Netflix MovieTribhanga  :फुर्सत में देखी तीन फिल्में ,आज बात स्त्री के त्रिभंग की

netflix movie Tribhanga 

फुर्सत में देखी तीन फिल्में ,आज बात स्त्री के त्रिभंग की

डॉ. स्वाति  तिवारी

मां-बेटी के संबंधों पर आधारित फिल्म ‘त्रिभंगा’ (Tribhanga) नेटफ्लिक्स (Netflix) पर देखी। इस कहानी में ओडिसी नृत्य की तीन भंगिमाओं का प्रयोग करते हुए लेखिका ने तीनों किरदारों के व्यक्तित्वों की व्याख्या की है। काजोल की इस फिल्म का निर्माण अजय देवगन के प्रोडक्शन हाउस ने ही किया है।फिल्म की कहानी रेणुका शहाने ने लिखी है और इस फिल्म में का निर्देशन भी किया  हैं। यह कहा गया  है कि वे फिल्में जो महिलाओं ने लिखी और निर्देशित की हैं, पुरुषों द्वारा बनाई गई फिल्मों से अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील, स्पष्ट और स्त्री-जीवन पर केंद्रित होती हैं। दरअसल, औरतें औरतों को ‘ऑब्जेक्ट’ के रूप में नहीं प्रस्तुत करती बल्कि वे यह समझती हैं कि लंबे समय से चलती आ रही यह परंपरा स्त्री को वस्तु ही बनाती है । औरतों के जीवन के अनेक कौने होते  हैं, जिन्हें सामाजिक अभिव्यक्ति की आवश्यकता है और यह एक या दो महिलाएं अकेली नहीं कर सकती क्योंकि पितृसत्तात्मक समाज की गहरी जड़ें उन्हें ऐसा करने नहीं देंगी।यह फ़िल्म मौजूदा समय में साधारण होकर भी बेहद अलग है,जो खुलकर पितृसत्ता, लिव-इन रिलेशनशिप, सामाजिक-आर्थिक असमानता और सांस्कृतिक भेदभाव जैसे मुद्दों पर बातचीत करती है।

तीन औरतें है तीनों के व्यक्तित्व, संघर्ष और इच्छाएं-एक दूसरे से पूरी तरह भिन्न  हैं। यह अपने अधिकारों को लेकर जागरूक और शोषण के ख़िलाफ़ ज़िद्दी रवैया अपनाने वाली महिलाओं की कहानी है काजोल के अलावा तन्वी आजमी और मिथिला पालकर भी इस फिल्म का हिस्सा हैं। यह फिल्म पूरी तरह से महिला प्रधान है। फिल्म में एक ही परिवार की तीन महिलाओं की कहानी दिखाई गई है। तीनों महिलाओं के अपने सपने हैं और लाइफ को जीने का अपना ही ढंग है। तीनों महिलाएं अलग-अलग पीढ़ी की हैं।

प्रत्येक पीढ़ी पीढ़ी में जाने पर महिलाओं की जीवन शैली बदलती दिखाई गई है ।तन्वी आजमी (नयनतारा आप्टे) एक लेखिका का किरदार निभा रही हैं वहीं काजोल (अनुराधा आप्टे) उनकी बेटी हैं जो एक ओडिशी डांसर हैं. नयनतारा और अनुराधा को फिल्म में ऐसी महिलाओं के तौर पर दिखाया गया है जो अपनी शर्तों पर अपना जीवन जीती हैं. जिसके चलते दोनों के रिश्तों में दरार है  अनुराधा एक रूसी शख्स के साथ लिविन इन में रहती हैं और उनके इस रिश्ते से काजोल की एक बेटी होती है. काजोल की बेटी माशा का किरदार मिथिला ने निभाया है.आप मिथिला पालकर द्वारा अभिनीत अनु की बेटी माशा को एक सामाजिक सोच वाली स्त्री के रूप में देखते हैं, जो एक बच्चे को जन्म देने वाली है। आपको महिलाओं की इन तीन पीढ़ियों को अपना जीवन जीते और अपनी परिस्थितियों से निपटते हुए देखने को मिलता है। यह फिल्म मां-बेटी के रिश्ते की जटिलताओं को उजागर करती है।

