मंदिरों से भारत में आर्थिक क्रांति के लिए नए रास्ते

420

मंदिरों से भारत में आर्थिक क्रांति के लिए नए रास्ते

वाराणसी के काशी विश्वनाथ परिसर , उज्जैन के महाकाल परिसर और अब अयोध्या के श्रीराम मंदिर तथा परिसर के भव्य आकर्षक बदलाव पर प्रसन्नता और गौरव के साथ एक सवाल यह उठ रहा है कि इन योजनाओं के कार्यान्वयन से कितने लोगों को रोजगार मिलेगा या इलाके के लोगों का आर्थिक जीवन कैसे बदलेगा ? इसी तरह क्या अन्य प्रदेशों के धार्मिक स्थानों में भी पर्यटकों की संख्या में भी बढ़ोतरी से कोई लाभ हो रहा है ? सबसे पहले अयोध्या की बात की जाए |   भव्य राम मंदिर व रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद यहां की अर्थव्यवस्था में भी क्रांतिकारी बदलाव आएगा। एक अनुमान के मुताबिक अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद हर माह दो करोड़ पर्यटक/ श्रद्धालु आएंगे। हर पर्यटक यहां कम से दो-ढ़ाई हजार रुपये भी खर्च करेगा तो इससे सालाना 55 हजार करोड़ की आय होगी।

भव्य राम मंदिर निर्माण से अयोध्या समेत आस-पास के लगभग छह जिलों का आर्थिक परिदृश्य बदलेगा। इससे होटल, टैक्सी, रेस्टोरेंट, हस्तशिल्प, वस्त्र विक्रताओं आदि व्यवसाय में लगे कारोबारियों की आय व रोजगार बढ़ेगा। पर्यटन विभाग अयोध्या में 588 करोड़ व धर्मार्थ कार्य विभाग 936 कुल 1524 करोड़ से मूलभूत सुविधाओं, विकास, कुंड-मठ, मंदिर का जीणोऱ्धार आदि का काम करा रहे हैं। इसमें पर्यटकों व श्रद्धालुओं को केंद्र में रखा गया है।आतिथ्य, यात्रा और पर्यटन उद्योग ने अयोध्या के राम मंदिर में  ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह से पहले 20,000 नौकरियां पैदा की हैं।लाखों की संख्या में भक्तों की दैनिक आमद की आशा करते हुए, उद्योग के विशेषज्ञ आगामी महीनों में नौकरी के अवसरों में निरंतर वृद्धि की उम्मीद करते हैं।

IMG 20240114 WA0086

 राम मंदिर अयोध्या को एक वैश्विक पर्यटन केंद्र में बदल देगा और उम्मीद है कि रोजाना 3-4 लाख पर्यटक आएंगे। पर्यटकों के आगमन में वृद्धि से आवास और यात्रा सेवाओं की मांग में वृद्धि हुई है, जिससे अयोध्या के आतिथ्य क्षेत्र में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है। अनुमान है कि 20,000-25,000 स्थायी और अस्थायी नौकरियाँ पैदा होंगी, जिनकी संख्या सालाना बढ़ने का अनुमान है।पिछले छह महीनों में, होटल स्टाफ, रसोइया, सर्वर और ड्राइवर सहित आतिथ्य, यात्रा और पर्यटन से संबंधित विभिन्न भूमिकाओं में लगभग 10,000 से 20,000 पद सृजित हुए हैं |, आतिथ्य क्षेत्र के कई अधिकारी आतिथ्य प्रबंधकों, रेस्तरां और होटल कर्मचारियों, लॉजिस्टिक्स प्रबंधकों और ड्राइवरों जैसी भूमिकाओं में हजारों अतिरिक्त नौकरियों की उम्मीद कर रहे हैं।

