दुर्गा की आध्यात्मिक और सात्विक साधना अत्यंत सरल और फलदायक होती है। इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों में माँ की साधना विशेष कामनाओं की पूर्ति तथा सिद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है। जिसमें माँ का ध्यान, पूजा, मंत्र, पाठ आदि का जाप शामिल हैं। माना जाता है, कि नवरात्रि में आदिशक्ति माँ दुर्गा की सात्विक साधना पूरी लगन एवं श्रद्धा से करने पर भक्तों के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं,माना जाता है कि भक्तों को नवरात्रि में की गई साधना का मनवांछित फल अवश्य मिलता है। इसलिए नवरात्रि के दौरान दैनिक पूजा-अर्चना के साथ आध्यात्मिक साधना भी बेहद महत्वपूर्ण है। जिसमें माँ का ध्यान, पूजा, अनुष्ठान, मंत्र, पाठ आदि शामिल हैं। लेकिन कई साधक इस आध्यात्मिक साधना को अत्यंत कठिन संकल्पं के साथ पूर्ण करते है। एक भक्त की साधना की जानकारी मीडिया से मिली। सागर जिले के देवरी विकास खंड के छोटे से गाँव सुना के एक भक्त लोहे की किलों के बिस्तर पर लेट कर साधना कर याहे हैं।
जिले के देवरी विकासखंड के सुना गांव के रहने वाले कमलेश कुर्मी खेती किसानी करके अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. लेकिन चैत्र नवरात्रि में कमलेश का नया रूप देखने मिलता है. कमलेश चैत्र नवरात्रि में पिछले पांच साल से अपने गांव से दस किलोमीटर दूर रहली के चांदपुर गांव में अपने गुरुभाई धर्मेन्द्र विश्वकर्मा के घर पहुंच जाते हैं. यहीं पर वह मां की मूर्ति तैयार करके कठिन साधना का व्रत लेते हैं.
कीलों की सैय्या पर लेटकर 9 दिन कठिन साधनना
हर बार की तरह इस बार कमलेश अपने गुरुभाई धर्मेन्द्र के घर पहुंचे. जहां उन्होंने अपने हाथों से मां दुर्गा की मिट्टी की प्रतिमा तैयार की और घट जवारे स्थापित करने के बाद कठिन संकल्प लेकर मां की साधना में जुट गए. इस बार कमलेश ने कीलों की सैय्या पर लेटकर कठिन साधना का व्रत लिया है. अपने संकल्प के दौरान कमलेश बिना अन्न ग्रहण किए 9 दिन कीलों की सैय्या पर लेट रहे हैं. उनकी ये साधना नवरात्रि के शुभारंभ के साथ शुरू हो गई है थी और नवरात्रि के साथ समाप्त होगी.
एक महीने पहले से करते हैं तैयारी
“अपने कठिन व्रत के लिए कमलेश एक महीने पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं. सबसे पहले वह खाना-पीना कम करते हैं और नवरात्रि आते-आते तक ना के बराबर खाना खाते हैं. नवरात्रि व्रत के दौरान सिर्फ दो चम्मच दूध और दो चम्मच पानी ग्रहण करते हैं.”

पिछले पांच साल में कठिन से कठिन साधना
कमलेश पिछले पांच साल से अपने कठिन संकल्प को पूरा करते हैं. पहले साल 9 दिन तक जमीन पर लेटकर शरीर पर जवारे बोए थे. उसके अगले साल बैठे हुए शरीर पर जवारे बोए. उसके बाद तीसरे साल से साधना और कठिन कर दी. उस साल कीलों की कुर्सी पर बैठकर 9 दिन तक साधना की. चौथे साल कीलों के झूले पर बैठकर 9 दिन साधना की और अब पांचवे साल कीलों की सैय्या पर लेटकर साधना कर रहे हैं.
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सोर्स -ETV Bharat