Nitin Gadkari’s Statement on Electoral Bonds: ‘पैसों के बगैर नहीं चल सकती कोई भी पार्टी’

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Nitin Gadkari's Statement on Electoral Bonds

Nitin Gadkari’s Statement on Electoral Bonds : ‘पैसों के बगैर नहीं चल सकती कोई भी पार्टी’, चुनावी बॉन्ड पर नितिन गडकरी का बयान

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आलोचकों से पूछा कि पार्टियों को बॉन्ड के माध्यम से पैसा मिलेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को नंबर एक पर धकेलने में मदद मिलेगी। क्या यह विचार ग़लत था?चुनावी बांड योजना तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा बजट 2017 में पेश की गई थी, जबकि बांड की पहली किश्त मार्च 2018 में उपलब्ध कराई गई थी। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), देश का सबसे बड़ा ऋणदाता, चुनावी बांड जारी करने के लिए जिम्मेदार इकाई थी।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बिना धन के राजनीतिक दल को चलाना संभव नहीं है और केंद्र ने चुनावी बॉण्ड योजना ”अच्छे इरादे” से शुरू की थी। केंद्र सरकार द्वारा 2017 में लायी इस योजना को उच्चतम न्यायालय ने असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता ने कहा कि यदि उच्चतम न्यायालय इस मामले पर और कोई निर्देश देता है तो सभी राजनीतिक दलों को एक साथ बैठने और इस पर विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है। उन्होंने शुक्रवार को गांधीनगर के समीप गिफ्ट सिटी में एक मीडिया संगठन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में ये टिप्पणियां कीं।

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चुनावी बॉन्ड पर क्या बोले नितिन गडकरी

गडकरी ने चुनावी बॉण्ड के बारे में एक सवाल पर कहा, ”जब अरुण जेटली केंद्रीय वित्त मंत्री थे तो मैं चुनावी बॉण्ड से जुड़ी बातचीत का हिस्सा था। कोई भी पार्टी संसाधनों के बगैर नहीं चल सकती। कुछ देशों में सरकारें राजनीतिक दलों को चंदा देती है। भारत में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है इसलिए हमने राजनीतिक दलों के वित्त पोषण की इस व्यवस्था को चुना।” उन्होंने कहा कि चुनावी बॉण्ड लाने के पीछे का मुख्य उद्देश्य यह था कि राजनीतिक दलों को सीधे चंदा मिले लेकिन दानदाताओं के नामों का खुलासा न किया जाए क्योंकि ”अगर सत्तारूढ़ दल बदलता है तो समस्याएं पैदा होंगी।” सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि जैसे कि किसी मीडिया हाउस को एक कार्यक्रम के वित्त पोषण के लिए प्रायोजक की आवश्यकता होती है, उसी तरह राजनीतिक दलों को भी धन की जरूरत होती है।

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चुनावी बॉन्ड लाने के पीछे अच्छे इरादे

गडकरी ने कहा, ”आपको जमीनी हकीकत देखने की जरूरत है। पार्टियां चुनावी कैसे लड़ेंगी? हम पारदर्शिता लाने के लिए चुनावी बॉण्ड की व्यवस्था लेकर आए थे। जब हम चुनावी बॉण्ड लाए थे तो हमारा इरादा अच्छा था। अगर उच्चतम न्यायालय को इसमें कमियां नजर आती हैं और वह हमें इसमें सुधार लाने के लिए कहता है तो सभी दल एक साथ बैठेंगे और सर्वसम्मति से इस पर विचार-विमर्श करेंगे।” उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह एक ऐतिहासिक फैसले में अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉण्ड योजना रद्द कर दी। न्यायालय ने कहा कि यह योजना भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ ही सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है।