निर्देशक ने यह दिखाने की कोशिश की है कि एक मां का बच्ची  पर क्या प्रभाव पड़ता है।नयनतारा और अनुराधा ने  कई बार समाज  की मान्यताओं और रूढ़ियों के खिलाफ जाकर काम किया है। दोनों ने समाज में अपनी प्रतिभा और जिद से जगह बनाई है।फ़िल्म ज़ोर देकर यह बताती है कि सामाजिक रूप से ‘नॉर्मल’ दिखने में कितनी ही बार औरतों की इच्छाओं और उनके चयन के अधिकार को कुचल कर ख़त्म कर दिया जाता है ।

फिल्म में नयनतारा अपनी जीवनी लिखना चाहती हैं और मिलन उपाध्याय यानी कुणाल रॉय कपूर उन्हें वो लिखने में मदद करते हैं. मिलन के साथ इंटरव्यू के दौरान वो बेहोश हो जाती हैं जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है. उनका पूरा परिवार अस्पताल में जुटता है जहां वो कोमा में हैं। और मिलन के सूचना देने पर अनु अस्पताल आती है । काजोल और तन्वी के किरदार से निर्देशन रेणुका ने महिलाओं के प्रति समाज में बनी कई रूढ़िवादी सोच को इस तोड़ने की कोशिश की है. काजोल, तन्वी के बिखरते रिश्तों को देखते हुए मिथिला अपने जीवन को बेहतर बनाना चाहती हैं. वह अपनी माँ से कहती है कि  जो भी हो जैसा भी हो मेरा ससुराल जहां सिर पर पल्लू लेकर बात करनी पड़ते हो ,पर वह एक नॉर्मल फैमेली तो है ! मैं अपनी तरह का अवसाद से भरा  जीवन अपने होने वाले बच्चे को नहीं देना चाहती । सारी उम्र मैंने अपने लिए लोगों को नाजायज औलाद कहते सुना है माँ ,मैं अपने बच्चे को एक पिता और एक नॉर्मल परिवार देना चाहती हूँ ,कहानी में यह भी दिखने की कौशिश की गई है कि स्त्री के स्वतंत्रता का अपना महत्व है लेकिन उसके जीवन का उसके बच्चे पर क्या और कितना गहरा प्रभाव आता है । Netflix MovieTribhanga 

 बस इन्हीं तीनों की कहानी और उनके जीवन में घट रही चीजों के बीच ये फिल्म घूमती है। अगर एक्टिंग की बात करें तो इस फिल्म में तीनों लीड एक्ट्रेसेज ने कमाल का अभिनय किया है मगर काजोल के अभिनय पर ही पूरी फिल्म टिकी हुई सी लगती है. फिल्म में काजोल का किरदार और उनका अभिनय ऐसा है जिसे आपने पहले उनकी किसी दूसरी फिल्म में नहीं देखा होगा. रेणुका शहाणे ने इस फिल्म से अपने निर्देशन करियर की शुरुआत की है. पहली ही फिल्म से उन्होंने निर्देशक के तौर पर अपने नजरिए को बखूबी दर्शाया है.अनुराधा और नयनतारा का जीवन कभी स्थिर नहीं रहा। दोनों के जीवन में पुरुष आते-जाते रहे, लेकिन माशा ऐसी नहीं है। नानी और मां की टूटी-बिखरी जिंदगी को देखने के बाद माशा अपने और अपने बच्चे के लिए एक स्थिर जिंदगी चाहती हैं। यह तीन महिलाओं की एक महिला द्वारा लिखित ,निर्देशित महिला प्रधान बहुत शानदार फिल्म है । एक रिपोर्टर के पूछने पर अनु बताती है कि उसकी मां (तन्वी आजमी) नयन ‘अभंग’ हैं, एक अजब जीनियस जो अपनी कलम से कमाल करती है. वहीं अनु की बेटी माशा (मिथिला पलकर) ‘समभंग’ है यानी पूरी तरह से बैलेंस. अनु के मुताबिक वो खुद त्रिभंग है, जो ओड़िसी डांस की  ही एक मुद्रा  है, जो खुद टेढ़ा-मेढ़ा है लेकिन फिर भी खूबसूरत है .काजोल कहीं कहीं एक्टिंग में ओवर एक्टिंग करती लगी गालियां उनके व्यक्तित्व पर यहाँ थोड़ी बेतुकी लगती है ,पर तन्वी हमेशा की तरह सधी हुई । फिल्म त्रिभंग में काजोल के साथ कुणाल रॉय कपूर, कंवलजीत सिंह और वैभव तत्वावादी भी अहम भूमिका  में मौजूद हैं ।

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