यह मांग केवल अयोध्या तक ही सीमित नहीं है, बल्कि लखनऊ, कानपुर और गोरखपुर जैसे पड़ोसी शहरों तक भी बढ़ने की उम्मीद है।अनुमान है कि प्राण प्रतिष्ठा के दो से तीन सालों में यहां रोजाना तीन लाख पर्यटक व श्रद्धालु पहुंचेंगे। इस हिसाब से इस दौरान लगभग 20 करोड़ लोगों के पहुंचने की उम्मीद है। काशी विश्वनाथ की तरह अयोध्या  देश में सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था का दूसरा मॉडल बनने जा रहा है।  टूरिज्म बढ़ने के साथ ही अयोध्या में टैवल, हॉस्पिटैलिटी और लॉजिस्टिक्स बिजनेस  में कई गुना वृद्धि हुई है  । बड़ी  होटल कंपनियां अयोध्या में अपनी शाखाएं  खोलने जा रही हैं। इनमें ताज, मैरियट, जिंजर, ओबेरॉय, ट्राइडेंट और रेडिसन शामिल हैं। इसके अलावा एक और बिजनेस अयोध्या में परवान चढ़ रहा है। यह होम स्टे का बिजनेस  है । इस बिजनेस से अयोध्या के हजारों परिवारों को रोजगार मिलने वाला है।

अयोध्या में बड़ी संख्या में लोगों ने होम स्टे खोलने के लिए आवेदन दिया है। अयोध्या विकास प्राधिकरण के अधिकारियों के अनुसार, पिछले एक साल में 600 घरों ने होम स्टे प्रमाणपत्र के लिए आवेदन किया । इनमें से 464 को प्रमाणपत्र प्रदान किया गया है और उन्होंने परिचालन शुरू कर दिया है। यूपी सरकार स्थानीय लोगों को अपने घरों में होम स्टे खोलने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, ताकि उन्हें आजीविका प्रदान की जा सके। सरकार ने होम स्टे को “गैर-व्यावसायिक उद्यम” के रूप में चिन्हित किया है। इससे होम स्टे को किसी भी वाणिज्यिक कर का भुगतान करने से छूट मिलती है। सरकार की इस पहल से बड़ी संख्या में लोग होम स्टे खोलने को प्रेरित हो रहे हैं। होम स्टे अगले साल तक कम से कम 1000 होम स्टे तैयार करने का लक्ष्य  दिया गया है। इसका उद्देश्य शहर की प्रति व्यक्ति आय में इजाफा करना है। अयोध्या में कोई बड़ी इंडस्ट्री या कारखाने नहीं हैं, इसलिए यह आय का एक अच्छा स्रोत साबित होगा। मंदिर के उद्घाटन के बाद अयोध्या में प्रतिदिन करीब 1,00,000 तक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।2-5 कमरों के साथ लोग अपने घरों में होमस्टे खोल सकते हैं। वे एक कमरे के लिए 1,500 से 2,500 रुपये प्रतिदिन का शुल्क ले सकते हैं।  इससे पहले वाराणसी और उज्जैन में यह योजना बहुत सफल हुई है और निम्न मध्यम आय वर्ग के परिवारों की आमदनी में अच्छी खासी वृद्धि हुई है |  के अलावा अयोध्या के आसपास के गांवों में “ग्राम पर्यटन” को बढ़ावा देने के लिए कच्चा  या मिट्टी के घरों को लाने की भी योजना है। अब तक 18 लोगों ने इसके लिए आवेदन किया है, जिसमें से 2-3 को प्रमाणपत्र दिए गए हैं। होम स्टे से लोकल फूड को भी बढ़ावा मिलेगा। रामनगरी देश ही नहीं, दुनिया के लिए भी सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था का नया मॉडल बनेगी। पर्यटन विभाग का अनुमान है कि प्राण प्रतिष्ठा के दो से तीन सालों में यहां रोजाना तीन लाख पर्यटक व श्रद्धालु पहुंचेंगे। इस हिसाब से इस दौरान लगभग 20 करोड़ लोगों के पहुंचने की उम्मीद है।

