Nigerian Citizen’s Story : पुलिस की गलती से एक नाइजीरियाई 5 महीने से पुलिस का मेहमान!
Indore : यहाँ के एक थाने में नाइजीरियन आरोपी को रखना पुलिस को महंगा पड़ गया। इस युवक को वापस उसके देश भेजने तक की प्रक्रिया में पुलिस को 5 लाख रुपए खर्च करना पड़े। वीजा और पासपोर्ट नहीं मिलने के कारण पुलिस को उसे मेहमान की तरह साढ़े 5 महीने रखना पड़ा। हालांकि, इस पूरे मामले में पुलिस की ही गलती थी।
शहर की 62 साल की वृद्धा से 31.64 लाख की ऑनलाइन ठगी करने वाले नाइजीरियन आरोपी को पुलिस कोर्ट में दोषी साबित नहीं कर सकी। लेकिन अब उसे उसके देश वापस भेजने की 5 माह की प्रक्रिया में पुलिस 5 लाख रुपए से ज्यादा खर्चा कर चुकी है। पुलिस ने इस शख्स को ऑनलाइन ठगी के आरोप में गिरफ्तार तो कर लिया था, लेकिन कोर्ट में सबूत पेश नहीं कर सकी। पुलिस की नादानी की वजह से नाइजीरियन युवक को ढाई साल जेल में रहना पड़ा। एक बुजुर्ग महिला से ऑनलाइन धोखाधड़ी में इंदौर की साइबर सेल ने दिल्ली से आरोपी विज्डम ओबिन्ना चिमिजी को गिरफ्तार किया था। उसकी जांच के बाद विज्डम को जेल हो गई।
ढाई साल जेल में रहने के बाद उसके वकील ने केस लड़ा। इस दौरान चौंकाने वाली बात हुई। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ जिन धाराओं में केस दर्ज किया था उसमें एक भी साक्ष्य कोर्ट में उपलब्ध नहीं करवा सकी। इस पर कोर्ट ने 5 महीने पहले उसे दोष मुक्त कर दिया। पुलिस ने अपनी नादानी से सिर्फ मोबाइल सिम और आईपी एड्रेस के आधार पर उसे मुलजिम बनाकर ढाई साल जेल में कटवा दिए।
पुलिस को देनी पड़ीं सुविधाएं
दोष मुक्त होने के बाद विज्डम इंदौर पुलिस के लिए सिर का दर्द हो गया। चूंकि, इन ढाई सालों में एक तरफ उसका पासपोर्ट एक्सपायर हो गया, तो दूसरी तरफ उसे वीजा और इमरजेंसी ट्रेवलिंग सर्टिफिकेट नहीं मिला। उसके बाद वह इंदौर पुलिस का मेहमान बन गया। पुलिस को उसे मेहमानों की तरह थाने में रखना पड़ा। उसे थाने में एक कमरा देना पड़ा और खाने-पीने के साथ सारी सुविधाएं देनी पड़ीं।
एक एसीपी रैंक की अधिकारी को दिल्ली में नाइजीरियन एंबेसी तक दौड़ लगानी पड़ी और उसका वीजा व इमरजेंसी ट्रेवलिंग सर्टिफिकेट तैयार करवाकर लाना पड़ा। यही नहीं नाइजीरिया में उसकी मां और बहन को कन्वेंस कर उसे वापस उसके देश लौटाने के लिए 28 फरवरी का एयर टिकट भी करवाया। 28 तारीख को अब पुलिस उसे एक आम नागरिक की तरह उसे नाइजीरिया भेजेगी।
उसकी निगरानी में 4 महीनों तक एक गार्ड भी रखना पड़ा। विज्डम ने कहा कि भारत एक अच्छा देश है। उसने इंदौर पुलिस की भी तारीफ की। विजडम ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया में थोड़े बदलाव की जरूरत है। विदेशी नागरिक अगर किसी केस में अरेस्ट होता है तो उसे जमानत कैसे मिलेगी, उसकी परिवार के साथ बातचीत कैसे होगी, इन सब प्रक्रियाओं में बदलाव की जरूरत है।
जेल में सीखी हिंदी, ढेर सारी यादें
अपने देश नाइजीरिया जाने को लेकर विज्डम काफी खुश हैं। वे अपने साथ इंदौर के दोस्तों की यादें लेकर जा रहे हैं। विज्डम ने जेल में ही हिंदी बोलना सीखा। इस बारे में उन्होंने कहा कि जेल और थाने में मुझे अंग्रेजी की वजह से काफी दिक्कत हो रही थी। यहां कि पुलिस इंग्लिश नहीं समझ पा रही थी। इसलिए मैंने हिंदी बोलना सीख लिया। जेल में भी मुझे काफी दिक्कत हो रही थी। मुझे जेल में जेल में बंद कैदियों ने हिंदी सिखाई। वे मेरे अच्छे दोस्त बन गए। मैं साढ़े पांच महीने इंदौर के एमजी रोड थाने में मेहमान की तरह रहा हूं। यहां के पुलिस जवानों और थाना प्रभारी ने भी मुझे मेहमान की तरह रखा. मुझे कपड़े खाना पीना हर चीज की व्यवस्था करके दी।