

New Digital Weapon in Trade War: अमेरिका से लड़ाई में चीन ने ‘टिक टॉक’ को बनाया हथियार
सस्ते दामों में बिक रहे बड़े ब्रांड्स के प्रोडक्ट
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर में अब एक नया मोर्चा खुल गया है—डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का। चीन ने अमेरिका को आर्थिक टक्कर देने के लिए अब ‘टिक टॉक’ को एक नया हथियार बना लिया है। यह वही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है जो पहले से ही अमेरिका में विवादों के घेरे में रहा है, लेकिन अब इसमें एक नई रणनीति देखने को मिल रही है।
सूत्रों के मुताबिक, टिकटॉक के ज़रिए चीन की कंपनियां अमेरिकी उपभोक्ताओं को सीधे सस्ते दामों में बड़े ब्रांड्स के प्रोडक्ट्स ऑफर कर रही हैं। इन उत्पादों की कीमतें इतनी कम हैं कि अमेरिकी रिटेल मार्केट में खलबली मच गई है। इससे अमेरिका के छोटे और मंझोले व्यापारी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
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विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सिर्फ ई-कॉमर्स की रणनीति नहीं, बल्कि एक सोची-समझी आर्थिक चाल है, जिसका मकसद अमेरिकी बाजार पर दबाव बनाना है। एक वरिष्ठ अर्थशास्त्री के अनुसार, “टिक टॉक के जरिए चीन अमेरिका की खुदरा अर्थव्यवस्था में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा है। यह डिजिटल युद्ध का एक नया अध्याय है।”
इस कदम से जहां उपभोक्ता खुश हैं, वहीं अमेरिकी प्रशासन एक बार फिर टिकटॉक पर कार्रवाई की तैयारी में है। कई सांसदों ने इसे “चीन की सॉफ्ट पावर का खतरनाक इस्तेमाल” बताया है।
अब देखना यह है कि अमेरिका इस डिजिटल हमले का जवाब किस रणनीति से देता है।
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