New Greenfield Express Way: राजस्थान देश का पहला राज्य जो खुद के स्तर पर 8 नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे बनाएगा

ढाई हजार किमी लंबे 8 नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के लिए डीपीआर बनाने की मंजूरी

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New Greenfield Express Way: राजस्थान देश का पहला राज्य जो खुद के स्तर पर 8 नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे बनाएगा

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की विशेष रिपोर्ट 

नई दिल्ली: प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में राजस्थान को दो बड़े तोहफो के रुप में पाली और जोधपुर शहरों में नए औद्योगिक गलियारों की स्थापना के साथ ही ग्रीन फील्ड औद्योगिक स्मार्ट शहर बनाए जाने का अहम फैसला होने के दूसरे ही दिन राजस्थान की भजन लाल सरकार ने भी प्रदेश में करीब ढाई हजार किमी लंबे 8 नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे की डीपीआर बनाने के लिए 30 करोड़ रु की मंजूरी दी हैं। ऐसे में राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य बनने जा रहा है जो खुद के स्तर पर 8 नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे बनाएगा।

 

राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने गुरुवार को प्रदेश में 2406 किमी के 8 नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए डीपीआर बनाने की स्वीकृति भी जारी कर दी । यह मंजूरी राज्य के बजट घोषणा 2024-2025 की अनुपालना में की गई है। प्रदेश में ये 8 नए ग्रीनफिल्ड एक्सप्रेस वे चरणबद्व रूप से बनाए जाने हैं। राज्य सरकार ने अपने बजट में कोटपुतली-किशनगढ़ के मध्य 181 किमी, जयपुर-भीलवाडा 193, बीकानेर-कोटपुतली 295, ब्यावर-भरतपुर 342, जालौर-झालावाड़ 402, अजमेर-बांसवाड़ा 358, जयपुर-फलौदी 345 और श्रीगंगानगर एवं कोटपुतली के मध्य 290 किमी के नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे मंजूर किए है।

नए ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे की मंजूरी जारी करने के बाद उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने दावा किया है कि इन एक्सप्रेस वे के निर्माण से प्रदेश के आर्थिक विकास को नए पंख लगेगें। इन एक्सप्रेस वे से विकास की नई राह खुलेगी। साथ ही पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की आवाजाही बढे़गी जिससे भी रोजगार के नए अवसर सृजित होगे और प्रदेश के राजस्व में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि तेज और सीधी कनेक्टिविटी स्थापित होने से प्रदेश में निवेश को बढ़ावा मिलेगा और औधोगिक विकास के नए अवसर खुलेंगे। इससे प्रदेश के कृषकों की सीधी पंहुच बडे बाजारों तक हो सकेगी और इससे उनकी आय में भी वृद्धि होगी। प्रदेश में पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए सड़क कनेक्टिविटी बेहद अहम है। नए एक्सप्रेस वे से मार्बल, सीमेंट और अन्य खनिज, कपड़ा उद्योग, पर्यटन और सामरिक महत्व को ध्यान में रखा गया है।

राजस्थान देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है जहां प्रति वर्ष 20 करोड़ से ज्यादा पर्यटक आते हैं. देश के कुल सीमेंट उत्पादन का 70 फीसदी से ज्यादा राजस्थान में होता है. मेजर मिनरल के सर्वाधिक खनिज ब्लॉक राजस्थान में नीलाम हुए हैं. कपड़ा उद्योग में राजस्थान का खास दर्जा है और राजस्थान के मार्बल और सैंडस्टोन की दुनियाभर में मांग है. कृषि उपज में हर साल वृद्धि और फसल का उचित मूल्य राजस्थान मुहैया कराता है. यही कारण है कि अब राजस्थान खुदके एक्सप्रेस वे बनाने जा रहा है ताकि बेहतर रोड नेटवर्क और पर्यटन व औद्योगिक महत्व के शहरों को एक्सप्रेस वे कनेक्टिविटी देकर पर्यटन और उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जा सके ।

