संकटमोचक बनकर उभरते नीतीश और कमलनाथ

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संकटमोचक बनकर उभरते नीतीश और कमलनाथ

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी यह बात भलीभांति समझ चुके हैं कि यदि 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए के सामने कड़ी चुनौती पेश करना है तो उसके लिए विपक्षी दलों की एकता अत्यंत जरुरी है। वह ये भी समझते हैं कि विपक्ष के सभी दलों से बात करना कांग्रेस के लिए न तो आसान है और न ही क्षेत्रीय दलों से सीधे संवाद स्थापित करना उसके लिए संभव होगा, इसलिए बीच में किसी ऐसे नेता की जरुरत होगी जो सबसे बात कर सके। लगता है कांग्रेस को संकटमोचक के रुप में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मिल गये हैं जो सभी विपक्षी दलों से बात भी कर सकते हैं और किसी न किसी रुप में आपस में सभी दलों के बीच तालमेल स्थापित करा सकते हैं। कांग्रेस पार्टी को इस समय दो मोर्चों को एक साथ साधना होगा, पहला तो उसे अधिक से अधिक विपक्षी दलों के बीच समन्वय की दरकार है तो वहीं दूसरी ओर घरेलू मोर्चे पर राज्यों में जो असंतोष अंदरखाने खदबदा रहा है और कहीं-कहीं सतह पर आता जा रहा है उसका शमन करना भी जरुरी है। सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे अहमद पटेल के निधन के बाद में कांग्रेस किसी ऐसे नेता का अभाव महसूस किया जाता रहा है जो पार्टी के लिए संकटमोचक बन सके। ऐसे में संकेत मिल रहे हैं कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ उसके लिए संकटमोचक की भूमिका में आते जा रहे हैं। आबकारी घोटाले में फंसी आम आदमी पार्टी सरकार के मुखिया मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल तक भी अब घोटाले की आंच आने लगी है और सीबीआई ने रविवार 16 अप्रैल को पूछताछ के लिए उन्हें तलब किया है। इस प्रकार अब दिन प्रतिदिन उन राज्यों में जहां चुनाव इस वर्ष होना हैं वहां तथा विपक्ष शासित राज्यों में केन्द्र से टकराहट बढ़ने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

संकटमोचक बनकर उभरते नीतीश और कमलनाथ

आबकारी नीति घोटाले में फंसी दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद अब जांच के घेरे में स्वयं मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल भी उलझते नजर आ रहे हैं। इस मामले में सीबीआई की एफआईआर में आरोपित होने के बाद जांच के दौरान एक आरोपित और एक गवाह के बयान में केजरीवाल के नाम का भी उल्लेख हुआ है। हालांकि सीबीआई की एफआईआर में केजरीवाल आरोपित नहीं हैं लेकिन उन्हें छुट्टी के दिन रविवार को 11 बजे जांच एजेंसी सीबीआई मुख्यालय बुलाया गया है। इस दौरान आम आदमी पार्टी कार्यकर्ताओं के धरना-प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए सीबीआई ने रविवार का दिन तय किया है। इस मामले में राजनीतिक संवेदनशीलता को समझते हुए फिलहाल अधिकारी पूछताछ के पहले इस मुद्दे पर बोलने से बच रहे हैं। लेकिन ईडी की चार्जशीट में दो जगह केजरीवाल का नाम सामने आया है, दूसरी चार्जशीट में घोटाले में गिरफ्तार इंडो स्प्रिट के मालिक समीर महेन्दू के बयान का हवाला दिया गया है। महेन्दू के अनुसार उसके कहने पर विजय नायर ने तीन बार केजरीवाल से मुलाकात का समय तय करने की कोशिश की थी लेकिन मुख्यमंत्री की व्यस्तता के कारण यह संभव नहीं हो सका था। इसके बाद नायर ने फेसटाइम पर वीडियो काल कराई थी। बातचीत में केजरीवाल ने नायर को अपना आदमी बताया और उसके साथ काम करने की सलाह दी थी।

आरोप है कि होलसेलर को दिए गए 12 प्रतिशत लाभ में से आम आदमी पार्टी 6 प्रतिशत कमीशन के रुप में लेती थी। ईडी की चार्जशीट में दूसरी जगह पर मुख्यमंत्री केजरीवाल का उल्लेख मनीष सिसोदिया के पीएस सी. अरविन्द के बयान में आया है उसके अनुसार सी.अरविन्द ने सिसोदिया द्वारा मार्च 2021 में मुख्यमंत्री आवास पर बुलाये जाने की बात कही है, जहां सिसोदिया के साथ केजरीवाल और सत्येंद्र जैन भी थे। उनके सामने ही सिसोदिया ने 30 पन्नों का नोट सौंपा था उसके आधार पर मंत्रिमंडलीय समूह की रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया था। इस नोट में पहली बार होलसेलर को 12 प्रतिशत लाभ देने का जिक्र था। अरविन्द केजरीवाल का कहना है कि ईडी लोगों को टार्चर कर एवं दबाव डालकर झूठे बयान ले रही है, ईडी का दावा है कि मनीष सिसोदिया ने अपने फोन तोड़ दिए जबकि उनमें से कई फोन ईडी की कस्टडी में हैं और सारा मामला मनगढंत है। राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा है कि जबसे केजरीवाल ने बताया कि अदाणी की कंपनियों में लगा पैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है तभी से उनके खिलाफ पीएम ने साजिश रचना शुरु कर दी और 16 अप्रैल को केजरीवाल को गिरफ्तार कर जेल में डालने की साजिश रची गयी है। अब देखने वाली बात यही होगी कि केजरीवाल जेल जाते हैं या नहीं।