 बनारस विश्व विद्यालय  से संबद्ध अर्थशास्त्र के प्रोफेसर व उनकी टीम ने पर्यटन विभाग के आंकड़ों के आधार पर जो आर्थिक सर्वे  तैयार किया है, उसके हिसाब से हर पर्यटक औसतन तीन हजार रुपये खर्च करता है। यानी 20 करोड़ पर्यटक कुल मिलाकर छह लाख करोड़ रुपये खर्च करेंगे। यह रकम भारतीय रेलवे के 2022-23 के वार्षिक बजट से आठ गुना अधिक (73.671 करोड़ रुपये) और मनरेगा को 5 साल से अधिक समय तक वित्तपोषित करने के लिए पर्याप्त है। सरकार राममंदिर निर्माण से लेकर पूरी अयोध्या को नव्य, भव्य व दिव्य बनाने के लिए सरकार 21 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर रही है।तीन साल में छह लाख करोड़ रुपये के निवेश से अधिक स्थानीय रोजगार पैदा होंगे। वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय वस्तुओं एवं दक्ष और कुशल दोनों श्रम को रोजगार के अवसर मिलेंगे।  निवेश के मध्यम प्रवाह को भी मानें, तो आगामी तीन वर्षों में अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों में पांच से 10 लाख का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हो सकता है। इसके साथ ही विदेशी पर्यटकों के आने से विदेशी मुद्रा का भी सृजन होगा। हम कह सकते हैं कि भारत ने दुनिया को अलग सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था का मॉडल तैयार करके दिखा दिया है।

देश की आध्यात्मिक चेतना का केंद्र काशी विश्वनाथ परिसर  अब आर्थिक विकास की धुरी बन गया है। दो वर्ष पहले दिसंबर 2021 में जब काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया गया। उस समय तक करीब 69 लाख लोगों ने काशी विश्वनाथ के दर्शन किए। वहीं, अगले साल यह संख्या 13 करोड़ पार चली गई है। इस तरह से इस दो वर्ष के भीतर यहां श्रद्धालुओं की आवक में 20 गुना बढ़ोतरी हुई है। दिलचस्प बात यह है कि देश में सबसे बड़ा पर्यटक स्थल गोवा बड़े अंतर से पीछे छूट गया है। गोवा जाने वाले पर्यटकों की कुल संख्या करीब 1 करोड़ तक ही पहुंच पाई है। लोगों के लिए रोजगार और व्यापार के अवसर भी बढ़े हैं। पर्यटन व आतिथ्य क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की आय 65 फीसदी तक बढ़ी है। वहीं, इस क्षेत्र में रोजगार में भी 34.18 फीसदी की वृद्धि हुई है। 2021 से पहले काशी विश्वनाथ मंदिर एक 3 हजार वर्ग फीट के मध्यम आकार के सामान्य घर जितने क्षेत्र में फैला था। अब 5 लाख वर्ग फीट में काशी विश्वनाथ कॉरिडोर की दिव्यता और भव्यता सहज ही मंत्रमुग्ध कर देती है।

हाल के वर्षों में वाराणसी में पर्यटकों की रिकॉर्ड तोड़ इजाफा देखने को मिला | काशी विश्वनाथ कॉरिडोर और केंद्र द्वारा धार्मिक पर्यटन को दिए गए नए प्रोत्साहन को दिया जा सकता है |प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम में भी बताया था  कि पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रभाव जीवन और आजीविका दोनों पर देखने को मिल रहा है | कहा गया है कि वाराणसी की पर्यटन-संबंधी आय में 20-65 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि इस क्षेत्र में रोजगार में 34.2 फीसदी की वृद्धि हुई है | यह केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के  तथ्य  से जुड़ा है, जो भारत में 60 फीसदी से अधिक पर्यटन को धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन श्रेणी  में रखता है | आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि भारत में पूजा स्थलों के आसपास की इकोनॉमी में 2022 में करीब 1.3 लाख करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई, जो 2021 में 65,070 करोड़ रुपये थी | जहां वाराणसी पर्यटकों की संख्या के मामले में सबसे आगे है, वहीं अयोध्या, मथुरा और उज्जैन जैसे अन्य मंदिर शहर भी पीछे नहीं हैं | यदि देश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन के प्रमुख केंद्रों की बात की जाए तो अयोध्या , वाराणसी , उज्जैन , मथुरा के अलावा तिरुपति , जगन्नाथ पुरी , रामेश्वरम , गुरुयावूर , मदुरै , जम्मू , अमृतसर , हरिद्वार , बद्रीनाथ , केदारनाथ , रामेश्वरम , सोमनाथ , द्वारका , पुष्कर – अजमेर , नाथद्वारा में परिवहन , होटल , स्थानीय सामान के बाजार आदि से  करोड़ों रुपयों की आमदनी और  दैनंदिन काम करने वालों को रोजगार मिल रहा है | रेल तथा वायु सेवा में निरंतर सुधार और बढ़ोतरी से भी नौकरियां मिल रही है |