राजस्थान देश के उन चुनिंदा राज्यों में शामिल है जहां प्रति वर्ष 20 करोड़ से ज्यादा पर्यटक आते हैं. देश के कुल सीमेंट उत्पादन का 70 फीसदी से ज्यादा राजस्थान में होता है. मेजर मिनरल के सर्वाधिक खनिज ब्लॉक राजस्थान में नीलाम हुए हैं. कपड़ा उद्योग में राजस्थान का खास दर्जा है और राजस्थान के मार्बल और सैंडस्टोन की दुनियाभर में मांग है. कृषि उपज में हर साल वृद्धि और फसल का उचित मूल्य राजस्थान मुहैया कराता है. यही कारण है कि अब राजस्थान खुदके एक्सप्रेस वे बनाने जा रहा है ताकि बेहतर रोड नेटवर्क और पर्यटन व औद्योगिक महत्व के शहरों को एक्सप्रेस वे कनेक्टिविटी देकर पर्यटन और उद्योग को नई ऊंचाइयों तक ले जाया जा सके. तेज और सीधी कनेक्टिविटी स्थापित होने से प्रदेश में निवेश को बढ़ावा मिलेगा और औद्योगिक विकास के नये अवसर सृजित होगे. इससे प्रदेश  के कृषकों की पहुंच सीधी बडे बाजारों तक स्थापित होगी जिससे उनकी आय में वृद्धि होगी. एक्सप्रेस वे से पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी जिससे भी रोजगार के नये अवसर सृजित होंगे तथा राजस्व में वृद्धि होगी. दरअसल ये 8 एक्सप्रेस वे प्रदेश के विकास की 8 लाइफ लाइन साबित होंगे.

 

 

इनमें से 3 कोटपूतली और 2 जयपुर से होकर गुजरेंगे. कोटपूतली को किशनगढ़, बीकानेर और गंगानगर से सीधी कनेक्टिविटी मिलेगी. यानी दिल्ली देर नहीं रहेगी. भीलवाड़ा और फलौदी को जयपुर से कनेक्टिविटी मिलेगी. ब्यावर, भरतपुर से और जालौर सीधे झालावाड़ से जुड़ जाएगा. अजमेर और बांसवाड़ा सीधे कनेक्ट होंगे. मतलब विकास की नई गंगा बहेगा और पर्यटन तथा व्यापार को पंख लग जाएंगे.

 

भजनलाल सरकार ने पिछले दिनों राज्य विधान सभा में प्रस्तुत अपने पूर्ण बजट में प्रदेश में ये एक्सप्रेस वे बनाने की घोषणा की थी। साथ ही  राजस्थान में 53 हजार किलोमीटर लंबा सड़क नेटवर्क तैयार करने की घोषणा की थी। राज्य की उप मुख्यमंत्री दिया कुमारी ने वित्तमंत्री के रूप में बजट पेश करते हुए राज्य के हर विधानसभा क्षेत्र में सड़क बनाने का ऐलान किया था। उन्होंने प्रतिपक्ष की ओर देखकर मुस्कुराते हुए कहा था कि सूची बहुत लंबी है।

 

 

*अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में देश में शुरू हुए मेगा परियोजना युग को नरेन्द्र मोदी सरकार चरमोत्कर्ष की ओर ले जा रही है..*

 

 

 

वर्ष 2014 में नरेन्द्र मोदी के देश का प्रधानमंत्री बनने के पश्चात भाजपानीत एनडीए सरकार ने देश में आधारभूत ढांचा विकास को प्राथमिकता दी और केंद्रीय सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना नई दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के पहले चरण सोहना- (हरियाणा) -दौसा (राजस्थान) सेक्शन को पिछले वर्ष 12 फरवरी को देश को समर्पित कर इसमें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ पर्यावरण, स्थानीय विकास, रोजगार और भविष्य की कनेक्टिविटी के एक युग का सूत्रपात किया। इस एक्सप्रेसवे ने न सिर्फ दिल्ली -जयपुर के मध्य यात्रा की अवधि को कम कर दिया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर और मानदंडों की कसौटी पर खरा उतर रहा यह एक्सप्रेसवे सपनों की एक नई उड़ान का अहसास भी करा रहा हैं।

 

आजादी के बाद देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भारत में कई बड़ी बड़ी परियोजनाओं की नींव रख उसे मूर्त रुप दिया। नेहरू काल के बाद इन्दिरा गांधी सहित देश की अन्य सभी सरकारों ने विकास की गति को आगे बढ़ाया लेकिन गैर कांग्रेसी सरकारों में अटल बिहारी वाजपेयी के शासन काल में देश में मेगा परियोजना का युग शुरू हुआ जिसके अंतर्गत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी स्वर्णिम चतुर्भुज राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना की नींव रखी गई थी। इस मेगा परियोजना में देश के चारों महानगरों दिल्ली मुम्बई कोलकता चेन्नई को चार या छह लेन के राज मार्ग से जोड़ने की शुरुआत हुई थी। साथ ही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत गांव कस्बों तक सड़के बननी शुरू हुई थी। साथ ही जम्मू कश्मीर रेल लिंक मेगा परियोजना के अन्तर्गत कश्मीर घाटी का राजधानी नई दिल्ली से सीधा संपर्क स्थापित करने का दूरदर्शी फैसला किया गया था।अटल जी यही तक नहीं रुके थे । स्वर्णिम चतुर्भुज के बाद ने उन्होंने उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारों के रूप में कश्मीर को कन्याकुमारी और सौराष्ट्र से सिलचर को जोड़ने का एलान कर पूरे अभियान को राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम का नाम दिया था। तब मेजर जनरल भुवन चन्द्र खंडूरी वाजपेयी के गडकरी थे जिन्होंने अपने गृह प्रदेश उत्तराखण्ड की सड़कों का भी कायाकल्प किया था।