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नीतीश को है सबके साथ आने का भरोसा
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन दिन के अपने दिल्ली के राजनीतिक मिशन के बाद पटना लौटते ही विश्वास जताया है कि विपक्षी पार्टियां एक साथ आयेंगी और उनका गठबंधन हो जायेगा। यहां एक कार्यक्रम में नीतीश का कहना था कि उन्होंने कई पार्टियों से बात की है और वे साथ आने के लिए तैयार हैं। दिल्ली में कांग्रेस नेताओं के अलावा आम आदमी पार्टी, सीपीएम और सीपीआई के नेताओं से उन्होंने मुलाकात की थी। कई और पार्टियों के नेताओं से भी वे आने वाले समय में मुलाकात करने वाले हैं। अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि अभी भी कुछ और पार्टियों से बात करने की जरुरत है, वे सभी एक-दूसरे से बात करेंगी। बहुत जल्द ही ज्यादातर पार्टियां एक साथ आयेंगी। मैंने कांग्रेस पार्टी के नेताओं से विस्तार से बात की है और हर कोई सहमत हो गया है। अब हम भाजपा के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं। नीतीश ने कहा कि मेरा मिशन यह है कि सभी पार्टियां एक साथ बैठें और तय करें कि 2024 के चुनाव के लिए क्या करना है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से नीतीश कुमार और उनके उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की बैठक हुई थी, इस बैठक में नीतीश कुमार उन पार्टियों से बात करने को राजी को गये हैं जो भाजपा व कांग्रेस से समान दूरी बनाकर चलती हैं। कांग्रेस नेताओं से मिलने के बाद पहली फुर्सत में ही अरविन्द केजरीवाल से नीतीश की मुलाकात हुई, उसके बाद केजरीवाल ने कहा कि मैं पूरी तरह से उनके साथ हूं, यह बहुत जरुरी है कि पूरा विपक्ष देश में एक साथ आये और केंद्र में सरकार बदले। नीतीश कुमार का अगला मिशन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मनाना है। इन दोनों पार्टियों ने कांग्रेस के साथ काम करने से इन्कार कर दिया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ भी नीतीश कुमार बात करेंगे तथा कांग्रेस के साथ तालमेल के लिए अखिलेश यादव को मनायेंगे।

और यह भी
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की टकराहट के कारण जो सियासी संकट छाया हुआ है उस विवाद को सुलझाने की जवाबदारी कमलनाथ ने अपने कंधे पर ले ली है और उन्होंने सचिन से दो घंटे तक चर्चा की है जिससे विवाद के थमने के आसार नजर आने लगे हैं। विगत गुरुवार 13 अप्रैल को पायलट और कमलनाथ के बीच लगभग 2 घंटे की चर्चा हुई और इस चर्चा के बाद पायलट की नाराजगी कुछ दूर भी हो गयी है। इस चर्चा में कांग्रेस महासचिव के.सी वेणुगोपाल भी मौजूद थे। कांग्रेस के अंदर संकटमोचक की भूमिका में आते जा रहे कमलनाथ का जोर इस बात पर रहा कि पायलट की नाराजगी को दूर किया जाए और यह भी जानने का प्रयास किया कि आखिर दिक्कत कहां है। इस दौरान उन्होंने पायलट और गहलोत के बीच मतभेद को समाप्त करने के तरीकों पर चर्चा की। कमलनाथ ने इस बात की तस्दीक करते हुए कहा कि दिल्ली में मेरी सचिन पायलट से चर्चा हुई। सचिन ने अपनी शर्त रखी है, नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है सब ठीक हो जायेगा। सचिन ने यह साफ किया कि उनका अनशन पार्टी विरोधी नहीं था बल्कि उन्होंने जनहित के मुद्दों को उठाया था। कमलनाथ की अभी सचिन से ही चर्चा हुई है, जरुरत पड़ी तो कमलनाथ राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी चर्चा कर सकते हैं। राहुल गांधी से बात कर सुलह का कोई स्थाई फार्मूला निकालने का प्रयास भी कमलनाथ कर सकते हैं। अब यह तो राजस्थान का वाकया है लेकिन ऐसा समझा जा रहा है कि भविष्य में जिन राज्यों में कांग्रेस के अंदर अंदरुनी अंतर्कलह तेज होगी उसे थामने के लिए भी आलाकमान कमलनाथ को आगे कर सकता है क्योंकि कमलनाथ एक ऐसे अनुभवी और वरिष्ठ राजनेता हैं जो कांग्रेस ही नहीं बल्कि गैर भाजपाई विपक्षी दलों से भी बातचीत कर सेतुबंध का काम कर सकते हैं।