धार्मिक पर्यटन    के मामले में पर्यटन मंत्रालय के आंकड़े महत्वपूर्ण  हैं |साल 2022 में मंदिरों से कुल कमाई 1.34 लाख करोड़ हुई. जो 2021 में 65 हजार लाख के आसपास थी | इससे एक साल पहले यानी साल 2020 में 50,136 करोड़, 2019  में 2,11,661 करोड़ और 2018 में 1,94,881 करोड़ की कमाई हुई थी | यानी तीर्थ स्थल से कमाई का आंकड़ा दोगुना रफ्तार में आगे बढ़ा है || बीते कुछ सालों में धार्मिक पर्यटन पर जोर देने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं | इनमें सबसे प्रमुख कार्य बुनियादी ढांचे के निर्माण से जुड़ा हुआ है | बीते कुछ सालों में सरकार ने तीर्थ स्थानों तक पहुंचने के लिए रोडवेज, सड़क और एयरपोर्ट का निर्माण किया है | ताकि वहां पहुंचने की इच्छा रखने वाले पर्यटकों को ज्यादा मुश्किलों का सामना न करना पड़े | इसके अलावा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार कई योजनाएं चला रही है |  जैसे  पर्यटन मंत्रालय द्वारा चलाई जा रही प्रसाद योजना | इस योजना के तहत प्रमुख  तीर्थ स्थानों में इन्फ्रास्ट्रक्चर  तैयार  किया जा रहा है |

Author profile
ALOK MEHTA
आलोक मेहता

आलोक मेहता एक भारतीय पत्रकार, टीवी प्रसारक और लेखक हैं। 2009 में, उन्हें भारत सरकार से पद्म श्री का नागरिक सम्मान मिला। मेहताजी के काम ने हमेशा सामाजिक कल्याण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है।

7  सितम्बर 1952  को मध्यप्रदेश के उज्जैन में जन्में आलोक मेहता का पत्रकारिता में सक्रिय रहने का यह पांचवां दशक है। नई दूनिया, हिंदुस्तान समाचार, साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान में राजनितिक संवाददाता के रूप में कार्य करने के बाद  वौइस् ऑफ़ जर्मनी, कोलोन में रहे। भारत लौटकर  नवभारत टाइम्स, , दैनिक भास्कर, दैनिक हिंदुस्तान, आउटलुक साप्ताहिक व नै दुनिया में संपादक रहे ।

भारत सरकार के राष्ट्रीय एकता परिषद् के सदस्य, एडिटर गिल्ड ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व महासचिव, रेडियो तथा टीवी चैनलों पर नियमित कार्यक्रमों का प्रसारण किया। लगभग 40 देशों की यात्रायें, अनेक प्रधानमंत्रियों, राष्ट्राध्यक्षों व नेताओं से भेंटवार्ताएं की ।

प्रमुख पुस्तकों में"Naman Narmada- Obeisance to Narmada [2], Social Reforms In India , कलम के सेनापति [3], "पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा" (2000), [4] Indian Journalism Keeping it clean [5], सफर सुहाना दुनिया का [6], चिड़िया फिर नहीं चहकी (कहानी संग्रह), Bird did not Sing Yet Again (छोटी कहानियों का संग्रह), भारत के राष्ट्रपति (राजेंद्र प्रसाद से प्रतिभा पाटिल तक), नामी चेहरे यादगार मुलाकातें ( Interviews of Prominent personalities), तब और अब, [7] स्मृतियाँ ही स्मृतियाँ (TRAVELOGUES OF INDIA AND EUROPE), [8]चरित्र और चेहरे, आस्था का आँगन, सिंहासन का न्याय, आधुनिक भारत : परम्परा और भविष्य इनकी बहुचर्चित पुस्तकें हैं | उनके पुरस्कारों में पदम श्री, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, पत्रकारिता भूषण पुरस्कार, हल्दीघाटी सम्मान,  राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, राष्ट्रीय तुलसी पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शनी पुरस्कार आदि शामिल हैं ।