No Back Water Submergence Area : बैक वाटर में डूबने वालों को NVDA डूब क्षेत्र नहीं मानता!
मनावर से स्वप्निल शर्मा की रिपोर्ट
Manawar (Dhar) : नर्मदा घाटी के कई गांव सरदार सरोवर बांध के छोड़े गए पानी के बैक वाटर लेवल में डूब गए थे। लेकिन, एनवीडीए इन्हें डूब क्षेत्र का नहीं मान रहा है। नर्मदा नदी किनारे के अधिकांश गाँव एनवीडीए के बैक वाटर लेवल की साजिश का शिकार हुए हैं।
यह आरोप ‘नर्मदा बचाओ’ आंदोलन की नेत्री मेघा पाटकर ने उक्त ग्रामों का दौरा करने के बाद स्थानीय डाक बंगले पर मीडिया से हुई चर्चा में लगाए। उन्होंने बताया कि बिना भूअर्जन और बिना पुनर्वास के लोगों के मकान डूब में आ रहे हैं। सरोवर बांध की न्यूनतम वाटर लेवल और बैक वाटर लेवल का जल स्तर बदलने की साजिश की पोल खुल गई है।
नर्मदा घाटी में 16 सिंतबर की अतिवृष्टि से और बैक वाटर लेवल से हाहाकार मच गया था।वहां डूब क्षेत्र में आए लोगों को न खाना मिल रहा है और न पशुओं को पर्याप्त चारा दिया जा रहा है। हजारों किसान, मजदूर, आदिवासी, मछुआरे, पशुपालक आज गंभीर हालात भुगत रहे हैं। क्योंकि अचानक बिना पूर्व सूचना के 16 सिंतबर को बडवानी, धार, खरगोन एवं अलिराजपुर जिले के गाँवों में पानी भरता गया। जिन्हें डूब से बाहर बताकर मूल गांव में ही छोडा गया था,उनके मकान फलिए भी डूब गए है।
एकलबारा, गोपालपुरा, बड़दा जैसे कई गांवों की हालत बेहद दयनीय है। मेघा पाटकर ने कहा कि नर्मदा घाटी के बांधों के नियंत्रण की क्षमता और संपूर्ण पुनर्वास को पर्यावरणीय कार्य की सफलता साबित होने तक सरदार सरोवर का जल स्तर 138.68 मीटर के बदले 122 मीटर तक ही रखा जाए। नर्मदा जैसी नदी को बहती रखने के लिए और दुनिया की सबसे पुरानी नर्मदा की घाटी व उसकी संस्कृति, प्रकृति आदि को बचाने में सहयोग दे।
इस अवसर पर नर्मदा बचाओं आंदोलन की कमला यादव, महेंद्रसिंह तोमर, मुकेश भगोरिया, रणवीर सिंह तोमर, रविंद्र पाटीदार, देवीसिंह तोमर, योगेन्द्र सिंह तोमर भी उपस्थित थे।