 

वर्तमान में नरेन्द्र मोदी सरकार इसे महत्वाकांशी भारतमाला योजना के अंतर्गत v चरमोत्कर्ष की ओर ले जा रही है। संयोग से वाजपेयी सरकार के वक्त भी दिल्ली जयपुर हाई वे की सबसे अधिक चर्चा थी और आज नई दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का सोहना दौसा मार्ग चर्चा में है तथा इससे जयपुर मात्र तीन चार घंटों में पहुंचना संभव हो पा रहा हैं। इससे देश के लोगों को अहसास हुआ है कि अर्थव्यवस्था के विकास में अच्छी सड़कें कितनी जरूरी हैं। 1350 किमी लम्बा दिल्ली से मुंबई एक्सप्रेसवे मार्ग पांच राज्यों से होकर गुजरेगा, जिसमें हरियाणा (129 किमी), राजस्थान (373 किमी), मध्य प्रदेश (244 किमी), गुजरात (426 किमी) और महाराष्ट्र (171 किमी) शामिल हैं। दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए इन पांच राज्यों में 15,000 हेक्टेयर से अधिक भूमि का उपयोग किया गया है। इस मार्ग के अक्टूबर 2025 में पूरा होने की संभावना है। पहले इस एक्सप्रेस वे के निर्माण को पूरा करने की समय सीमा दिसम्बर 2024 थी लेकिन गुजरात में जमीन अधिग्रहण से जुड़ी समस्याओं की वजह से इसमें देरी हो रही हैं। इस एक्सप्रेस वे से दिल्ली और मुम्बई के मध्य की यात्रा का समय 24 घंटे से घट कर 12 घण्टे हो जाएगा।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि सड़कें आधुनिक विकास की मुख्य धुरी हैं और भारत इस दिशा में निरंतर आगे बढ़ता हुआ अंतरराष्ट्रीय मापदंडों को छू रहा हैं। देश के सबसे बड़े भौगोलिक प्रदेश राजस्थान में सड़कों का तेजगति से विकास हुआ है। पर्यटन के लिए विश्व विख्यात राजस्थान में कई नए राष्ट्रीय राजमार्ग भी बन रहें हैं । सीमावर्ती क्षेत्रों में भी सीमावर्ती क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अंतर्गत लंबी चौड़ी सड़कों का निर्माण होने से रेगिस्तान प्रधान पश्चिम राजस्थान की तस्वीर और तकदीर बदल रही है लेकिन राजस्थान का क्षेत्रफल इतना विशाल है कि अकेले बाड़मेर जैसलमेर संसदीय क्षेत्र में ही विश्व के कई देश एक साथ समा जाए। साथ ही इन इलाकों में निर्माण की सेवा लागत भी देश के अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक आती है। ऐसे में राजस्थान को विशेष राज्यों की श्रेणी में रख विशेष केंद्रीय सहायता देने की मांग प्रदेश की हर कांग्रेस भाजपा सरकार करती आई है। दूसरा अहम सवाल सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता और उसकी समय समय पर मरम्मत से जुड़ा हुआ है जिसे लेकर अक्सर शिकायते और जन असंतोष सामने आता रहता है। देश के कई हिस्सों में इन दिनों कई बड़े पुलों और अन्य निर्माण कार्यों के अनायास ढह जाने के मामले प्रकाश में आए हैं।

 

ऐसी परिस्थितियों में अब यह देखना है कि भारत सरकार और राजस्थान सरकार सड़कों के विकास के साथ साथ इनकी गुणवत्ता और संधारण की दिशा में क्या कदम उठाएंगी तथा इसके लिए जिम्मेदार एवं दोषी विभागों संस्थाओं और व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए कोई कड़े कानून बनाएगी?